भारतीय नौसेना का टेलीकम्युनिकेशन कवरेज मजबूत: ISRO ने लॉन्च किया GSAT-7R सैटेलाइट, समुद्री इलाकों की करेगा निगरानी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय नौसेना अब अंतरिक्ष से भी दुश्मनों पर नजर रखेगी। इसके लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) CMS-03 (GSAT-7R) कम्युनिकेशन सैटेलाइट का सफल लॉन्च कर दिया है। इस सैटेलाइट को नौसेना का अब तक का सबस एडवांस्ड सैटेलाइट बताया जा रहा है। इसके लॉन्च करने का मुख्य उद्देश्य स्पेस-बेस्ड कम्युनिकेशन (अंतरिक्ष से संचार) और समुद्री इलाकों की निगरानी को मजबूत करना है।
सुरक्षित कम्युनिकेशन
GSAT-7R एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, इससे भारतीय सेना को संचार करने में आसानी मिलेगी। इसे पूरी तरह इंडिया में डिजाइन और बनाया गया है। इस सैटेलाइट से नौसेना के जहाजों, हवाई जहाजों, पनडुब्बियों और समुद्री ऑपरेशंस सेंटर्स के मध्य तेजी और सुरक्षित कम्युनिकेशन किया जाएगा।
इस सैटेलाइट की सबसे खास बात यह है कि यह भारत का अब तक का स्वदेशी और सबसे भारी संचार सैटेलाइट है। जिसका वजह लगभग 4400 किलोग्राम है। जिसमें कई देसी तकनीक वाले पार्ट्स लगाए गए हैं, जो खास तौर पर नौसेना की जरूरतों का पूरा करता है। इससे आत्मनिर्भर भारत के लिए एक बड़ा उदाहरण पेश किया है और हम अपनी तकनीक से ओर मजबूत हो रहे हैं।
इस सैटेलाइट को 2 नवंबर 2025 को सतीश स्पेस सेंटर (SDSC- SHAR) श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) के दूसरे लॉन्च पैड से शाम 5.26 बजे लॉन्च किया गया है। इसरो का यह सेंटर रॉकेट लॉन्च के लिए मशहूर है। इस बनाने के लिए इसरो को कई महीनों लग गए थे। इसके बाद इसका आज सफल लॉन्च किया गया।
सैटेलाइट की खास तकनीक
- इस सैटेलाइट का वजन 4400 किलोग्राम है, जो भारत का यह सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है। इससे पहले जीतने भी सैटेलाइट लॉन्च किए गए थे वे हल्के थे।
- इस सैटेलाइट के भीतर के संचार उपकरण लगे हैं। इनसे आवाज (वॉइस), डेटा और वीडियो लिंक को कई प्रकास के बैंड्स (फ्रीक्वेंसी रेंज) को सपोर्ट करता है। यानी अब नौसेना के जवान जहाज हो या हवा में आसानी से एक दूसे से कम्युनिकेशन कर पाएंगे।
- इसका कवरेज एरिया भारतीय महासागर इलाके तक रहेगा, जहां पर टेलीकम्युनिकेशन कवरेज को मजबूत करने का काम किया जाएगा। यानी, हिंद महासागर के बड़े हिस्से में सिग्नल को मजबूत करेगा।
- इस सैटेलाइट के जरिए ज्यादा डेटा ट्रांसफर किया जाएगा। जो जहाजों, विमानों, पनडुब्बियों और कंट्रोल सेंटर्स के बीच सुरक्षित और मजबूत कनेक्शन बनेगा।
- अगर नौसेना पर कोई खतर रहेगा तो इससे तुरंत जानकारी मिल जाएगी।
Created On :   2 Nov 2025 7:00 PM IST












