प्रधानमंत्री कौशल उन्नयन प्रशिक्षण के नाम पर 20 लाख का घोटाला !

20 lakh rupees scam in the Prime Minister Skill upgradation training
प्रधानमंत्री कौशल उन्नयन प्रशिक्षण के नाम पर 20 लाख का घोटाला !
प्रधानमंत्री कौशल उन्नयन प्रशिक्षण के नाम पर 20 लाख का घोटाला !

डिजिटल डेस्क, उमरिया। प्रधानमंत्री कौशल केन्द्र द्वारा प्रशिक्षण के नाम फर्जीवाड़ा सामने आया है। आरोप है कि गांव-गांव फैले ट्रेनर द्वारा बेरोजगार शिक्षित युवाओं को मनचाहे ट्रेड में ट्रेनिंग और नौकरी का सपना दिखाया जाता है। परीक्षा और ट्रेनिंग के नाम पर आवेदकों से दस्तखत लेकर दस्तावेज लिए जा रहे हैं। फिर प्रशिक्षण में प्राप्त होने वाले सब्सिडी को हितग्राही की बजाए बिचौलिए खुद हड़प कर जाते हैं। मंगलवार को पिनौना निवासी फरियादी ने यह शिकायत कलेक्टर से की है।

आरोपित किया है कि महुरा, पिनौरा, कोहका गांव में युवाओं को नौकरी दिलाने के नाम पर परीक्षा ली गई। फिर कूटनीति तरीके से कियोस्क बैंक में बिना उनकी जानकारी के खाता भी खुल गया। 10-15 दिनों के भीतर खाते से उक्त पैसे दूसरी जगह ट्रांसफर भी हो गए, जबकि हितग्राही को न ट्रेनिंग मिली न कोई नौकरी। आवेदक द्वारा प्रकरण को गंभीरता से जांच कर ट्रेनर व बैंक प्रबंधन पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है।

ऐसे हुआ खुलासा

शिकायती पत्र में पिनौरा निवासी राघवेन्द्र शर्मा पिता सुग्रीव ने मामले की शिकायत कलेक्टर से की है। पत्र अनुसार खुद को प्रधानमंत्री कौशल उन्नयन ट्रेनर बताने वाले एक युवक ने पांच-छह माह पूर्व गांव-गांव घूमकर तकरीबन 200 युवाओं का चयन किया। ट्रेनर का कहना था कि उन्हें एक परीक्षा के बाद ट्रेनिंग और फिर मार्कशीट के आधार पर नौकरी दी जाएगी। बेरोजगारों को खुद के खर्चे पर शहडोल में परीक्षा भी दिलवाई।

फिर न तो उन्हें ट्रेनिंग मिली न ही कोई सब्सिडी। बाद में पता चला अगस्त माह में उन सभी के एक कियोस्क बैंक में खाते खुले हैं। सभी में 10 हजार रुपए प्रशिक्षण की रकम मिली है लेकिन बैंक प्रबंधक की सांठगांठ से बिना हितग्राहियों के हस्तक्षेप राशि भी खाते से ट्रांसफर हो गई। यानि 200 हितग्राहियों की 20 लाख रकम बिना उनकी जानकारी बिचौलियों और बैंक कर्मियों द्वारा पार कर दी गई। यही नहीं विंध्या क्षेत्र से भी 200 युवाओं से इसी तरह दस्तावेज ले लिये गये हैं।

व्यापक है नेटवर्क, आवेदक को धमकी

मामले में आरोपित बैंककर्मी व ट्रेनर की पकड़ बैंक व हितग्राहियों में किस कदर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कलेक्टर के यहां शिकायत करने पहुंचे राघवेन्द्र को उन्ही के यहां से शिकायत न करने की एवज में लेनदेन का आफर आ गया। राघवेन्द्र की मानें तो अकेले इन तीन-चार गांव नहीं बल्कि पूरे ग्रामीण इलाकों में यह फर्जीवाड़ा हुआ है। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को इन्होंने मटिया मेट कर दिया है। प्रकरण को कलेक्टर के समक्ष सौंपते हुए जांच में बैंक प्रबंधक, कियोस्क संचालक व ट्रेनर पर कार्रवाई की मांग की गई है।

योजना पर फिरा पानी

फरियादी के मुताबिक आवेदकों के बैंक खाते सेन्ट्रल बैंक के पिनौरा स्थित एक कियोस्क में खोले गये हैं। जबकि आवेदकों को बैंक खाते व सब्सिडी के संबंध में कोई जानकारी ही नहीं दी गई। इस संबंध में बैंक विशेषज्ञों की मानें तो सबसे पहले तो बिना किसी हितग्राही के प्रमाणित दस्तावेज के कोई खाता ही नहीं खुल सकता। ऊपर से बिना लिखित इजाजत बैंक प्रबंधक से लेकर तीसरी पार्टी कोई जानकारी नहीं ले सकती। संभव है हितग्राहियों से कोरे कागज में दस्तखत करवा कर खाता संचालन का कागज तैयार किया गया है।

उमरिया के एलडीएम अरविंद गुप्ता ने कहा है कि बैंक में बिना हितग्राही वेरीफिकेशन व प्रमाणित कागजों के खाता खुलना संभव ही नहीं। हो सकता है प्रशिक्षण प्रदाता द्वारा कूटनीति पूर्ण दस्तखत लिए गए हों। जनसुनवाई से पत्र मिलते ही जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

Created On :   24 Aug 2017 5:24 AM GMT

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