जब दिल्ली में 375 दिनों के लिए की गई थी नाकाबंदी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आईएएनएस-सीवोटर: साल 2021 के दौरान जो मुद्दे सबसे हावी रहे, उसके ट्रैकर के अनुसार, 70 प्रतिशत से अधिक भारतीयों ने कहा कि सरकार को तीन कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए, जिन्होंने 375 दिनों के लिए दिल्ली में राजमार्गो को वस्तुत: अवरुद्ध कर दिया था।
गुरुपुरब के पवित्र दिन पर प्रधानमंत्री द्वारा टेलीविजन पर राष्ट्र को लाइव संबोधित करने के बाद जब संसद द्वारा कानूनों को निरस्त कर दिया गया, तो सरकार अंतत: झुक गई।
इन कानूनों के निरसन ने दो शक्तिशाली संदेश दिए हैं- पहला तो यह कि एक शक्तिशाली और साधन संपन्न अल्पसंख्यक जो चाहता है, उसे पाने के लिए सड़क की राजनीति का उपयोग कर सकता है और दूसरा, भारत में वास्तविक सुधार अभी भी बहुत कठिन हैं।
हालांकि, आईएएनएस-सीवोटर सर्वेक्षण ने संकेत दिया कि केवल 31 प्रतिशत भारतीयों ने महसूस किया कि कानून किसानों के खिलाफ हैं, जबकि 50 प्रतिशत से अधिक भारतीय आश्वस्त थे कि तीन कृषि कानून वास्तव में किसानों के हित में थे।
इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि कृषि क्षेत्र में सुधारों की सख्त जरूरत है। जबकि यह अब भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 15 प्रतिशत योगदान देता है, दो तिहाई से अधिक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका के लिए इस पर निर्भर हैं। यह स्थायी स्थिति नहीं है।
फिर से, गेहूं और चावल पर अत्यधिक ध्यान देने से एक अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है, जहां दोनों फसलों में से दसियों लाख गोदामों में सड़ जाती हैं, जबकि कृषि उपज की अन्य वस्तुओं की उपेक्षा की जाती है। सभी 23 फसलों को कानूनी रूप से एमएसपी की गारंटी देने पर बहस छिड़ जाएगी, लेकिन दोनों पक्षों के पक्ष इस बात से सहमत हैं कि भारतीय किसानों को इस क्षेत्र में स्थायी सुधारों की सख्त जरूरत है।
कई किसान नेता, खासकर पंजाब में भी अपनी किस्मत आजमाने के लिए चुनावी मैदान में उतरे हैं। दृष्टिकोण निर्धारित करेगा कि मतदाता इन कृषि नेताओं के बारे में क्या सोचते हैं।
आईएएनएस
Created On :   31 Dec 2021 2:00 PM IST