आम आदमी पार्टी के पास यही रास्ता बचा है, लेकिन उम्मीद कम

20 MLAs disqualification Now the last hope of AAP is the Court
आम आदमी पार्टी के पास यही रास्ता बचा है, लेकिन उम्मीद कम
आम आदमी पार्टी के पास यही रास्ता बचा है, लेकिन उम्मीद कम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इलेक्शन कमीशन ने शुक्रवार (19 जनवरी) को आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की थी, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को मंजूर कर लिया। अब दिल्ली में आप के ये 20 विधायक "अयोग्य" हो गए हैं और पार्टी के पास अब 66 में से सिर्फ 46 विधायक ही बचे हैं। इलेक्शन कमीशन ने अपनी ये रिपोर्ट ऑफिस ऑफ प्रॉफिट (लाभ का पद) के मामले में भेजी है, जिसमें कहा गया था कि आप के 20 विधायक संसदीय सचिव हैं और ये ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामला है। इस लिहाज से इन विधायकों की सदस्यता रद्द होनी चाहिए। अब राष्ट्रपति ने भी इलेक्शन कमीशन की सिफारिश पर मुहर लगा दी है और पार्टी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की बात कह रही है। आइए जानते हैं कि आम आदमी पार्टी के पास अब क्या रास्ता बचा है?


आग क्या कर सकती है पार्टी? 

- लीगल एक्सपर्ट्स की मानें, तो राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब आम आदमी पार्टी के इन 20 विधायकों के पास केवल कानूनी रास्ता ही बचा है। आप के ये विधायक अपने मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किए जाने की शिकायत को लेकर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं।

- पार्टी के ये सभी विधायक अपनी सदस्यता रद्द किए जाने के फैसले को भी चुनौती दे सकते हैं। दरअसल, विधायक संविधान के आर्टिकल-32 और आर्टिकल-226 का हवाला देते हुए आदेशी की कानूनी वैलिडिटी और उनका पक्ष न सुने जाने की दलील दे सकते हैं।

- सुप्रीम कोर्ट के पास राष्ट्रपति के आदेशों पर पुनर्विचार करने का अधिकार होता है। कोर्ट इस बात कि जांच कर सकता है कि राष्ट्रपति का फैसला नेशनल कैपिटल रीजन एक्ट-1991 का उल्लंघन तो नहीं है। अगर कोर्ट को पता चलता है कि राष्ट्रपति का ये आदेश बिना कोई प्रक्रिया के जारी किया गया है या फिर उसमें न्याय नहीं किया गया है, तो वो उसे रद्द कर सकता है।

- इन सबके अलावा राष्ट्रपति के आदेश के संबंध आम आदमी पार्टी के ये विधायक एक अलग पिटीशन भी फाइल कर सकते हैं।

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राहत की उम्मीद बहुत ही कम

माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी को इस मामले में राहत मिलने की उम्मीद बेहद ही कम है। बताया जा रहा है कि इलेक्शन कमीशन ने राष्ट्रपति को अपनी 60 पेज की रिपोर्ट में डिटेल में सदस्यता रद्द करने के कारण बताए हैं। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि आप के इन 20 विधायकों में ज्यादातर अपने पक्ष में कोई ठोस दलील नहीं दे पाए और उनका जवाब बेहद ही घिसा-पिटा था। आम आदमी पार्टी अब फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रही है, लेकिन कोर्ट से पार्टी को राहत मिले, इसकी गुंजाइश बहुत ही कम है। लीगल एक्सपर्ट्स का भी यही मानना है कि आप को कानूनी तौर पर कोई राहत मिलने की गुंजाइश बहुत ही कम है।

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20 सीटों पर फिर से होंगे चुनाव

दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से आम आदमी पार्टी के पास 66 विधायक थे, लेकिन 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बाद अब पार्टी के पास सिर्फ 46 विधायक बचे हैं। पार्टी के पास भले ही विधानसभा में अभी भी बहुमत हो, लेकिन लोकसभा चुनावों से पहले 20 विधायकों की सदस्यता जाने से पार्टी को फिर से जनता का सामना करना पड़ेगा। माना जा रहा है कि पार्टी भी अब इन 20 सीटों पर चुनाव की तैयारी करेगी और हर हाल में इन सीटों पर जीतने की कोशिश करेगी। आम आदमी पार्टी और केजरीवाल को ये अब तक का सबसे बड़ा झटका लगा है और 20 विधायकों की सदस्यता जाना कोई मामूली बात नहीं है। इसका सीधा-सीधा असर पार्टी की इमेज पर पड़ेगा और इसका असर लोकसभा चुनावों में भी देखने को मिलेगा। बता दें कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से भी पार्टी को राहत नहीं मिली, तो 6 महीने से पहले इन 20 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे। 

Created On :   22 Jan 2018 5:13 AM GMT

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