वर्ल्ड टीबी डे:  डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में खुलासा, टीबी से मरने वालों में भारत टॉप पर

World TB Day: WHO report reveals, India tops the death toll due to TB
वर्ल्ड टीबी डे:  डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में खुलासा, टीबी से मरने वालों में भारत टॉप पर
वर्ल्ड टीबी डे:  डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में खुलासा, टीबी से मरने वालों में भारत टॉप पर

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली ।  24 मार्च को वर्ल्ड टीबी डे यानी विश्व क्षय रोग दिवस मनाया जाता है। टीबी सुनने में तो बड़ी खतरनाक लगती है, लेकिन असल में इसे बस लोगों के डर और गलत जानकारी ने खतरनाक बना दिया है। आज के वक्त में इसका इलाज बड़ी आसानी से संभव है और कई संगठनों की बदौलत इस बीमारी पर विजय पाई गई है, लेकिन भारत में इसके हालात पूरी दुनिया से इतर हैं। वर्ल्ड टीबी डे के मौके पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक रिपोर्ट पेश की। जिसमें पूरी दुनिया में टीबी के मरीजों की जानकारी दी गई। ये रिपोर्ट भारत के लिए तो बिल्कुल भी ठीक नहीं है। रिपोर्ट में पेश कुल मामलों में 23 फीसदी से अधिक भारत के थे। साल 2016 में टीबी से 17 लाख बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की मौत हुई हालांकि 2015 के मुकाबले इसमें चार फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। टीबी से मरने वाले मरीजों की संख्या एचआईवी पॉजिटिव लोगों की मृत्यु को छोड़कर 2015 में 478,000 और 2014 में 483,000 रही।

इसके मुताबिक दुनिया में टीबी के कारण होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा मौत भारत में होती है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट का ये निष्कर्ष आपको शर्मनाक लग सकता है, लेकिन हकीकत यही है। चौंकाने वाली बात ये है कि डब्ल्यूएचओ ने वर्ल्ड टीबी डे के मौके पर वर्ष 2016 में ये रिपोर्ट जारी की थी। जनवरी 2018 में इस रिपोर्ट को रिन्यू कर दिया गया। बावजूद इसके भारत में मरीजों और मौतों का आंकड़ा नहीं बदला। 

रिपोर्ट के मुताबिक भारत, इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान , नाजीरिया और साउथ अफ्रीका में इस बीमारी ने गंभीर रूप से पैर पसारे हुए हैं। भारत के अलावा चीन और रूस में 2016 में दर्ज किए मामलों में करीब आधे 4,90,000 मामलें मल्टीड्रग-रेसिस्टैंट टीबी (एमडीआरटीबी) के है। वहीं रिपोर्ट में ये आशंका जताई गई है कि भारत में अगले दो दशकों में एमडीआरटीबी के मामलों में इजाफा हो सकता है। 

देश में साल 2015 में एमडीआर टीवी के मामले 79 हजार थे जो 2016 में ये बढकर 84 हजार हो गये। ड्रग रेसिस्टैंट टीबी, टीबी का बिगड़ा रूप है जिसमें टीबी के बैक्टीरिया पर दवाएं असर नहीं करतीं। चिकित्सा पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक देश में साल 2040 तक इस बीमारी के 10 में से एक मामले ड्रग रेसिस्टैंट टीबी के हो सकते हैं।

 

TB patients in india के लिए इमेज परिणाम

 


आइए जानते हैं इस रिपोर्ट की कुछ खास बातें-


- दुनिया में मौत के 10 कारणों में टीबी से होने वाली मौत सबसे ज्यादा है। 

- साल 2016 में पूरे विश्व में 10.4 मिलियन लोग टीबी के शिकार हुए, जिनमें से 1.7 मिलियन की मौत हो गई। इनमें से 95 फीसदी मौतें निम्न और मध्यम आयवर्ग वाले देशों में हुई।

- दुनिया में टीबी के मरीजों की संख्या का 64 प्रतिशत सिर्फ सात देशों में है, जिनमें भारत सबसे ऊपर है। भारत के बाद इंडोनेशिया, चीन, फिलीपींस, पाकिस्तान, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका है।

- साल 2016 में दुनियाभर में करीब 10 लाख बच्चों को टीबी हुई, इनमें से ढाई लाख बच्चों की मौत हो गई। इनमें वे बच्चे भी शामिल थे जिनमें टीबी के साथ-साथ एचआईवी के भी लक्षण पाए गए थे।

