निर्जला एकादशीः भीम ने स्वयं रखा था ये कठिन व्रत

5 June: Nirjala ekadashi vrat katha in hindi
निर्जला एकादशीः भीम ने स्वयं रखा था ये कठिन व्रत
निर्जला एकादशीः भीम ने स्वयं रखा था ये कठिन व्रत

टीम डिजीटल, धर्म डेस्क. वैसे तो भगवान विष्णु के किसी भी व्रत पूजन का अलग ही महत्व है लेकिन आज हम आपको यहां एक ऐसे व्रत के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे पांच पांडवों में भीम स्वयं रखते थे. इस व्रत को रखने से उसी प्रकार पुण्य की प्राप्ती होती है जैसे भीम को हुई थी. आइए यहां जानते हैं एकादशी व्रत का महत्व...

आज है 5 जून निर्जला एकादशी मनाई जा रही है. इसे भीमसेनी या पांडव एकादशी भी कहते हैं. कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से साल भर की एकदाशी का पुण्य प्राप्त हो जाता है. सबसे कठिन ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी होती है. भगवान विष्णु को यह एकादशी बहुत प्रिय हैं. इस दिन स्नान, दान और व्रत का बहुत महत्व है. ऐसी मान्यता है कि निर्जला एकादशी के दिन व्रत रख कथा सुनने से निश्चय ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

ये है कथा 
पांडवों में भीमसेन सबसे अधिक खाने वाले थे. इनके लिए सबसे कठिन कार्य था भूखे रहना. इस कारण से यह कोई व्रत नहीं करते थे. लेकिन अन्य सभी भाई एकादशी व्रत रखते थे. एक बार महर्षि व्यास जी पांडवों के पास आए तो भीमसेन अपना प्रश्न लेकर महर्षि के पास पहुंचे. भीमसेन ने व्यास जी से पूछा कि मेरे सभी भाई एकादशी व्रत के पुण्य से स्वर्ग जाएंगे लेकिन मैं तो भूखा रह नहीं सकता तो ऐसे में मुझे स्वर्ग की प्राप्ति कैसे होगी. महर्षि व्यास जी ने भीम को सलाह दी कि तुम ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करो.एक मात्र यही व्रत है जिसे करने से तुम्हें अन्य कोई व्रत करने की जरूरत नहीं है. केवल इसी व्रत से स्वर्ग की प्राप्ति हो जाएगी.


इनका करें दान
-साथ ही भगवान विष्णु के मंत्र- 'ऊं नमो भगवते वासुदेवाय:' का जाप दिन-रात करते रहना चाहिए.
-गोदान, वस्त्र दान, छत्र, जूता, फल आदि का दान करना चाहिए. 
-इस दिन बिना पानी पिए जरूरतमंद आदमी को हर हाल में शुद्ध पानी से भरा घड़ा यह मंत्र पढ़ कर दान करना चाहिए. 

 

Created On :   5 Jun 2017 6:22 AM GMT

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