बीएमसी के ई-टेंडर घोटाले में 62 इंजीनियर दोषी, एनजीटी ने बिल्डर पर लगाया 1 करोड़ का जुर्माना 

62 engineers guilty in BMC e-tenders scam, NGT imposes Rs 1 crore fine on builder
बीएमसी के ई-टेंडर घोटाले में 62 इंजीनियर दोषी, एनजीटी ने बिल्डर पर लगाया 1 करोड़ का जुर्माना 
बीएमसी के ई-टेंडर घोटाले में 62 इंजीनियर दोषी, एनजीटी ने बिल्डर पर लगाया 1 करोड़ का जुर्माना 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महानगर पालिका (बीएमसी) में हुई ई-टेंडर घोटाले की रिपोर्ट पांच साल बाद सामने आई है। इस मामले में एक वरिष्ठ अधिकारी सहित 62 इंजीनियर दोषी पाए गए हैं।  मनपा प्रशासन ने इस मामले में दोषी पाए गए अधिकारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी है। वर्ष 2014 में अंतिम समय में 600 करोड़ का ठेका दिया गया था। बाद में इस मामले की जांच के लिए समिति नियुक्त की गई थी। अब पांच साल बीतने के बाद समिति की रिपोर्ट सामने आई है। एक सहायक आयुक्त, 16 कार्यकारी इंजीनियर, एक सहायक इंजीनियर, 37 सहायक इंजीनियर और 8 जूनियर इंजीनियर इस मामले में दोषी पाए गए हैं। 

पर्यावरण नियमों के उलंघन पर एनजीटी ने बिल्डर पर लगाया 1 करोड़ का जुर्माना 

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक रिहायसी प्रोजेक्ट के निर्माण में पर्यावरण से जुड़े नियमों के उल्लंघन के लिए मुंबई के जाने-माने बिल्डर रुस्तमजी डेवलपर पर एक करोड़ रुपए का अंतरिम जुर्माना लगाया है।  ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में साफ किया है कि महानगर के बांद्रा इलाके में बिल्डर ने पर्यावरण की मंजूरी के बिना ही निर्माण कार्य शुरु कर दिया था। ट्रिब्युनल ने इस मामले में एक पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है जो इसका मूल्यांकन करेगी की बिल्डर के इस प्रोजेक्ट से इलाके के पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा। ट्रिब्यूनल ने कहा कि कमेटी की इस रिपोर्ट पर गौर करने के बाद बिल्डर पर अतिरिक्त जुर्माने की रकम व जवाबदेही तय की जाएगी। फैसले में कहा कि है कि मुंबई पहले से प्रदूषण का सामना कर रही है। ऐसे में किसी भी बिल्डर को पर्यावरण से जुड़ी अनुमति के बिना निर्माण कार्य शुरु करने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा बिल्डर ने इमारत में 16 फ्लैट नियमों के विपरीत बनाए हैं। हर फ्लैट 6 करोड रुपए में बेचा गया है। नियमानुसार यदि प्रोजेक्ट के विस्तार के लिए आवेदन किया गया था तो इस आवेदन को सरकार की विशेषज्ञों की कमेटी को देखना जरुरी है। कमेटी की सिफारिस के आधार पर ही सरकार की पर्यावरण से जुड़ी कमेटी मंजूरी दे सकती है। लेकिन बिल्डर ने इस मामले में मंजूरी से जुड़ी प्रक्रिया को पूरी तरह से नजर अंदाज किया है। इस मामले में अधिवक्ता आदित्य प्रताप सिंह ने याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रखा। 
 

Created On :   13 Feb 2019 4:22 PM GMT

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