AIMPLB बैठक में फैसला : बंद नहीं होगी हलाला प्रथा, 10 शरिया कोर्ट भी बनेंगी
- इस बैठक में 10 शरिया कोर्ट बनाने की मंजूरी दी गई है।
- निकाह-हलाला का भी AIMPLB ने समर्थन किया।
- रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की महत्वपूर्ण बैठक हुई।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में हर जिले में शरिया कोर्ट बनाने के विवाद के बीच रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में 10 शरिया कोर्ट बनाने को मंजूरी दी गई है। अब जल्दी ही इनका गठन किया जाएगा। वहीं हलाला प्रथा का भी AIMPLB ने समर्थन किया है। बोर्ड ने बीजेपी और आरएसएस पर शरिया कोर्ट के नाम पर राजनीति करने का भी आरोप लगाया है।
बैठक के बाद AIMPLB के सचिव और वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने बताया कि 10 दारुल कजा (शरिया कोर्ट) के प्रस्ताव आए थे, जिन्हें बोर्ड ने मंजूरी दे दी है। उनके मुताबिक, जल्द ही तीन जगह शरिया कोर्ट गठित किए जाएंगे। जफरयाब जिलानी ने हर जिले में शरिया कोर्ट का गठन करने की बात को झूठा बताया। उन्होंने कहा कि हमने कभी भी देश के हर जिले में इसके गठन की बात नहीं कही। उन्होंने कहा कि जहां शरिया कोर्ट की जरूरत है, वहां इसके गठन का हमारा विचार है। वहीं उन्होंने कहा कि शरिया कोर्ट देश की न्यायिक व्यवस्था के तहत आने वाले कोर्ट के समानांतर नहीं है। उन्होंने बीजेपी और आरएसएस पर शरिया कोर्ट के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया।
We have never talked about setting up Shariat courts in all districts across the country. Our motive is to set them up in places where it is required and where people want them: Zafaryab Jilani, All India Muslim Personal Law Board pic.twitter.com/UiqQGo33IH
— ANI (@ANI) July 15, 2018
इस मामले पर संविधान विशेषज्ञ और नेशनल अकेडमी लीगल स्टडीज ऐंड रिसर्च के कुलपति प्रोफेसर फैजान मुस्तफा का कहना है, "देश में ऐसे करीब 100 शरिया बोर्ड (दारूल कजा) पहले से हैं। अब 100 और खुल जाएंगे तो कोई फर्क नहीं। प्रोफेसर मुस्तफा ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि दारूल कजा समानांतर न्यायिक व्यवस्था नहीं है। अलग अदालत बनाने पर रोक है। वहीं यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वसीम रिजवी ने इसे राष्ट्र विरोधी करार दिया है। एएनआई से बातचीत में वसीम ने कहा, "देश में संविधान है। इसी संविधान के आधार पर जजों की नियुक्ति होती है। देश में शरीया कोर्ट की कोई जगह नहीं है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कौन होता है समानांतर अदालतें खड़ा करने वाला? यह राष्ट्रद्रोह है।"
गौरतलब है कि देश के हर जिले में शरीया कोर्ट बनाने का मामला सामने आने के बाद बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने कहा था कि आप धार्मिक मामलों पर चर्चा कर सकते हैं लेकिन इस देश में न्यायपालिका का महत्व है। देश के गांवों और जिलों में शरियत अदालतों का कोई स्थान नहीं है। हमारा देश इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ इंडिया नहीं है। जिसके बाद जफरयाब जिलानी ने कहा था, हम इसे शरियत कोर्ट नहीं कह सकते। ये दारुल कजा है, जहां पर काजी वैवाहिक विवादों को सुलझाते हैं। यहां विवाद न सुलझने की स्थिति में अलग होने का तरीका बताते हैं। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे समानांतर कोर्ट न पाए जाने के बाद जारी रखने की अनुमति दी थी।
निकाह-हलाला के मसले पर जफरयाब जिलानी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड निकाह-हलाला का समर्थन करता है और अभी कुछ नहीं बदला जा सकता है। उन्होंने साफ कहा कि महिलाओं को इसे मानना होगा। हालांकि, बोर्ड की तरफ से ये भी कहा गया कि निकाह हलाला की जो प्रैक्टिस देखने को मिलती है, वो शरिया के अनुरूप नहीं है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही लखनऊ में निकाह हलाला और ट्रिपल तलाक की 35 पीड़ित महिलाओं ने सरकार से इस प्रथा को बंद करने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की थी। हलाला पीड़ित एक महिला सबीना ने कहा था कि ये तथाकथित परंपराएं शरीयत के नाम पर महिलाओं के शोषण के अलावा और कुछ भी नहीं है।
Created On :   15 July 2018 6:32 PM IST