पड़ोस से आए 3 करोड़ अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलने से ठीक होगी ऐतिहासिक गलती : आरएसएस (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

3 crore minorities from the neighborhood will be corrected by getting citizenship: Historical mistake: RSS (IANS Exclusive)
पड़ोस से आए 3 करोड़ अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलने से ठीक होगी ऐतिहासिक गलती : आरएसएस (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)
पड़ोस से आए 3 करोड़ अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलने से ठीक होगी ऐतिहासिक गलती : आरएसएस (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

नई दिल्ली, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार के नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को काफी उम्मीदें हैं। संघ का मानना है कि इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़न के चलते भागने को मजबूर हुए तीन करोड़ से अधिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। इन अल्पसंख्यकों में हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी शामिल हैं।

संघ ने इस विधेयक को ऐतिहासिक भूल सुधार की कोशिश बताते हुए कहा है, देश का विभाजन हमारी गलती थी। पड़ोसी मुस्लिम देशों में उत्पीड़न के शिकार हिंदू आदि अल्पसंख्यकों को नागरिकता मिलने से गलती दुरुस्त होगी। संविधान सभा में भी इसको लेकर बहस हो चुकी है।

केंद्रीय कैबिनेट से 4 दिसंबर को विधेयक की मंजूरी के बाद अगले हफ्ते लोकसभा और राज्यसभा में इस विधेयक को पेश किए जाने की संभावना है।

संघ का मानना है कि भाजपा विरोधी दल भी इस विधेयक का समर्थन करेंगे। विधेयक के ड्राफ्ट में धार्मिक उत्पीड़न की वजह से पड़ोसी देशों से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आने वाले गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रस्ताव है।

आरएसएस के अखिल भारतीय स्तर के एक शीर्ष पदाधिकारी ने शुक्रवार को यहां आईएएनएस को बताया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आकर यहां रह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों की संख्या करीब दो से तीन करोड़ है जिन्हें यह विधेयक भारतीय नागरिक बनकर सम्मान से जीने का मौका देगा।

नागरिकता संशोधन विधेयक के जरिए सिर्फ गैर मुस्लिमों को नागरिकता देने के प्रस्ताव पर हो रही आलोचनाओं की संघ को परवाह नहीं है।

संघ के शीर्ष पदाधिकारी ने कहा, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की तुलना उन कट्टरपंथी देशों के बहुसंख्यक समुदायों के घुसपैठियों से नहीं की जा सकती जो अवैध तरीके से भारत में आए हैं। तीनों देशों में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षा देना भारत की नैतिक जिम्मेदारी है। उत्पीड़न का शिकार अल्पसंख्यकों की तुलना अवैध घुसपैठियों से नहीं की जा सकती। अगर किसी को रहना है तो वह वर्क परमिट लेकर रहे। संघ नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को हिंदू-मुस्लिम चश्मे से देखने का विरोध करता है। बिल के बारे में बहुत सी गलत चीजें कहीं जा रहीं हैं। ऐसे में हम एक वेबसाइट भी लांच कर रहे हैं, जिसमें अल्पसंख्यकों की नागरिकता को लेकर देश में अब तक चली बहसों के साथ अन्य तमाम जानकारियां हैं।

Created On :   6 Dec 2019 3:00 PM GMT

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