20 वर्ष पहले मिली मंजूरी , कागजों में सिमटा लखमापुर बांध

20 years have passed since Hingna tehsils Lakhmapur Dam was approve
20 वर्ष पहले मिली मंजूरी , कागजों में सिमटा लखमापुर बांध
20 वर्ष पहले मिली मंजूरी , कागजों में सिमटा लखमापुर बांध

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हिंगना तहसील के लखमापुर बांध को मंजूर हुए 20 वर्ष बीत गए। बांध के लिए आवश्यक जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी होकर 4 वर्ष पूर्व किसानों को जमीन का मुआवजा भी दिया गया। प्रकल्पग्रस्तों के पुनर्वास को मंजूरी नहीं मिलने से बांध का निर्माणकार्य फाइलों में उलझकर रह गया है। हिंगना तहसील में सिंचाई के लिए लखमापुर बांध का निर्माण करने का सरकार ने निर्णय लिया। बांध के लिए पिंपलधरा गांव और किसानों की जमीन अधिगृहीत की गई। बांध का प्रारूप तैयार किया गया। राज्य के जलसंपदा विभाग ने 25 जुलाई 2005 को 19.09 करोड़ लागत मूल्य को मंजूरी दी। जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी कर किसानों को सन् 2015 से पूर्व जमीन का मुआवजा भी दे दिया गया। पुनर्वास प्रारूप तैयार कर 4 वर्ष पहले मंजूरी के लिए मदद व पुनर्वास विभाग मुंबई कार्यालय फाइल भेजी गई। इसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली। पुनर्वास को मंजूरी नहीं मिलने से बांध का निर्माणकार्य शुरू ही नहीं हो पाया है।

औद्योगिक उपयोग के लिए 2.004 टीएमसी पानी आरक्षित
लखामापुर बांध की जल संग्रहण क्षमता 6.775 टीएमसी है। इसमें से 2.004 टीएमसी पानी उद्यौगिक उपयोग के लिए आरक्षित और पीने के लिए 0.97 टीएमसी पानी आरक्षित रखने का प्रारूप में प्रावधान किया गया है। 260 हेक्टेयर में सिंचाई के लिए के लिए 3.774 टीएमसी पानी उपलब्ध होगा। यह बांध बनकर पूरा होने पर फसल की सिंचाई और उद्योगिक उपयोग के लिए पानी उपलब्ध होने से कृषि उत्पादन में वृद्धि और उद्योगाें में बेरोजगारों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।

लागत मूल्य 19 करोड़ से 107 करोड़ पार
25 जुलाई 2005 को बांध का लागत मूल्य 19.09 करोड़ था। सरकारी लालफीताशाही का शिकार होने से समय-समय पर लगात मूल्य बढ़ता चला गया। सन् 2012 में बढ़कर 66.20 करोड़ हो गया। वर्तमान में लागत मूल्य 107.26 करोड़ के पार हो गया है। निर्माणकार्य शुरू हुआ नहीं और केवल कागजों पर बांध की लागत बढ़ती गई।

प्रकल्पग्रस्तों को पुनर्वास का इंतजार
लखमापुर बांध के लिए पंपिधरा गांव और 213 किसानों की खेती की जमीन अधिगृहीत की गई। उन्हें जमीन का मुअावजा भी तत्कालीन दर से दे दिया गया। जमीन सरकार ने अपने कब्जे में कर ली। नई जगह उनका पुनर्वास होना बाकी है। प्रकल्पग्रस्त पुनर्वास स्थल पर स्थानांतरण के इंतजार में है। 

विदर्भ के साथ अन्याय
विदर्भ के साथ हमेशा अन्याय होता आया है। लखमापुर बांध के मामले में भी यही हुआ। सरकारी लालफीताशाही की यह परियोजना शिकार हो गई। जमीन अधिग्रहण से लेकर किसानों को जमीन का मुआवजा देने की प्रक्रिया 4 वर्ष पहले पूरी हो चुकी है। प्रकल्पग्रस्तों का पुनर्वास की फाइल मदद व पुनर्वास विभाग के पास भेजी गई है। इसे मंजूरी के लिए 4 वर्षों से इंतजार कराया जा रहा है। यह विदर्भ की जनता के मानवी अधिकारों का उल्लंघन है।   - एड. अविनाश काले

मंजूरी का इंतजार
बांध के लिए जमीन अधिग्रहण हो चुका है। किसानों को जमीन का मुआवजा भी दे दिया गया है। पुनर्वास के लिए मदद व पुनर्वास विभाग, मुंबई कार्यालय के पास फाइल भेजी है। मंजूरी मिलने पर शीघ्र बांध का निर्माणकार्य शुरू होगा। - पी. एन. पाटील, अभियंता सिंचाई विभाग
 

Created On :   6 Dec 2018 6:45 AM GMT

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