चंद्रयान-3 की सक्सेसफुल लॉन्चिंग के समय की अनदेखी तस्वीरें, यान में लगे ऑनबोर्ड कैमरे में कैद हुआ धरती से लेकर अंतरिक्ष तक का रोमांचक सफर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 की कल (शुक्रवार) श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफल लॉन्चिंग हो चुकी है। इस दौरान चंद्रयान-3 के रॉकेट और यान में ऐसे कैमरे लगे हैं जो चांद तक पहुंचने के अपने पूरे सफर की फोटो लेने के साथ ही वीडियो भी बनाएंगे। इन कैमरों को यान में किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर उसे रिकॉर्ड करने के उद्देश्य से लगाया जाता है।
नीचे दी गई तस्वीर लॉन्चिंग से कुछ समय पहले सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड पर खड़े रॉकेट की है।
ये तस्वीर लॉन्च के काउंटडाउन खत्म होने के तुरंत बाद की है। इस तस्वीर में चंद्रयान से जुड़े दो रॉकेट दिख रहे हैं। काउंटडाउन के बंद होने के बाद स्ट्रैपऑन थ्रस्टर्स यानी साइड में लगे दो बड़े इंजन और रॉकेट का इंजन शुरू हो जाता है। इनसे निकलने वाली आग से आसपास किसी तरह की कोई हानि न हो इसलिए इनके चारों तरफ से पानी की तेज बौछारें डाली जाती हैं।
तीसरी तस्वीर में दिखाई दे रहा है कि किस तरह रॉकेट अपने पीछे धरातल से ऊपर उठकर आसमान की ओर बढ़ रहा है और इसके पीछे धुएं का ढेर सारा गुबार नजर आ रहा है।
ये तस्वीर खास है क्योंकि ये नजारा जमीन के किसी कैमरे में कैद नहीं हो पाता। रॉकेट के रफ्तार पकड़ने के साथ ही उसके स्ट्रैपऑन इंजन के चारों तरफ हवा के दबाव से एक सफेद रंग का घेरा बनता है। ऐसा ही सफेद रंग का घेरा फाइटर जेट के सुपरसोनिक होने पर भी नजर आता है।
यह तस्वीरें तब की है जब चंद्रयान-3 जमीन से करीब 62.17 किमी की ऊंचाई पर पहुंचता है तब इसके दोनों स्ट्रैपऑन इंजन रॉकेट से अलग हो जाते हैं। बंगाल की खाड़ी के ऊपर उड़ने से ये दोनों इंजन उसमें जाकर गिर जाते हैं। अगर आसमान साफ हो तो यह नजारा जमीन से भी देखा जा सकता है।
यह तस्वीर उस दौरान की है जब चंद्रयान-3 धरती से 114.80 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंच जाता है और उसकी एंट्री अंतरिक्ष में हो जाती है। इसके साथ ही इस दूरी पर यान के ऊपर लगा अंडाकार कवर जिसे पेलोड फेयरिंग सेपरेशन कहते हैं वो अलग हो जाता है।
ये तस्वीर उस समय की है जब चंद्रयान-3 क्रोयोजेनिक इंजन के सहारे अंतरिक्ष में सफर कर रहा होता है। इसके पीछे नीले रंग की धरती और काले रंग में अंतरिक्ष में नजर आ रहा है।
ये तस्वीर उस समय की है जब चंद्रयान धरती से करीब 174.69 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंच जाता है। इतनी दूरी पर पहुंचकर क्रायोजेनिक इंजन बंद हो जाता है और चंद्रयान-3 से अलग होने लगता है। यह तस्वीर क्रायोजैनिक इंजन पर लगे ऑनबोर्ड कैमरे से ली गई है।
यह अंतिम तस्वीर है क्योंकि इसके बाद चंद्रयान-3 पूरी तरह से अलग हो जाता है और अपनी 3.84 लाख किलोमीटर की लंबी चंद्रमा की यात्रा पर अकेला निकल जाता है। यह 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा।
Created On :   15 July 2023 3:33 PM IST