सिख विरोधी दंगा: सज्जन कुमार ने कोर्ट में किया सरेंडर, उम्रकैद की मिली थी सजा
- 5 सिखों की बेरहमी से हत्या करने के मामले में हैं दोषी
- दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी समय बढ़ाने की याचिका
- दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन को सुनाई थी उम्रकैद की सजा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सिख विरोधी दंगों में दोषी ठहराए गए पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने सोमवार दोपहर 2 बजे के करीब कड़कड़डूमा कोर्ट में समर्पण कर दिया। इससे पहले उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाकर सरेंडर की समय अवधि बढ़ाने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने अस्वीकार कर दिया था। कुमार के पास सरेंडर करने के लिए 31 दिसंसबर तक का ही समय था।
सज्जन कुमार के वकील अनिल कुमार शर्मा का कहना है कि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई है, लेकिन छुट्टियों के कारण 31 दिसंबर तक सुनवाई की संभावना नहीं है। एक जनवरी तक सुप्रीम कोर्ट बंद है। सज्जन कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। उन पर 5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। कोर्ट ने सज्जन को 31 दिसंबर के पहले सरेंडर करने का आदेश दिया था।
बता दें कि इंदिरा गांधी की मौत के बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे फैल गए थे। दिल्ली कैंट में 1 और 2 नवंबर को भीड़ ने 5 सिखों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। भीड़ की भेंट चढ़ने वालों में रघुविंदर सिंह, केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, कुलदीप सिंह और नरेंद्र पाल सिंह शामिल थे। वहां मौजूद लोगों ने सज्जन कुमार पर भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया था। भीड़ के हाथों मरने वाले केहर सिंह की पत्नी और गुरप्रीत सिंह की मां जगदीश कौर ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। दंगे में मारे गए एक सिख के भाई जगशेर सिंह ने भी कोर्ट में गवाही दी थी।
1984 anti-Sikh riots case: Convict Sajjan Kumar reaches Delhi"s Karkardooma Court to surrender pic.twitter.com/lJ1JzCDWJ2
— ANI (@ANI) 31 December 2018
सज्जन कुमार पर डकैती, आपराधिक साजिश के साथ ही मर्डर की शिकायत की गई थी। 2005 में नानावटी कमीशिन ने सज्जन के खिलाफ केस दर्ज करने की सिफारिश की थी, जिसे मान लिया गया। सज्जन के खिलाफ सीबीआई (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन) ने 2 चार्जशीट फाइल की थीं। उनके अलावा कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर पर भी दंगा भड़काने के आरोप लगे थे। सज्जन ने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग और जगदीश कौर की शिकायत को आधार बनाकर सीबीआई ने 2005 में सज्जन कुमार, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, पूर्व पार्षद बलवंत खोखर, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और कृष्ण खोखर के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इसके बाद सीबीआई ने 13 जनवरी 2010 को सभी 6 आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। पांच लोगों को दोषी ठहराकर कोर्ट ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था, जिसके बाद दंगा पीड़ितों और सीबीआई ने उच्च अदालत में याचिका लगाई थी।
सज्जन कुमार को कभी दिल्ली की राजनीति में कांग्रेस का बड़ा चेहरा माना जाता था। दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री चौधरी ब्रम्ह प्रकाश को 1980 में लोकसभा चुनाव हराने वाले सज्जन कुमार कभी देश की राजधानी में चाय की दुकान चलाया करते थे। संजय गांधी की नजर उन पर 1970 में पड़ी थी, जिसके बाद सज्जन ने दिल्ली के मादीपुर क्षेत्र से नगर पालिका का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
Created On :   31 Dec 2018 6:36 AM GMT