ग्लोबल वार्मिंग: कॉफी की 60 फीसदी जंगली प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर

60% of wild coffee varieties in danger due to global warming
ग्लोबल वार्मिंग: कॉफी की 60 फीसदी जंगली प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर
ग्लोबल वार्मिंग: कॉफी की 60 फीसदी जंगली प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर
हाईलाइट
  • ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जंगली क्षेत्रों में कॉफी की नस्लों को हो रहा है नुकसान
  • जंगली क्षेत्रों में पाई जाने वाली कॉफी की 60 प्रतिशत प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर
  • ब्रिटिश बॉटनिस्ट एरॉन डेविस की रिसर्च रिपोर्ट में सामने आए हैं चौंकाने वाले फैक्ट्स

डिजिटल डेस्क, भास्कर। जंगली क्षेत्रों में पाई जाने वाली कॉफी की बेजोड़ प्रजातियों में से 60 प्रतिशत प्रजातियां खतरे में हैं और इसका बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग है। एक बॉटनिस्ट की रिसर्च रिपोर्ट में यह निष्कर्ष सामने आया है। करीब 30 सालों से दुनियाभर के जंगलों और खेतों में कॉफी की पौधों का अध्ययन कर रहे ब्रिटिश बॉटनिस्ट एरॉन डेविस ने यह रिसर्च रिपोर्ट तैयार की है।

बेहद ही चौंकाने वाली इस रिसर्च में डॉ. डेविस ने पाया कि करीब 3 महाद्वीपों के जंगली क्षेत्रों में पाई जाने वाली कॉफी की दर्जनों प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। इनमें से ज्यादातर कॉफी की उन्नत नस्लें पैदा करने वाले परंपरागत क्षेत्र हैं। इनमें इथोपिया भी शामिल है जो कॉफी की विश्व प्रसिद्ध प्रजाति अरेबिका के लिए जाना जाता है।

डॉ. डेविस और उनके साथियों ने बुधवार को ये रिसर्च पेपर "साइंस एडवांसेस एंज ग्लोबल चेंज बायोलॉजी" में प्रकाशित किए। रिसर्च के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के चलते गरम क्षेत्रों में आने वाले समय में कॉफी के पौधों का पनपना मुश्किल हो जाएगा, ऐसे में ठंडे क्षेत्रों में कॉफी की खेती के विकल्प तलाशने होंगे। डॉ. डेविस का कहना है कि कॉफी की नस्लों के विलुप्त होने से वे लाखों किसान भी प्रभावित होंगे, जिनके गुजारे के लिए कॉफी की खेती ही एकमात्र विकल्प है।

Created On :   18 Jan 2019 1:26 PM GMT

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