11वीं बार फिर लडूंगा चुनाव, पार्टी घर आकर देगी टिकट- बाबूलाल गौर

11th time to fight election , party will come home to give ticket: babulaal gaur
11वीं बार फिर लडूंगा चुनाव, पार्टी घर आकर देगी टिकट- बाबूलाल गौर
11वीं बार फिर लडूंगा चुनाव, पार्टी घर आकर देगी टिकट- बाबूलाल गौर

डिजिटल डेस्क टीकमगढ़/ओरछा/निवाड़ी । पार्टी के खिलाफ बेवाक बयानबाजी के लिए फेमस मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर रविवार को रामराजा सरकार की नगरी ओरछा में एक बार फिर खुलकर बोले। आगामी विधानसभा में चुनाव लडऩे की बात पर उन्होंने कहा कि 11वीं बार फिर मैदान में उतरूंगा। 10 बार लगातार चुनाव जीता है, पार्टी घर आकर टिकिट देगी।
इतना ही नहीं श्री गौर ने प्रदेश में मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू नहीं होने पर कहा कि यूपी के 9 शहरों में वहां की सरकार ने मेट्रो रेल का काम शुरू कर दिया है। जबकि मप्र में एक भी जगह मेट्रो की शुरूआत नहीं हो सकी। इससे साफ जाहिर होता है कि प्रदेश सरकार में इच्छा शक्ति की कमी है। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू करना इस सरकार के बस की बात नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर रविवार को ओरछा में युवा यादव महासभा के प्रादेशिक सम्मेलन में शामिल होने पहुंचे थे। समारोह में बड़ी संख्या में यादव समाज के लोग शामिल हुए। इस मौके पर बाबूलाल गौर ने खुलकर अपनी बात कही। इसके पहले भी श्री गौर विधानसभा चुनाव लडऩे की बात कहते आए हैं। कई मौकों पर उन्होंने सरकार के तौर तरीकों पर भी सवाल खड़े किए हैं। श्री गौर के बयान के बारे में जब भाजपा नेताओं से बात की गई तो वे बचते नजर आए।
2009 में की थी मेट्रो की घोषणा
बाबूलाल गौर ने कहा कि प्रदेश के इन्दौर, भोपाल में मेट्रो ट्रेन आखिर क्यों शुरू नहीं हो सकी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 में चुनाव के दौरान मेट्रो ट्रेन चलाने की घोषणा की थी। यह भारत सरकार का उपक्रम है। अभी तक 12 करोड़ रुपए डीपीआर के नाम पर खर्च हो चुके है। श्री गौर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सात महानगरों को स्मार्ट नगर बनाया था, लेकिन सरकार के पास पैसा नहीं है।
कर्ज में डूबी सरकार
पूर्व मुख्यमंत्री श्री गौर ने मप्र सरकार के कर्ज में डूबे होने की बात कही है। उन्होंने बताया कि बजट में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। कर्ज में डूबी सरकार विकास कैसे करेगी। प्रदेश में शिक्षकों के 45 हजार पद खाली हैं, लेकिन 47 हजार शिक्षकों को बीएलओ के कार्य में लगाया जाता है। जिससे शिक्षा व्यवस्था चौपट हो जाती है। अन्य विभागों के कर्मचारियों को बीएलओ के कार्य में क्यों ंनहीं लगाया जाता।

 

Created On :   19 March 2018 1:00 PM GMT

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