पीएम मोदी की तस्वीर होनी चाहिए या नहीं , हाई कोर्ट जल्द करेगा सुनवाई 

Whether there should be PM Modis picture or not, Kerala High Court will hear next week
पीएम मोदी की तस्वीर होनी चाहिए या नहीं , हाई कोर्ट जल्द करेगा सुनवाई 
कोविड-19 सर्टिफ़िकेट पीएम मोदी की तस्वीर होनी चाहिए या नहीं , हाई कोर्ट जल्द करेगा सुनवाई 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पीटर एम का कहना है कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर के बिना एक नया कोविड वैक्सीनेशन सर्टिफ़िकेट चाहते हैं। उन्होंने ही सर्टिफ़िकेट पर तस्वीर के ख़िलाफ़ याचिका दायर की है। उनका कहना है, यह मेरे मौलिक अधिकारों का हनन करता है। केरल हाई कोर्ट अगले सप्ताह इस मुद्दे पर सुनवाई करेगा। हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को इस पर जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। पीटर एम 62 वर्षीय एक सूचना का अधिकार कार्यकर्ता हैं। आपको बता दें वैक्सीनेशन के लिए एम मोदी को धन्यवाद कहते हुए बैनर भारत के कई शहरों में लगाए गए हैं।

पीटर एम बीबीसी से चिंता जताते हुए कहते हैं कि अगर इसे ऐसा ही रहने दिया जाए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले चरण में हमारे बच्चों के स्कूल और कॉलेज लीविंग सर्टिफ़िकेट्स पर अपनी तस्वीरें लगा देंगे। उनकी चिंता इसलिए है क्योंकि पीएम मोदी की तस्वीरें उन जगहों पर भी आ जाती हैं जहां उनके होने का कोई मतलब नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी का फ़ोटो खिंचवाने और सेल्फ़ी लेने का प्यार जगज़ाहिर है।

पीटर एम बताते हैं कि पीएम मोदी की तस्वीर वैक्सीन सर्टिफ़िकेट पर होने में आख़िर क्या दिक़्क़त है।
वो कहते हैं, "वो एक राजनेता हैं जो एक पार्टी का नेतृत्व करते हैं, वो चुनाव लड़ते हैं और यह उनके विरोधियों पर एक बढ़त देता है और इसे तुरंत रुकना चाहिए।

क्या ऐसा प्रचार मतदाताओं को प्रभावित करता है?
बीबीसी से बातचीत करते हुए इमेज गुरु दिलीप चेरियन कहते हैं कि प्रधानमंत्री की वैक्सीन सर्टिफ़िकेट पर फ़ोटो "पार्टी के नज़रिए और सरकार के नज़रिए के बीच एक महीन रेखा है। वो कहते हैं कि सर्टिफ़िकेट का इस्तेमाल वोट हासिल करने के लिए एक हथियार के तौर पर किया जा रहा है। यह चुनावी लाभ पाने के तौर पर लगता है, लेकिन इसी तरह से और भी साधन काम कर रहे हैं। जैसे कि वैक्सीन सर्टिफ़िकेट के अलावा सरकारी योजनाओं के दस्तावेज़, इन सभी का संदेश एक ही है। चेरियन कहते हैं कि "चेहरे की पहचान" एक बड़ी भूमिका अदा करता है क्योंकि आज पार्टी की पहचान व्यक्ति के साथ जुड़ चुकी है।
अपनी तस्वीर को लगाने का उद्देश्य व्यक्तिगत वोटरों को अपनी पहचान की याद दिलाना है।

वैक्सीन सर्टिफ़िकेट में पीएम मोदी की तस्वीर 
कोट्टायम ज़िले में रहने वाले पीटर एम ने बीबीसी से हुई बातचीत में कहा कि मेरे सर्टिफ़िकेट पर अपनी तस्वीर डालकर पीएम मोदी ने नागरिकों के निजी क्षेत्र में दख़ल दी है। उन्होंने इसे असंवैधानिक और लोकतंत्र के हित में अनुचित बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री से निवेदन करते हुए कहा कि माननीय प्रधानमंत्री इस ग़लत और शर्मनाक हरकत को तुरंत रोकें। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी वैक्सीन सर्टिफ़िकेट में व्यक्तिगत जानकारियों के अलावा प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर के साथ-साथ अंग्रेज़ी और एक स्थानीय भाषा में दो संदेश लिखे हैं।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने संसद में कहा था कि बड़े सार्वजनिक हितों को देखते हुए तस्वीर और बयान को सर्टिफ़िकेट में शामिल किया गया है ताकि लोग टीकाकरण के बाद भी कोविड आधारित व्यवहार का पालन करने को लेकर प्रेरित हों।

सर्टिफ़िकेट पर लिखा संदेश सिर्फ उपदेश
हालांकि बीबीसी से हुई बातचीत में पीटर एम कहते हैं कि जो लोग वैक्सीन ले चुके हैं। वो पहले से ही कोरोना के प्रति अपने व्यवहार को लेकर आश्वस्त औऱ जागरूक हैं। और सर्टिफ़िकेट पर लिखा हुआ संदेश सिर्फ़ उपदेश देने से अधिक कुछ नहीं है। 

"मैं, मेरा, मेरे द्वारा, मेरी सरकार, मोदी सरकार
पत्रकार और पीएम मोदी की जीवनी लिखने वाले नीलांजन मुखोपाध्याय कहते हैं, "पीएम मोदी इस आत्म प्रशंसा को अलग स्तर पर लेकर गए हैं। वो आरएसएस के सदस्य रहे हैं जो यह सिखाता है कि संगठन व्यक्ति से बड़ा होता है, लेकिन उनके निर्देशन में एक व्यक्ति संगठन से बड़ा बन गया है। अगर आप उन्हें बोलता सुनेंगे तो वो कभी यह नहीं कहते कि हमारी सरकार ने यह किया है बल्कि वो इसकी जगह मेरी सरकार या मोदी सरकार कहते हैं। सार्वजनिक भाषणों के दौरान वो "मैं, मेरा, मेरे द्वारा" का अधिक इस्तेमाल करते हैं। फ़रवरी में उन्होंने अपने नाम पर ही एक स्टेडियम का नाम रख दिया।

मुखोपाध्याय बीबीसी से कहते हैं कि पीएम मोदी ने महामारी को "ख़ुद के प्रचार के लिए एक बड़े अवसर के तौर पर इस्तेमाल किया है। वो कहते हैं, अब तक कोविड-19 से सुरक्षा के लिए सिर्फ़ वैक्सीन ही एकमात्र उपाय है और उसके सर्टिफ़िकेट पर भी अपनी फ़ोटो लगाकर उन्होंने ख़ुद को लोगों के रक्षक के तौर पर दिखाना चाहते हैं। वो देवता के मानवीय चेहरे के रूप में ख़ुद को दिखाना चाहते हैं ताकि वो लोगों का भरोसा हासिल कर सकें और वो फिर उनके लिए वोट में तब्दील हो।

 
 

Created On :   19 Oct 2021 1:13 PM IST

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