प्लास्टिक की बनी ये चीजें हो सकती है खतरनाक, जान लें ये जरूरी बातें

7 types of plastic can be dangerous,know about them before use
प्लास्टिक की बनी ये चीजें हो सकती है खतरनाक, जान लें ये जरूरी बातें
प्लास्टिक की बनी ये चीजें हो सकती है खतरनाक, जान लें ये जरूरी बातें

डिजिटल डेस्क । भारत में प्लास्टिक पॉलीथिन पर कई राज्यों में बैन लग चुका है, लेकिन कुछ राज्यों में इन पर बैन या तो लगा ही नहीं है या फिर बैन के बाद भी इनका इस्तेमाल बदस्तूर जारी है। प्लास्टिक पॉलीथिन्स पर बैन का एक बड़ा कारण पॉल्यूशन कंट्रोल करना है और दूसरी चीन से भारत के खट्टे रिश्ते। यही वजह है कि हमारे पड़ोसी देश से आने वाले कई सामानों का भारतीयों ने बहिष्कार किया है। दुनियाभर में प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर रोक लगाने की चर्चा हो रही है, लेकिन सवाल ये है कि आखिर अचानक ही क्यों प्लास्टिक बैन को लेकर मांग तेज हो गई है।

दरअसल हमारे लंच बॉक्स से लेकर बैग, खाने के कंटेनर, पर्दे, फर्नीचर, चश्मे, पानी की बोतल, ग्लास आदि सभी चीजें प्लास्टिक से ही बनी हुई होती हैं। प्लास्टिक हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है, लेकिन कम लोग जानते हैं कि इन सभी चीजों में इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक अलग-अलग प्रकार का होता है और इसका असर भी अलग-अलग होते हैं। बता दें, दुनियाभर में 7 तरह के प्लास्टिक इस्तेमाल किए जाते हैं। सभी प्लास्टिक को अलग-अलग कोड दिए गए हैं, जिनसे इनकी पहचान होती है।

आज हम जानेंगे कि वो कौनसा प्लास्टिक है जो सबसे खतरनाक है कौनसे कम खतरनाक होता है, वैसे तो सभी प्लास्टिक जहरीले और नुकसानदायक होते हैं। इन सभी कोड वाले प्लास्टिक का जहरीलापन एक दूसरे से काफी अलग होता है। अच्छा होगा कि प्लास्टिक से बनी चीजों का कम से कम इस्तेमाल करें, लेकिन अगर इन्हें इस्तेमाल करना आपकी मजबूरी है, तो ऐसे प्लास्टिक का उपयोग करें जो थोड़ा कम जहरीला होता है। आम तौर पर 2, 4 और 5 कोड वाले प्लास्टिक 1, 3, 6 और 7 कोड वाले प्लास्टिक से बेहतर होते हैं।

 

कोड 1 प्लास्टिक

कोड 1 प्लास्टिक में पॉलीएथिलीन टेराफ्थलेट मौजूद होता है। पॉलिएस्टर का कपड़ा, बोतल, जूस, माउथवॉश, जैम, पानी आदि चीजों की बोतल इसी प्लास्टिक की मदद से बनाई जाती हैं। 

 

इससे होने वाले नुकसान

पॉलीएथिलीन टेराफ्थलेट में लीच एंटीमोनी ट्राइऑक्साइड और phthalates शामिल होते हैं। ये दोनों ही सेहत के लिए काफी खतरनाक होते हैं। एंटीमोनी ट्राइऑक्साइड से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा रहता है। इसके अलावा इसके इससे स्किन संबंधी समस्या, पीरियड्स और प्रेग्नेंसी में भी दिक्कत हो सकता है।

 

कोड 2 प्लास्टिक

कोड 2 प्लास्टिक में हाई डेंसिटी पॉलिथीन पाई जाती है। दूध, जूस, शैंपू, डिट्रजेंट और कुछ दवाइयों की बोतल कोड 2 प्लास्टिक की बनी होती हैं। हालांकि इस प्लास्टिक को कम प्रयोग करने से ज्यादा नुकसान नहीं होता है।

 

कोड 3 प्लास्टिक

इस प्लास्टिक में पॉलीविनाइल क्लोराइड मौजूद होता है। पॉलीविनाइल क्लोराइड बच्चों के खिलौने, माउथवॉश की बोतल, कार्पेट के निचले हिस्से, खिड़कियों के फ्रेम, शैंपू की बोतल आदि चीजों में इस्तेमाल किया जाता है। अगर आप ये प्लास्टिक ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं, क्योंकि ये प्लास्टिक सबसे ज्यादा खतरनाक होता है।

इसमें बिस्फेनॉल (BPA), लैड, मर्करी, डाइऑक्सीन, कैडमियम मौजूद होते हैं। इससे अस्थमा होता है। बच्चों को एलर्जी होती है, साथ ही ये वातावरण पर भी बुरा असर डालता है। इससे कैंसर होने की संभावना भी सबसे ज्यादा रहती है, जिसमें मुख्य रूप से ब्रेस्ट कैंसर होता है।

 

कोड 4 प्लास्टिक

इस कोड के प्लास्टिक मे लो डेंसिटी पॉलिथीन (LDPE) पाया जाता है। पॉली बैग, ब्रेड, फ्रोजन फूड, गार्बेज, तार का केबल, खाना रखने के डब्बे आदि कोड 4 वाली प्लास्टिक से बनाए जाते हैं। ये प्लास्टिक दूसरे प्लास्टिक के मुकाबले कम नुकसान पहुंचाता है।

 

कोड 5 प्लास्टिक

इसमें पोलीप्रोपलीन (PP) मौजूद होते हैं। ये प्लास्टिक बच्चों के डायपर, सैनिट्री नैप्किन, बच्चों की बोतल, स्ट्रॉ, चीज, दही, कैचअप की बोतल के ढक्कन इसी प्लास्टिक से बनाए जाते हैं। ये प्लास्टिक वैसे तो ज्यादा खतरनाक नहीं होता है लेकिन इससे अस्थमा हो सकता है।

 

कोड 6 प्लास्टिक

इस प्लास्टिक में पॉलीस्टीरीन (PS) पाया जाता है। इस प्लास्टिक का सबसे ज्यादा असर नर्वस सिस्टम और दिमाग पर पड़ता है। जानवरों पर हुई कई स्टडी में सामने आ चुका है कि कोड 6 वाले प्लास्टिक से फेफड़े, लिवर, और इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचता है।

 

कोड 7 प्लास्टिक

कोड 7 प्लास्टिक में पॉलीकार्बोनेट (PC) मौजूद होता है। पानी की बोतल, पानी के बड़े कंटेनर , बच्चों की बोतल, कप, बेकिंग बैग, कैचअप और जूस के कंटेनर, चश्मे के लेंस, सीडी, डीवीडी आदि चीजों में कोड 7 प्लास्टिक शामिल होता है।

इस प्लास्टिक के इस्तेमाल से शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन डिस्ट्रब हो जाता है। पुरुषों के स्पर्म प्रोडक्शन में कमी आ सकती है। इसके अलावा इम्युनिटी पावर कमजोर होती है। डायबिटीज, इन्फर्टीलिटी, मोटापा, ब्रेस्ट कैसंर, प्रोस्टेट कैसंर, दिल से संबंधित बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है।

Created On :   7 July 2018 3:51 AM GMT

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