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नागपुर में 90% सीवेज वाटर का किया जा रहा ट्रीटमेंट
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मेट्रो सिटी के साथ स्मार्ट सिटी की ओर कदम बढ़ा रहा नागपुर अब और स्मार्ट बन गया है। नागपुर देश का पहला शहर बन गया है, जहां प्रतिदिन निकलने वाले सीवेज वाटर का 90 फीसदी उपचारित कर फिर से उपयोग में लाया जा रहा है। तीन वर्ष पूर्व नागपुर महानगरपालिका ने प्रतिदिन 130 एमएलडी सीवेज वाटर को उपचारित कर उसका फिर से उपयोग शुरू किया था। अब यह पहल प्रतिदिन 480 एमएलडी तक पहुंच चुका है। शहर में प्रतिदिन 525 एमएलडी सीवेज वाटर उत्पन्न होता है। शहर में आवासीय और वाणिज्यिक स्तर पर उत्पन्न होने वाले सीवेज के 90 फीसदी को उपचारित किया जा रहा है।
मनपा को नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन की ओर प्रतिदिन 150 एमएलडी उपचारित जल के फिर से उपयोग के लिए प्रस्ताव मिल चुका है। इसके साथ ही महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन (महाजेनको) भी 190 एमएलडी उपचारित जल के उपयोग का इरादा जाहिर कर चुका है। महाजेनको इसका उपयोग कोराड़ी और खापरखेड़ा स्थित थर्मल पावर इकाई में करेगा। दोनों इकाइयों को जलापूर्ति कर मनपा सीवेज वाटर को उपचारित करने की लागत निकाल सकता है।
भूजल स्रोतों में तेजी से गिरावट
नीति आयोग के अनुसार, वर्ष 2030 तक देश को भयावह जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। देश में जरूरत का 40 फीसदी पानी की आपूर्ति भूजल स्रोतों से होती है, जिसमें तेजी से गिरावट दर्ज हो रही है। जल संकट से निपटने के लिए सीवेज वाटर का उपचार और उसके फिर से उपयोग को बढ़ावा दिया जाना जरूरी है।
जलस्रोतों को करते हैं प्रदूषित
देश भर में बगैर उपचारित सीवेज वाटर जलस्रोतों जैसे नदी, तालाब, झीलों में गिरकर उन्हें प्रदूषित करते हैं। जल प्रदूषण का बड़ा कारण सीवेज वाटर का जलस्रोतों में मिलना है। बंगलुरु में अत्यधिक प्रदूषण के कारण बेलांदुर झील में झाग जमा हो चुका है।
अन्य शहरों का हाल
शहर सीवेज वाटर उपचार व
उत्पन्न उपयोग
बंगलुरु 1600 600
चेन्नई 580 460
दिल्ली 2600 1600
Created On :   22 Jan 2019 6:00 AM GMT