क्या है लाभ का पद, कैसे अयोग्य हुए आप के 20 विधायक, जानिए पूरा मामला

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क्या है लाभ का पद, कैसे अयोग्य हुए आप के 20 विधायक, जानिए पूरा मामला
क्या है लाभ का पद, कैसे अयोग्य हुए आप के 20 विधायक, जानिए पूरा मामला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य क़रार दिया है। लाभ के पद के उल्लंघन के मामले में 19 जनवरी को चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति से सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज 21 जनवरी को मंज़ूरी दे दी है। अब 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में केजरीवाल सरकार के पास 66 विधायक थे। अभी भी आम आदमी पार्टी के पास 46 विधायक रहेंगे जो कि सामान्य बहुमत से 10 ज़्यादा है।

दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कहा, पार्टी राष्ट्रपति से मिलकर अपना पक्ष रखना चाह रहे थे, बीच में ही यह खबर आ गई। अब हम हाई कोर्ट जाएंगे, अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे।

दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा कि बीजेपी और चुनाव आयोग ने मामले को 3 सप्ताह से ज्यादा फंसाकर रखा, इससे आम आदमी पार्टी को राज्यसभा चुनाव में फायदा हुआ।

ये है मामला
आम आदमी पार्टी ने 13 मार्च 2015 को अपने 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था। इसके बाद 19 जून को एडवोकेट प्रशांत पटेल ने राष्ट्रपति के पास इन सचिवों की सदस्यता रद्द करने के लिए आवेदन किया। राष्ट्रपति की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई। शिकायत में कहा गया था कि यह "लाभ का पद" है इसलिए आप विधायकों की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए।

आलोचना के बीच आप ने अपने विधायकों का यह कहकर बचाव करने की कोशिश की कि उन्होंने किसी भी तरह का लाभ नहीं लिया है और सारे अपॉइंटमेंट कानूनी हैं। संसदीय सचिवों ने चुनाव आयोग में अपनी बात रखते हुए साफ किया कि उन्हें किसी भी तरह का आर्थिक लाभ नहीं मिला है। उन्हें कोई ऑफिस या आधिकारिक इस्तेमाल के लिए कार भी नहीं दी गई हैं। संसदीय सचिवों की नियुक्ति का बचाव करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि ये सभी मुफ्त काम कर रहे हैं।

साल 2016 में भी राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली विधानसभा में उस बिल पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, जिसमें पार्लियामेंट सेक्रेटरी के पदों को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट से बाहर रखने का फैसला किया गया था।

नियम विरुद्ध नियुक्ति
गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ देल्ही एक्ट, 1991 के तहत दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव का पद हो सकता है। यह संसदीय सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ा होगा, लेकिन केजरीवाल ने सीधे 21 विधायकों को ये पद दे दिया।

क्या है लाभ का पद
लाभ का पद को अगर सरल भाषा में समझें तो इसका मतलब होता है, "जब कोई व्यक्ति सांसद या विधायक रहते हुए अन्य किसी पद पर भी कार्य कर रहा हो, जहां से उसे दूसरी इनकम हो रही हो तो इसे लाभ का पद कहा जाता है।" संविधान की बाद करें तो आर्टिकल 102 (1) (A) में लाभ का पद (ऑफिस ऑफ प्रॉफिट) का जिक्र किया गया है। आर्टिकल 191(1)(A) के तहत सांसद-विधायक दूसरा पद नहीं ले सकते हैं। इसके अनुसार सांसद या विधायक 2 अलग-अलग लाभ के पद पर कार्य नहीं कर सकता है।

क्या होता है संसदीय सचिव
दरअसल, संसदीय सचिव का पद वित्तीय लाभ का पद होता है और वो जिस भी मंत्री के साथ जुड़ा होता है, उसके कामों में उसकी मदद करता है। मंत्री के मदद करने के बदले में उसे सैलरी, कार और बाकी जरूरी सुविधाएं भी मिलती हैं। मंत्री के पास ये अधिकार होता है कि वो किसी भी व्यक्ति को अपना संसदीय सचिव नियुक्त कर सकता है।

आप के ये 20 विधायक हुए अयोग्य

1. प्रवीण कुमार, जंगपुरा

2. शरद कुमार चौहान, नरेला

3. आदर्श शास्त्री, द्वारका

4. मदन लाल, कस्तूरबा नगर

5. शिव चरण गोयल, मोती नगर

6. सरिता सिंह, रोहतास नगर

7. नरेश यादव, महरौली

8. जरनैल सिंह, तिलक नगर

9. राजेश गुप्ता, वजीरपुर

10. अलका लांबा, चांदनी चौक

11. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर

12. संजीव झा, बुराड़ी

13. कैलाश गहलोत, नजफगढ़

14. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर

15. राजेश ऋषि, जनकपुरी

16. अनिल कुमार वाजपेयी, गांधीनगर

17. सोमदत्त, सदर बाजार

18. सुखबीर सिंह दलाल, मुंडका

19. मनोज कुमार, कोंडली

20. अवतार सिंह, कालकाजी

Created On :   21 Jan 2018 5:27 PM IST

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