अमरावती जिले में  135 प्रत्याशी आजमा रहे किस्मत, उस्मानाबाद सीट पर सियासी उबाल

135 candidates trying luck in Amravati district, political turmoil in Osmanabad seat
अमरावती जिले में  135 प्रत्याशी आजमा रहे किस्मत, उस्मानाबाद सीट पर सियासी उबाल
अमरावती जिले में  135 प्रत्याशी आजमा रहे किस्मत, उस्मानाबाद सीट पर सियासी उबाल

डिजिटल डेस्क, अमरावती। जिले में वर्ष 2014 का विधानसभा चुनाव दो कारणों से काफी चर्चित और रोचक रहा। राष्ट्रीय नेताओं की प्रचार सभाएं और दल-बदल की स्थिति ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया था। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की सभाएं चर्चा में रहीं। भाजपा ने प्रचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव अमित शाह को बुलवाया था, जबकि कांग्रेस ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और इमरान मसूद को आमंत्रित किया था। 10 अक्टूबर को चांदुर रेलवे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा हुई थी। इससे पूर्व 8 अक्टूबर को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी प्रचार सभाओं को संबोधित किया था। उस समय 14 अक्टूबर को विस चुनाव के लिए मतदान हुए और 19 अक्टूबर को नतीजे घोषित हुए। जिले के 8 विस क्षेत्रों में दिग्गज प्रत्याशियों को विभिन्न दलों ने चुनाव मैदान में उतारा था। रावसाहब शेखावत, डॉ. सुनील देशमुख, प्रदीप बाजड, मिर्जा नईम अख्तर, डॉ. अनिल बोंडे, सुलभा खोडके, स्व. संजय बंड, एड. यशोमति ठाकुर, साहबराव तट्टे, हर्षवर्धन देशमुख, अरुण अड़सड़, प्रा. वीरेंद्र जगताप, कैप्टन  अभिजीत अड़सूल, दिनेश बूब, केवलराम काले, राजकुमार पटेल, बच्चू कडू, वसुधा देशमुख, बबलू देशमुख, नाना वानखड़े, सुरेखा ठाकरे, निवेदिता चौधरी, तुषार भारतीय जैसे दिग्गजों सहित 135 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। वर्ष 2014 में कांग्रेस के दिग्गज नेता डा.सुनील देशमुख ने भाजपा का दामन थाम लिया और अमरावती विस क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे। ऐसे में कांग्रेस ने उनके खिलाफ रावसाहब शेखावत को मैदान में उतारा था। अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में लोकप्रिय रहे डा.सुनील देशमुख के भाजपा में चले जाने से इन क्षेत्रों के मतदाताओं में असमंजस की स्थिति निर्माण हो गई थी। हालांकि डॉ. सुनील देशमुख ने ही यह चुनाव जीता था।

 

उस्मानाबाद सीट पर दूध और चीनी का उबाल, मतदाता उठा रहे सवाल

उधर उस्मानाबाद जिले में कुल चार विधानसभा मतदाता संघ हैं। भूम-परंडा विधानसभा मतदाता संघ में दूध संघ व उस्मानाबाद विधानसभा मतदाता संघ में तेरणा चीनी फैक्ट्री के साथ जिला बैंक है। वहीं तुलजापुर विधानसभा मतदाता संघ में तुलजाभवानी चीनी फैक्ट्री के डूबने व गेट-केन उम्मीदवार जैसे मुद्दे उपस्थित हो रहे हैं। उस्मानाबाद विधानसभा मतदाता संघ में राकांपा से शिवसेना में आए कैलाश पाटील को उम्मीदवारी मिली है। इस कारण शिवसैनिक उस उम्मीदवार की और ‘गेट-केन’ के रूप में देख रहे है। शिवसैनिकों ने कहा कि 25 से 30 साल से हमने शिवसेना को बढ़ाने का कार्य किया है, किंतु बाहर से आए लोगों को उम्मीदवारी दी गई। इस कारण निष्ठावान शिवसैनिकों में गुस्सा है। ऐसा माहौल राकांपा उम्मीदवारों के बारे में देखने को मिल रहा है, किंतु राकांपा उम्मीदवार संजय निंबालकर पिछले कई सालों से राजनीति में हैं, लिहाजा बगावत कुछ थम सा गया है। शिवसेना के सांसद ओमराजे निंबालकर के पिता के हाथ में जिला बैंक व तेरणा चीनी फैक्ट्री थी। हर चुनाव में सवाल उठता है- सहकार क्षेत्र को किसने डूबाया? भूम-परंडा विधानसभा मतदाता संघ में शिवसेना के पालकमंत्री तानाजी सावंत सोलापूर जिले के निवासी हैं। इसी कारण उन्हें ‘गेट-केन’ उम्मीदवार रूप में देखा जा रहा है, किंतु उन्होंने परंडा तहसील में चीनी फैक्ट्री शुरू किया और उस्मानाबाद जिले के राजनीति में भी सक्रिय रहे। सावंत शिवसेना की और से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और उनके खिलाफ राकांपा के मौजूदा विधायक राहुल मोटे हैं। राहुल मोटे के गुट में भूम का दूध संघ था। वह दूध संघ डूबने के कारण राहुल मोटे पर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। राज्य सरकारी बैंक के मामले राज्य में दर्ज प्रकरणों में राहुल मोटे का भी नाम है। इसी कारण इस चुनाव में भी सहकार क्षेत्र डूबाने वाले उम्मीदवार कह कर आलोचना की जा रही है। विशेष बात यह है कि राहुल मोटे ने अपने विधायकी के तीन टर्म पूरे किए हैं, किंतु विकास कार्य कुछ भी नहीं हुआ। सावंत इसका भरपूर राजनीतिक लाभ उठा रहे हैं। 

यहां सहकार क्षेत्र डुबोने वाले सुर्खियों

ठीक इसी प्रकार की स्थिति तुलजापूर विधानसभा मतदाता संघ में कांग्रेस के मधुकरराव चव्हाण और भाजपा के विधायक राणा जगजीत सिंह पाटील के बीच बनी है। राणा पाटील राकांपा से भाजपा में गए हैं। यहां भी सहकार क्षेत्र डूबोने वाले की चर्चा है। मधुकरराव चव्हाण के कार्यक्षेत्र में तुलजा भवानी चीनी फैक्ट्री थी, वह भी डूब गई है। जिले का दूध संघ भी डूब गया। जिले के सहकार क्षेत्र पर राकांपा व कांग्रेस का कब्जा था, किंतु चुनाव के मौके पर ही सहकार क्षेत्र, ‘गेट-केन’ उम्मीदवार यह मुद्दा सामने लाए जा रहे हैं। राणा जगजीतसिंह पाटील का गांव उस्मानाबाद तहसील के अंदर है, लेकिन उनका गांव तेर तुलजापुर विधानसभा मतदाता संघ में शामिल है। यही कारण है कि राणा पाटील को तुलजापूर विधानसभा मतदाता संघ में गेट-केन उम्मीदवार के रूप मे देखा जा रहा है। उमरगा विधानसभा मतदाता संघ में शिवसेना के मौजूदा विधायक ज्ञानराज चौगुले व कांग्रेस के दिलीप भालेराव के बीच मुकाबला है। चौगुले की विधायकी के कार्यकाल में विकासात्मक कार्य न होने से लोग काफी नाराज है, तो कांग्रेस के हाथ में नगर परिषद होते हुए भी वहां अच्छा कार्य नहीं होने से लोगों में नाराजी है। 

Created On :   14 Oct 2019 11:52 AM GMT

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