कौन है जस्टिस बीवी नागरत्ना ? जो 2027 में बन सकती हैं भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस
- सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिए 3 महिला जजों के नाम
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने 3 महिला जज के नामों को सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान जज के पदभार के लिए नियुक्ति दे दी है, जिसमें एक नाम जस्टिस बीवी नागरत्ना का भी है। अगर केंद्र सरकार ने बीवी नागरत्ना के नाम पर मंजूरी की मुहर लगा दr तो वह साल 2027 में भारत की पहली महिला सीजेआई बनेंगी। जिसमें सीजेआई के तौर पर उनका कार्यकाल 1 महीने से थोड़ा ज्यादा का रहेगा । सीजेआई जस्टिस एनवी रमना के कॉलेजियम ने कुल 9 जजों को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया है। जस्टिस बीवी नागरत्ना के साथ दो अन्य महिला जज का नाम भी शामिल है जिसमें तेलंगाना हाई कोर्ट जज जस्टिस हिमा कोहली और गुजरात हाई कोर्ट की जज जस्टिस बेला त्रिवेदी शामिल हैं।
कौन है जस्टिस बीवी नागरत्ना?
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने वकील के तौर पर 28 अक्टूबर, 1987 से बैंगलूर हाईकोर्ट से प्रैक्टिस शुरू की था। बीवी नागरत्ना ने अपनी वकालत की शुरूआत कॉन्स्टीट्यूशनल लॉ, कॉमर्शियल लॉ, इंश्योरेंस लॉ जैसे विषयों से शुरू की थी। क्योंकि इनकी शुरआत से इन विषयों पर अच्छी पकड़ रही है। 18 फरवरी 2008 को कर्नाटक हाईकोर्ट में एडिश्नल जज के तौर पर नियुक्ति हुईं थी जिसके दो साल बाद 17 फरवरी, 2010 को वहां बतौर परमानेंट जज के रूप में नियुक्त हो गई थी।
आपको बता दें जस्टिस नागरत्ना के पिता ईएस वेंकटरमैया 1989 में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का पद करीब 6 महीने के लिए संभाल चुके है। अगर जस्टिस नागरत्ना 2027 में सीजेआई बनती है तो यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक पल होगा। साल 2009 में कर्नाटक हाई कोर्ट में जस्टिस नागरत्ना को कुछ प्रदर्शनकारी वकीलों ने दो और अन्य जजों के साथ कोर्ट रूम में बंद कर दिया गया था। जिसके बाद नागरत्ना ने बड़े गरिमा पूर्ण तरीके से मामले को सुलझाया था। एक रिपोर्ट के अनुसार नागरत्ना का बयान था कि हम नाराज नहीं हैं, लेकिन हम दुखी हैं क्योंकि बार ने हमारे साथ ऐसा किया है। हमारा सिर शर्म से झुक गया है।"
जस्टिस नागरत्ना के चर्चित फैसले
जस्टिस नागरत्ना अपने दो फैसलों के कारण चर्चें में रही है। 2012 में जब उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेशन पर अपना फैसला लिखा था कि सूचना का सच्चा प्रसारण किसी भी ब्रॉडकास्टिंग चैनल की अनिवार्य आवश्यकता है, "ब्रेकिंग न्यूज", "फ्लैश न्यूज" या किसी अन्य रूप में सनसनी खबर पर निश्चित रूप से अंकुश लगाया जाना चाहिए।" साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार को ब्रॉडकास्ट मीडिया रेगुलेट करने के लिए स्वायत्त और वैधानिक तंत्र गठित करने पर विचार करने को कहा था जिसमें उन्होंने यह वाक्य स्पष्ट कर दिया था कि रेगुलेशन का अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि मीडिया को सरकार या किसी अन्य पार्टी के द्वारा नियंत्रित किया जाए।
दूसरा 2019 में मंदिर को लेकर महत्वपूर्ण फैसला लिया गया था। नागरत्ना ने कहा था कि मंदिर एक "व्यावसायिक प्रतिष्ठान" नहीं है, इसलिए कर्नाटक में मंदिर के कर्मचारी पेमेंट्स ऑफ ग्रेच्युटी ऐक्ट के तहत ग्रेच्युटी के हकदार नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि मंदिर के कर्मचारी "कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ विन्यास अधिनियम" के तहत ग्रेच्युटी के अधिकारी होंगे, जो कि राज्य में स्पेशल कानून बनाया गया है, न कि पेमेंट्स ऑफ ग्रेच्युटी ऐक्ट के अनुसार उसे पाने के अधिकारी हैं।
Created On :   18 Aug 2021 4:39 PM IST