- एचआईवी से पीड़ित होने वाले रोगियों की मौत का सबसे बड़ा कारण टीबी ही है। 2016 में ही टीबी से ग्रसित जिन मरीजों की मौत हुई उनमें से 40 प्रतिशत मरीज एचआईवी के शिकार हो गए थे।

- वैश्विक स्तर पर टीबी के मरीजों की संख्या में गिरावट का स्तर सालाना सिर्फ 2 प्रतिशत है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार यदि वर्ष 2020 तक इसे 4 से 5 प्रतिशत तक लाकर ही दुनिया से टीबी खत्म करने की दिशा को सही माना जा सकता है।

- डब्ल्यूएचओ के अनुसार साल 2000 से लेकर वर्ष 2016 तक 53 मिलियन यानी 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को सही समय पर इलाज की सुविधा मुहैया कराए जाने से टीबी से बचाया जा सका है।

-डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि दुनिया के सभी देश अगर सही तरीके से टीबी से संघर्ष करते रहे तो वर्ष 2030 तक इस बीमारी के ऊपर काबू पाया जा सकता है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में संस्था ने यही लक्ष्य निर्धारित कर रखा है।

- टीबी से लड़ाई के लिए डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों के लिए कुछ प्रस्ताव तय किए हैं। इनमें सभी देशों की सरकारों को टीबी के उन्मूलन के लिए कारगर कदम उठाने, बीमारी की रोकथाम के लिए समुचित निगरानी प्रणाली विकसित करने और रोग के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने की सलाह दी गई है।

- डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों को ये भी सलाह दी है कि वो टीबी से ग्रसित मरीजों की देखभाल को लेकर वैश्विक स्तर पर समन्वय स्थापित करें, ताकि टीबी के मरीजों के मानवाधिकारों की रक्षा हो सके।

 

 

डब्ल्यूएचओ के लिए इमेज परिणाम


 

टीबी से लड़ने के लिए क्या कदम उठा रही है डब्ल्यूएचओ ?

टीबी से लड़ने के लिए डब्ल्यूएचओ ने खुद के लिए भी कई काम निर्धारित कर रखे हैं। इसके तहत संस्था वैश्विक स्तर पर टीबी से संघर्ष की कार्ययोजना पर काम कर रही है। संस्था समूचे विश्व के लिए विषय-वस्तु आधारित नीतियां बना रही है। साथ ही टीबी की रोकथाम के लिए समुचित निगरानी तंत्र बनाने पर भी काम कर रही है।
 
टीबी के मरीजों को सही समय पर सही इलाज मिल सके, इसके लिए संस्था सभी सदस्य देशों को तकनीकी सहयोग मुहैया कराती है। साथ ही जिन देशों में बीमारी की स्थिति गंभीर है, वहां लगातार मॉनिटरिंग भी करती है. टीबी से संबंधित रिसर्च, दवा उत्पादन और अन्य सहयोग भी ये संस्था अपने सदस्य देशों को उपलब्ध कराती है।
  
भारत में क्या कर रही है सरकार? 

टीबी (क्षय रोग) से देश के करोड़ों लोगों को मुक्त कराने के लिए केंद्र सरकार ने साल 2025 तक का वक्त निश्चित किया है, लेकिन इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय छोटे राज्यों को इस जानलेवा बीमारी से मुक्त करा सकता है।  

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने ताजा रिपोर्ट में बताया कि पिछले तीन महीने के भीतर देश में टीबी के करीब ढाई लाख मरीजों की पहचान हो चुकी है। इसमें सबसे ज्यादा करीब 44 हजार मरीज उत्तर प्रदेश से हैं।

उन्होंने ये भी बताया कि करीब एक दर्जन राज्य ऐसे हैं, जहां टीबी मरीजों की संख्या सिर्फ सैकड़ों में है। इन राज्यों पर फोकस किया जा रहा है। उम्मीद है कि 2022 तक इन राज्यों में टीबी के सभी मरीजों का इलाज पूरा हो सकेगा। फिर पोलिया और ट्रेकोमा की तरह भारत टीबी पर भी जीत हासिल कर लेगा। 

देश में 28 लाख मरीज 

देश में टीबी से करीब 28 लाख मरीज पीड़ित हैं। इनमें से ज्यादातर का इलाज किया जा रहा है। वहीं हर दिन चार से छह हजार नए केस मिल रहे हैं। इनसे साबित होता है कि टीबी की स्क्रीनिंग का काम जमीनी स्तर पर काफी बेहतर चल रहा है। हालांकि अब भी यह बीमारी हर साल चार लाख लोगों की जान ले लेती है। 
 

Created On :   24 March 2018 10:05 AM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story