जहां हिंदू बच्चे गुनगुनाते हैं उर्दू तराने, मुस्लिम रटते हैं संस्कृत श्लोक
- जहां हिंदू बच्चे गुनगुनाते हैं उर्दू तराने
- मुस्लिम रटते हैं संस्कृत श्लोक
गोंडा, 23 जनवरी (आईएएनएस)। कभी नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) तो कभी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर हिंदू व मुसलमानों के बीच खाई पैदा होती नजर आ रही है। ऐसे में गोंडा जिले का वजीरगंज नई इबारत लिख रहा है। यहां के एक मदरसे में हिंदू बच्चे उर्दू की तालीम ले रहे हैं और मुस्लिम बच्चों के कंठों से निकलने वाले संस्कृत श्लोकों से यह मदरसा झंकृत हो रहा है।
संस्कृत और उर्दू की तालीम हासिल करने को लेकर सरकार व संस्थाएं लोगों को जागरूक करने में लगी हैं। लेकिन वजीरगंज का यह मदरसा अपने अभिनव प्रयोग को लेकर चर्चा में है। यहां हिंदू छात्रों की संख्या भी काफी अच्छी है। विकास खंड के रसूलपुर में स्थित मदरसा गुलशन-ए-बगदाद मुस्लिम छात्रों को संस्कृत की शिक्षा देकर जहां धार्मिक कट्टरता से परे अपनी अलग पहचान बना रहा है।
यहां तकरीबन 230 की संख्या में पढ़ाई करने वाले नौनिहालों में 30 से अधिक हिंदू बच्चे उर्दू की तालीम ले रहे हैं तो 50 से अधिक मुस्लिम बच्चे भी संस्कृत के श्लोकों से अपना कंठ पवित्र करने में जुटे हैं। इतना ही नहीं, यहां हिंदू-मुस्लिम बच्चे उर्दू-संस्कृत के अलावा फारसी, हिंदी, अंग्रेजी, गणित व विज्ञान जैसे विषयों की शिक्षा भी ले रहे हैं।
मदरसे का नाम सुनते ही आमजन के मानस पटल पर उर्दू-अरबी की पढ़ाई व मजहब-ए-इस्लाम की तालीम से जुड़े विद्यालय की छवि आती है। बावजूद इसके, यहां के तमाम बुद्धिजीवी मुसलमानों का मानना है कि कौम (मुस्लिम संप्रदाय) की तरक्की और खुशहाली के लिए दीन के साथ ही दुनियावी तालीम जरूरी है।
रसूलपुर के इस मदरसे में उर्दू व अरबी सहित दीनी (आध्यात्मिक) तालीम की रोशनी लुटाने के लिए दो मौलाना हैं। इनके नाम हैं- कारी अब्दुल रशीद और कारी मुहम्मद शमीम। इसी तरह से दुनियावी तालीम (भौतिकवादी) देने के लिए चार शिक्षक नियुक्त हैं। जिनके नाम क्रमश: नरेश बहादुर श्रीवास्तव, राम सहाय वर्मा, कमरुद्दीन व अब्दुल कैयूम है। नरेश बहादुर श्रीवास्तव बच्चों को संस्कृत पढ़ाते हैं।
मदरसे के प्रधानाचार्य करी अब्दुल रशीद ने आईएएनएस को बताया, हम बिना किसी भेदभाव के सभी बच्चों को अच्छी तालीम देने की कोशिश में हैं। मुस्लिम बच्चों के लिए संस्कृत-हिंदी के साथ दीनी तालीम जरूरी है। गैर-मुस्लिम बच्चों के लिए यह उनकी इच्छा पर निर्भर करता है। कई संस्कृत-उर्दू दोनों पढ़ने के शौकीन हैं, उनको इसकी तालीम दी जाती है।
Created On :   23 Jan 2020 9:00 AM IST