लक्ष्य से 37,000 मैट्रिक टन कम हुई जिले में धान की खरीदी

लक्ष्य से 37,000 मैट्रिक टन कम हुई जिले में धान की खरीदी
लक्ष्य से 37,000 मैट्रिक टन कम हुई जिले में धान की खरीदी

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। तमाम दिक्कतों और अव्यवस्थाओं के बीच इस वर्ष भी धान खरीदी आखिरकार पूरी कर ली गई। जबलपुर जिले के उपार्जन केन्द्रों में सोमवार को धान खरीदी का आखिरी दिन था। बताया जा रहा है कि इस वर्ष 2 लाख 13 हजार मैट्रिक टन धान खरीदी गई है। जबकि, खरीदी का लक्ष्य 2 लाख 50 हजार मैट्रिक टन रखा गया था। इस लिहाज से इस साल 37 हजार मैट्रिक टन कम धान का उपार्जन हो सका।

टारगेट पूरा नहीं होने पर अधिकारियों से लेकर जानकार अपनी अलग-अलग राय रख रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस बार खुले बाजार में धान के मूल्य में तेजी होने के कारण कई किसानों ने अपनी उपज सीधे व्यापारियों को बेची। वहीं, जानकारों का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा किए जा रहे दावे कुछ हद तक सही ठहराए जा सकते हैं, लेकिन इस बात पर भी गौर करना जरुरी है कि खरीदी का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर पुख्ता इंतजाम किए गए थे या नहीं। जानकारों का यह भी कहना है कि हर बार की तरह इस बार भी उपार्जन केन्द्रों में किसानों को परेशान होना पड़ा। इनमें छन्ना, तुलाई, लोडिंग-अनलोडिंग अादि जैसी समस्याएं आम हैं, जिनसे किसानों को लगभग हर वर्ष और हर खरीदी के दौरान दो-चार होना पड़ता है। इन्हीं परेशानियों से बचने के लिए कई किसानों द्वारा व्यापारियों को उपज बेचे जाने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही है।

कई केन्द्रों में देर से शुरु हु़ई थी खरीदी
पनागर, शहपुरा, कुण्डम को मिलाकर जिले की सातों तहसीलों में लगभग 59 उपार्जन केन्द्र स्थापित किए गए थे। जिला प्रशासन ने धान खरीदी शुरु करने के लिए 15 नवम्बर की तारीख निर्धारित की थी। सूत्रों की मानें तो तय समय पर कुछ ही केन्द्रों में खरीदी कार्य शुरु हो पाया था। ज्यादातर केन्द्रों में निर्धारित समय से कई हफ्ते बाद खरीदी शुरु हो पाई थी, वो भी तब, जब आला अधिकारियों ने इस बारे में हस्तक्षेप करते हुए जल्द ही सभी जगह उपार्जन शुरु कराने के निर्देश जारी किए। सूत्रों का यह भी कहना है कि जिन केन्द्रो में देर से उपार्जन कार्य शुरु हुआ था, उनमें से कई जगहों पर अव्यवस्थाओं को लेकर लगातार शिकायतें सामने आई हैं। हालांकि, आला अफसरों के निर्देशों के बाद जिम्मेदारों ने थोड़ी मुस्तैदी दिखाई, लेकिन फिर भी खरीदी प्रक्रिया के लिए तैयार किए गए रोडमैप के अनुसार उपार्जन गतिविधि संचालित नहीं हो सकी।

केन्द्रों में अभी भी लगा है अंबार
निर्धारित तिथि के अनुसार खरीदी भले ही औपचारिक तरीके से पूरी होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन खरीदी केन्द्रों में अब भी धान का अंबार लगा हुआ है। अधिकारी भले ही कितने भी दावे कर लें कि खरीदी के साथ ही परिवहन का काम भी तेजी से कराया गया है पर मण्डियों में जगह-जगह रखा धान का स्टॉक कुछ और ही बयां कर रहा है। केन्द्रों में रखी धान को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि परिवहन के कार्य में कितनी गंभीरता बरती जा रही है। सूत्रों का यह भी कहना है कि जिस गति से परिवहन किया जा रहा है, उससे अभी खरीदी गई धान को गोदामों तक सुरक्षित पहुंचाने में समय लग सकता है। बताया जाता है कि परिवहन में देरी का प्रमुख कारण बारदानों की कमी भी है।  उधर, जिम्मेदार अधिकारियों का दावा है कि दो लाख सात हजार मैट्रिक टन धान का परिहवन किया जा चुका है।

242 करोड़ का भुगतान : डीएमओ
डीएमओ रोहित सिंह बघेल ने बताया कि जिले के समस्त खरीदी केन्द्रों पर 2 लाख 13 हजार मैट्रिक टन धान का उपार्जन हुआ है। इसके लिए किसानों को अब तक करीब 242 करोड़ रुपए का भुगतान किया जा चुका है। जल्द ही बाकी बचे किसानों को भी भुगतान किया जाएगा।

Created On :   15 Jan 2018 6:39 PM GMT

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