कठुआ-उन्नाव गैंगरेप: दुनिया भर के 600 शिक्षाविदों का पीएम मोदी को खुला पत्र

कठुआ-उन्नाव गैंगरेप: दुनिया भर के 600 शिक्षाविदों का पीएम मोदी को खुला पत्र

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कठुआ-उन्नाव गैंगरेप को लेकर देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी नाराजगी देखी जा रही है। इन मामलों को लेकर दुनिया भर के 600 से ज्यादा शिक्षाविदों और विद्वानों ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खुला पत्र लिखा है। इस पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी को लेकर सवाल खड़े किए गए है।

क्या लिखा है पत्र में?
- शिक्षाविदों और विद्वानों ने कठुआ-उन्नाव और अन्य घटनाओं को लेकर गुस्से का इजहार किया है।

- शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री मोदी पर देश में बने गंभीर हालात पर चुप्पी साधे रहने का आरोप लगाया है।

- पत्र में लिखा है, "हमने देखा है कि देश में बने गंभीर हालत पर और सत्तारूढ़ों के हिंसा से जुड़ाव के निर्विवाद संबंधों को लेकर आपने लंबी चुप्पी साध रखी है।"

- न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, ब्राउन विश्वविद्यालय, हार्वर्ड, कोलंबिया विश्वविद्यालय और विभिन्न आईआईटी के शिक्षाविदों और विद्वानों ने इस पत्र में हस्ताक्षर किए हैं।

यहां हम आपको ये भी बता दें कि शिक्षाविदों का ये पत्र ऐसे समय में आया है जब शनिवार को मोदी कैबिनेट ने यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम (पॉक्‍सो एक्ट) में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इस प्रस्ताव के तहत 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप करने वाले अपराधियों को फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है।

वहीं इससे पहले 49 रिटायर्ड अफसरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ओपन लेटर लिखा था। इस लेटर में इन घटनाओं के लिए प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराया गया था।  

ओपन लेटर में रिटायर्ड अफसरों ने क्या लिखा था? 
- प्रधानमंत्री मोदी को लिखे इस ओपन लेटर में रिटायर्ड अफसरों ने कहा है "8 साल की बच्चे साथ रेप और फिर मर्डर से पता चलता है कि हमारा स्तर कितना गिर चुका है। आजागी के बाद ये हमारे देश का सबसे अंधकार भरा वक्त है। इन सब घटनाओं से पता चलता है कि हमारी सरकार, राजनीतिक पार्टियां और उनके नेता कितने कमजोर हैं।"

- इसमें लिखा गया है कि "कठुआ और उन्नाव की घटनाएं सामान्य अपराध नहीं है, जो समय के साथ ठीक हो जाएंगी। इन घटनाओं ने हमारे सामाजिक ताने-बाने पर गहरी चोट की है। हमें जल्द ही इस ताने-बाने को ठीक करना होगा। ये समय हमारे अस्तित्व के संकट का समय है।"   

- लेटर में पीएम मोदी को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा है "हमें उम्मीद थी कि संविधान की रक्षा की शपथ लेने वाली सरकार के मुखिया के नाते आप इन गिरते हालातों को संभालने के लिए आगे आएंगे। खासतौर पर अल्पसंख्यकों और कमजोर तबकों को भरोसा दिलाया जाएगा कि उनकी जीवन और आजादी की रक्षा होगी, लेकिन ये उम्मीद भी टूट गई।"

- आगे लिखा है "कठुआ और उन्नाल की घटनाएं बताती हैं कि जनता ने जो बुनियादी जिम्मेदारी सरकार को सौंफी थी, उसे निभाने में सरकार नाकाम रही है। हमारा देश हमेशा नैतिक, आध्यात्मिक, सहिष्णुता और सबसे प्रेम की संस्कृति को अहमियत देता है और इसी पर हमें गर्व है। लेकिन हिंदू के नाम पर किसी दूसरे इंसान के साथ क्रूरता से पेश आना, एक इंसान के तौर पर हमें फेल बनाता है।"

- इस लेटर में अफसरों ने लिखा कि "भले ही आपने इन घटनाओं की निंदा की है और इसे शर्मनाक बताया है, लेकिन आपने न तो इसके पीछे काम कर रही सांप्रदायिक भावना की निंदा की और न ही इसे दूर करने के लिए किसी तरह का सामाजिक, राजनीतिक या एडमिनिस्ट्रेटिव संकल्प दिखाया, जिसके तहत इस तरह की सांप्रदायिक घटनाएं होती हैं।" 

Created On :   22 April 2018 2:13 AM GMT

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