विद्युत कंपनी ने लगाया मंहगाई में तड़का, एवरेज बिल भरने को मजबूर 90 हजार उपभोक्ता

90000 electronic consumers are forced to pay the average bill
विद्युत कंपनी ने लगाया मंहगाई में तड़का, एवरेज बिल भरने को मजबूर 90 हजार उपभोक्ता
विद्युत कंपनी ने लगाया मंहगाई में तड़का, एवरेज बिल भरने को मजबूर 90 हजार उपभोक्ता

डिजिटल डेस्क, कटनी। विद्युत वितरण कंपनी 33 फीसदी उपभोक्ताओं को औसत बिजली बिल देकर मंहगाई में तड़का लगाने का काम कर रहा है। 2 लाख 75 हजार ग्राहकों में से 90 हजार ग्राहक ऐसे हैं, जिनके घर में बिजली की खपत कम हो या अधिक, उन्हें प्रत्येक माह एक निर्धारित शुल्क अदा करना पड़ता है। विभाग और उपभोक्ताओं के बीच कई बार तकरार की भी स्थिति निर्मित होती है। इसके बावजूद समय पर मीटर बदलने का काम विभाग के कर्मचारी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इसका नुकसान सिर्फ उपभोक्ताओं को ही उठाना पड़ रहा हो, बिजली विभाग के ऊपर भी इससे आर्थिक बोझ आता है।

आठ करोड़ का फटका
उपभोक्ताओं और बिजली विभाग के बीच झिकझिक को लेकर प्रत्येक माह करीब आठ करोड़ रुपए की राशि जमा नहीं हो पा रही है। इसमें मीटर के साथ अन्य कारण भी अधिकारी बता रहे हैं। जिले के तीन लाख उपभोक्ता हर माह औसतन 5 करोड़ यूनिट बिजली खर्च करते हैं। जिसकी डिमांड राशि करीब 31 करोड़ रुपए होती है। इसमें वसूली 20 से 23 करोड़ रुपए की होती है। इस तरह से आठ से नौ करोड़ रुपए की राशि लंबित हो जाती है। जानकारों ने बताया कि यदि विभाग मीटर लगा दे, तो इस तरह की परेशानियों से उपभोक्ताओं के साथ विभाग को भी छुटकारा मिल सकता है।

सैकड़ों शिकायतें लंबित
मीटर के टूट जाने और सही बिल नहीं आने की एक माह में एक हजार से भी अधिक शिकायत आती हैं। ऐसे में पुरानी शिकायतों में मीटर नहीं बदले जाने से इसका ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। वर्तमान समय में एक दिन में विभाग 150 से 200 मीटर ही बदल रहा है। ऐसे में पूरे मीटर बदलने में लंबा वक्त लग जाएगा। तब तक उपभोक्ता औसत बिजली बिल देकर ही अपनी जेब को ढीला करने के लिए मजबूर होंगे।

नुकसान के साथ फायदा
जिन उपभोक्ताओं का मीटर खराब हो जाता है। उनके तीन माह का बिजली बिल निकाला जाता है। तीन माह में जो खपत होती है, उसका औसत निकालकर उपभोक्ता को बिजली बिल दिया जाता है। औसत बिल के चक्कर में उपभोक्ताओं को नफा और  नुकसान दोनों उठाना पड़ता है। जिस उपभोक्ता का मीटर गर्मी के बाद खराब हुआ है। उसे औसत बिल के रुप में वह राशि भी चुकानी पड़ रही है। जिस समय वह घर में कूलर-पंखे का उपयोग करते थे। ठण्ड में खराब होने वाले मीटर में इसका विपरीत होता है।

इनका कहना है
यह स्थिति कई कारणों से बनी हुई है। कई जगहों पर मामूली खराबी ही मीटरों में है। खराब मीटर के बदले जाने को लेकर कार्य योजना तैयार कर ली गई है। इसके तहत लगातार मीटर भी बदले जा रहे हैं।
- पी.के. मिश्रा, अधीक्षणयंत्री एमपीईबी

 

Created On :   16 Jan 2019 7:32 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story