कृषि कर्ज में चंद्रपुर फिसड्डी, वित्तमंत्री के गृह जिले में किसानों को वित्त देने से मुकर गए 28 बैंक

28 banks refusing loan to the farmers in chandrapur district of finance minister
कृषि कर्ज में चंद्रपुर फिसड्डी, वित्तमंत्री के गृह जिले में किसानों को वित्त देने से मुकर गए 28 बैंक
कृषि कर्ज में चंद्रपुर फिसड्डी, वित्तमंत्री के गृह जिले में किसानों को वित्त देने से मुकर गए 28 बैंक

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। राज्य सरकार ने कहा था कि विश्व में खेती जैसा सुंदर व पवित्र व्यवसाय दूसरा कोई नहीं है। कृषि, पानी, वन व जंगल पर आधारित विकास का नियोजन किया गया है, परंतु अब यही नियोजन चंद्रपुर जिले में फिसड्डी साबित हुआ है। कर्जमाफी पर घिरी राज्य सरकार ने बीते दिनों लाखों किसानों का कर्ज माफ कर राहत तो दे दी, लेकिन खरीफ के लिए ३० सितंबर की मियाद में बैंकों द्वारा किसानों के लिए कर्ज के लक्ष्य को पूर्ण नहीं किया गया। 58  प्रतिशत पर पहुंचकर यह नियोजन धराशायी हो गया। सरकार, स्थानीय जनप्रतिनिधि, जिला प्रशासन, कृषि विभाग आदि की नाकामी के कारण जिले की तकरीबन 28  बैंक शाखाओं ने क्रॉप लोन पर ठेंगा दिखा दिया। 

18  बैंकों ने किसी किसान को नहीं दिया क्रॉप लोन
किसानों की हितैशी होने का दावा करनेवाले कृषि विभाग, जिला प्रशासन एवं सरकार में बैठे जनप्रतिनिधियों ने घाटे में चल रही खेती को उभारने के लिए कोई खास कदम अब तक नहीं उठाए हैं। 1  अप्रैल 2018  के नियोजन के अनुसार यह तय किया गया था कि जिले के किसानों के लिए खरीफ फसल के लिए  932 करोड़ 36  लाख एवं रबी के लिए 103 करोड़  91 लाख रुपए का फसल कर्ज जिले के विविध 36  बैंकों की शाखाओं के माध्यम से दिया जाएगा। हैरत की बात है कि इनमें से 18  बैंकों ने क्षेत्र के किसी एक किसान को फूटी कौड़ी भी क्रॉप लोन के तौर पर नहीं दी। जबकि 10  ऐसी बैंक शाखाएं हैं, जिन्होंने अपने लक्ष्य की तुलना में 20 प्रतिशत कर्ज की राशि भी वितरित नहीं की। यह हालत बेहद चिंताजनक हैं।

कर्ज देने से मुकर गए यह बैंक
चंद्रपुर जिले के दो दिग्गज मंत्री सत्ता में हैं। किसानों के हित में प्रकाशित पुस्तिकाओं में उनके कार्यों का बखान भी होता है। बावजूद अनेक बैंकों ने किसानों को कर्ज नहीं दिया। इनमें देना, पीएनबी, यूको, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, सिंडिकेट, अलाहाबाद, आंध्र, बैंक ऑफ बड़ौदा, कैनेरा बैंक, इंडियन ओवरसिर आदि शामिल हैं।

शहरी क्षेत्र की बैंकों से लक्ष्य घटा
जिले में क्रॉप लोन के लिए जो नियोजन किया गया था, वह पूर्णत: सफल नहीं हो पाया है। जिले के सभी बैंकों के लिए लक्ष्य तय किया गया था, परंतु शहरी क्षेत्र में आने वाली बैंकों के माध्यम से किसानों को कर्ज देना संभव नहीं हो सका। सिंडेकेट, देना एवं पीएनबी बैंक की ग्रामीण शाखाएं नहीं हैं। जीरो परफॉर्मेंस देनेवाली बैंकों की कर्ज वितरण में की गई लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा।    
-शंभुनाथ झा, अग्रणी जिला प्रबंधक, बैंक ऑफ इंडिया, चंद्रपुर

82560  किसानों को मिला लाभ
जिले का भौगोलिक क्षेत्र 1091800  हेक्टेयर है। इसमें से 517200  हे. कृषि योग्य भूमि है। इस बार खरीफ के लिए 447600  हे. में धान, सोयाबीन, कपास, तुअर एवं ज्वारी की बुआई का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। 1 अप्रैल से 30  सितंबर 2018  तक बैंकों द्वारा फसल कर्ज देने का आह्वान सरकार ने किया था। बावजूद जिले के मात्र 82560  किसानों में 932.36  करोड़ में से 526.81 करोड़ का कर्ज ही बंटा है।

बैंक अधिकारियों की मनमानी
बैंक अधिकारियों की मनमानी के कारण क्रॉप लोन का लक्ष्य पूर्ण नहीं हो पाया। नियोजन के बाद किसानों तक न पहुंचने, लोन की जटिल शर्तों को शिथिल न करने तथा समय-समय पर समीक्षा नहीं किए जाने से यह स्थिति निर्माण हुई।

तेजी से बढ़ रहा साहूकारी का ग्राफ
जहां एक ओर फसल कर्ज देने में जिले के अनेक बैंक नाकाम रहे हैं, वहीं दूसरी ओर जिले में वैध साहूकारी का आंकड़ा 275 को पार कर चुका है। लाइसेंसधारी यह साहूकार खेत या अन्य वस्तुओं के गिरवी रखने पर सालाना 12 प्रतिशत एवं बिना गिरवी के18  प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज देते हैं। इस कुचक्र में किसान फंसकर अपनी संपत्ति को गंवा देता है। जबकि जिले में इस बार 62  वैध साहूकारों ने अब तक अपने लाइसेंस का रिन्यूअल नहीं करवाया है। मात्र 500  रुपए फीस पर रिन्यूअल एवं लेट चार्ज 500  रुपए पर इन्हें लाइसेंस मिल जाता है। ब्याज के व्यवसाय पर सरकार को महज 1 प्रतिशत का राजस्व मिलता है। इस वैध साहूकारी के अलावा जिले में गुप्त ढंग से ब्याज पर कर्ज देनेवाले अवैध साहूकारों की गणना करना बेहद मुश्किल है। बैंक कर्ज न मिलने पर यही साहूकार किसानों का काल बन जाते हैं।

Created On :   12 Oct 2018 10:08 AM GMT

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