पत्नी के हत्यारे पति को 10 वर्ष का सश्रम कारावास, दहेज के लिए उतारा दिया था मौत के घाट

10 years of rigorous imprisonment for the accused of wifes murder
पत्नी के हत्यारे पति को 10 वर्ष का सश्रम कारावास, दहेज के लिए उतारा दिया था मौत के घाट
पत्नी के हत्यारे पति को 10 वर्ष का सश्रम कारावास, दहेज के लिए उतारा दिया था मौत के घाट

डिजिटल डेस्क, कटनी। दहेज की मांग पूरी न होने पर पत्नी को मौत के घाट उतारने वाले आरोपी पति को न्यायालय ने 10 वर्ष के सश्रम कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाई है। आरोपी द्वारा 7 वर्ष पूर्व विवाहिता को धारदार हथियार से चोट पहुंचाकर उसकी हत्या की गई थी। जानकारी अनुसार शहडोल के घरौला मोहल्ला निवासी संध्या गुप्ता का विवाह कुठला थानांतर्गत पन्ना मोड़ निवासी अमित गुप्ता पिता रमेश प्रसाद गुप्ता के साथ 21 मई 2011 में हुआ था। विवाह के कुछ दिनों के बाद अमित गुप्ता द्वारा अपनी पत्नी संध्या गुप्ता से अतिक्ति दहेज के रूप में डेढ़ लाख रुपयों की मांग की जाने लगी। विवाहिता दहेज की मांग पूरी करने में असमर्थ थी, जिसके कारण पति द्वारा उसे शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था। 29 मई 2012 की रात लगभग डेढ़ बजे संध्या की आकस्मिक मौत होने की सूचना मृतिका के ससुर रमेश गुप्ता द्वारा थाने में दी गई थी।

परिवार के सदस्यों को दी भी दहेज प्रताडऩा की जानकारी-
पुलिस ने शवपरीक्षण कराने उपरांत मर्ग प्रकरण दर्ज कर विवेचना प्रारंभ की थी। इस दौरान मायके पक्ष द्वारा पुलिस को बताया गया था कि अप्रैल 2012 में संध्या मायके गई थी और पति द्वारा दहेज के लिए प्रताड़ित करने की जानकारी अपने भाई अनिल, छोटी बहन पूजा व पड़ोस की महिला लक्ष्मी तिवारी को दी थी। मायके पक्ष द्वारा संध्या की हत्या के संदेह व्यक्त किए गए थे। इसी दौरान पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि विवाहिता की मौत उसके जबड़े में किसी हथियार के प्रहार से हुई थी। प्राप्त तथ्यों के आधार पर पुलिस ने आरोपी पति यानी अमित गुप्ता के विरुद्ध धारा 498ए, 304बी, 302, धारा 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण न्यायालय में पेश किया था।

सुनवाई में यह तर्क किया प्रस्तुत-
प्रकरण की सुनवाई के दौरान वकीलों के तर्क, प्राप्त साक्ष्यों को आधार मानते हुए चतुर्थ सत्र न्यायाधीश ने अमित गुप्ता को दहेज के लिए पत्नी की हत्या का दोषी मानते हुए उसे धारा 320 के अपराध में 10 वर्ष के सश्रम कारावास, 498ए के अपराध में 3 वर्ष का सश्रम कारावास और 5 हजार के अर्थदंड, दहेज प्रतिषेध अधिनियम की धारा 4 के अपराध में एक वर्ष का सश्रम कारावास और 1 हजार रुपए के अर्थ दंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड का भुगतान न करने पर आरोपी को अतिरिक्त कारवास की सजा भुगतनी पड़ेगी।

Created On :   30 April 2019 5:17 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story