महाराष्ट्र में 600 से अधिक कैदी भगोड़े, नागपुर सेंट्रल जेल से 11 फरार

600 prisoners are fugitive, 11 absconded from Nagpur central jail
महाराष्ट्र में 600 से अधिक कैदी भगोड़े, नागपुर सेंट्रल जेल से 11 फरार
महाराष्ट्र में 600 से अधिक कैदी भगोड़े, नागपुर सेंट्रल जेल से 11 फरार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य की विविध जेलों में सजा भुगत रहे कैदियों को संचित रजा (फर्लो छुट्टी) आैर अभिवचन रजा (पैरोल छुट्टी) पर छोड़ा जाता है। इन दोनों छुट्टियों की समयावधि पूरी होने पर कैदी को वापस जेल में आना पड़ता है, लेकिन अधिकांश कैदी पैरोल और फर्लो पर छोडे़ जाने के बाद जेल में वापस ही नहीं लौटते हैं। सूत्रों के अनुसार पिछले करीब 3 सालों में राज्य की जेलों से पैरोल और फर्लो पर 3 हजार से अधिक कैदियों को अवकाश पर छोड़ा गया, लेकिन 600 से अधिक कैदियों की तलाश की जा रही है। यह अवकाश पर जाने के बाद वापस ही नहीं लौटे। 

तीन वर्ष से फरार हैं 11 कैदी
नागपुर की सेंट्रल जेल को भी 11 फरार कैदियों की तलाश है। यह कैदी तीन वर्ष से फरार हैं। नागपुर की सेंट्रल जेल से हर माह 8 से 10 कैदी अवकाश पर छोड़े जाते हैं। जेल से छोड़ते समय हिदायत देने के बाद भी वह जेल में वापस नहीं आते हैं। 

सूत्रों ने बताया कि राज्य की नाशिक जेल के फरार कैदियों की संख्या 150 के आस-पास है, यह संख्या अन्य जेलों की तुलना में सर्वाधिक है। कुछ अन्य जेलों के फरार कैदियों की तस्वीर भी उपलब्ध नहीं है, जिससे उनकी खोजबीन में पुलिस को परेशानी होती है। ऐसे समय में पुलिस जमानतदार के नाम व पते की तलाश करती है। पुलिस थानों में काम का बोझ इतना है कि वह फरार कैदी की तलाश करने के लिए समय ही नहीं निकाल पाते हैं। मुंबई, ठाणे, अमरावती, येरवडा, कोल्हापुर सहित अन्य जेलों से भी फरार कैदियों की तलाश के मामले का यही हाल है। 

25 प्रतिशत कैदियों पर गंभीर केस  
इन फरार कैदियों में करीब 25 प्रतिशत कैदियों पर हत्या, हत्या के प्रयास जैसे अन्य गंभीर अपराध दर्ज हैं, जिसकी यह सजा भुगत रहे थे। इन फरार कैदियों के खिलाफ जेल प्रशासन संबंधित थाने में धारा 224 के तहत मामला दर्ज कराता है। ऐसे फरार कैदियों के रिकार्ड थाने की फाइलों में दम तोड़ रहे हैं।

कैदियों की तलाश जारी
राज्य की दूसरी जेलों का पता नहीं, लेकिन नागपुर की सेंट्रल जेल से पैरोल और फर्लो पर छोड़े गए कैदियों में से 11 कैदी अभी भी फरार हैं। तीन साल से उनकी तलाश की जा रही है। इन कैदियों के खिलाफ धारा 224 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन कैदियों को जल्द ही तलाश कर लिया जाएगा। 
रानी भोसले, अधीक्षक, सेंट्रल जेल, नागपुर

पैरोल और फर्लो में ये होता है अंतर

सजायाफ्ता कैदियों को पैरोल और फर्लो ऐसी दो प्रकार की छुट्टियों (अवकाश) छोड़ा जाता है। फर्लो अवकाश हर कैदी का अधिकार होता है। सजा की विशिष्ट समयावधि पूर्ण करने पर उसके बर्ताव और स्थानीय पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर कैदियों को यह छुट्टियां दी जाती हैं। 

पैरोल अवकाश को तब दिया जाता है जब कैदी का रिश्तेदार बीमार हो, यह विभागीय आयुक्त मंजूर करते हैं। पैरोल देने के लिए उस कैदी पर जिस थाने में अपराध दर्ज है। उस थाने से उसके बारे में रिपोर्ट , कारागृह में उसके बर्ताव की रिपोर्ट, रिश्तेदार के बीमार होने की रिपोर्ट को संबंधित विभागीय आयुक्त के पास भेजा जाता है। 

यह सब देखकर विभागीय आयुक्त कार्यालय की आेर से संबंधित कैदी को 7 से 30 दिनों तक संचित रजा (फर्लो) मंजूर की जाती है। अवकाश बढ़ाने की प्रक्रिया दोबारा पूरी करनी पड़ती है। सूत्र बताते हैं कि  कारागृह महानिरीक्षक 14 दिनों की संचित रजा दे सकता है। उसमें दोबारा 14 दिन और बढ़ाने का अधिकार भी उनकाे है।

प्रदेश की स्थिति
नाशिक विभाग की जेल से तीन वर्ष में अवकाश पर छोड़े गए 150 से अधिक  कैदी फरार हैं। अमरावती मध्यवर्ती कारागृह से 100 से अधिक कैदी अवकाश पर छोडे गए। इसमें 25 प्रतिशत कैदी की खोजबीन हो रही है। मुंबई से 16, बीड़ जिले से 14, येरवडा मध्यवर्ती कारागृह से 70, कोल्हापुर मध्यवर्ती कारागृह 20, येरवडा खुली जेल से 3, मुंबई मध्यवर्ती कारागृह से 3, ठाणे मध्यवर्ती आैर रत्नागिरी विशेष कारागृह से प्रत्येक 3, पैठण खुली जेल से 10 कैदियों के अवकाश पर जाने के बाद उनके फरार होने की जानकारी सूत्रों ने दी है। इनमें कुछ महिला कैदियों का समावेश बताया गया है। सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2015 में राज्य की 17 जेलों में विविध अपराधों में सजा भुगत रहे 1500 से अधिक कैदियों को संचित आैर अभिवचन रजा मंजूर की गई थी। इसमें से करीब 250 कैदी फरार हो गए थे।
 

Created On :   4 Sep 2018 6:28 AM GMT

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