गजब : इस पेन के जमीन में फेंकने से उग आते हैं तुलसी के रोप

A student invent new pen for west plastic using, PM modi happy to this
गजब : इस पेन के जमीन में फेंकने से उग आते हैं तुलसी के रोप
गजब : इस पेन के जमीन में फेंकने से उग आते हैं तुलसी के रोप

डिजिटल डेस्क, पवनी (भंडारा )। पेन से भला तुलसी के रोप कैसे उग सकते हैं। यह सवाल किसी के भी जेहन में आ सकता है, लेकिन ऐसा कमाल हुआ है। यह कमाल किया है भंडारा की एक स्टूडेंट ने। स्टूडेंट विधि एलसट्‌टीवार ने प्लास्टिक का उपयोग रोकने के लिए अखबार से पेन बनाया। इसका उपयोग करने के बाद फेंकने से तुलसी के रोप उग आते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बालिका के इस प्रयास की सराहना की है। बता दें  26 महिलाएं अखबार से पेन बनाने में जुट गई हैं, इन्हें  5 हजार पेन बनाने के आर्डर भी मिले हैं।


26 महिलाएं कर रही कार्य
उल्लेखनीय है कि  डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट पुरस्कार 2017  प्राप्त पवन पब्लिक स्कूल, पवनी जिला भंडारा की स्टूडेंट विधि एलसट्टीवार द्वारा अखबार से बनाया गया। पेन आज गांव की 26 महिलाओं के लिए रोजगार का साधन बन चुका है। इस पेन से आने वाली आवक को महिलाओं की शाला निर्माण के लिए लगाने का मानस विधि ने जताया है। इस बीच यह पेन संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किया गया तो मोदी ने इस पेन की प्रशंसा करते की और इसे भविष्य में प्लास्टिक का उपयोग टालने में कारगर बताया।

5 हजार पेन बनाने के मिले आर्डर
नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा राष्ट्रपति भवन में डा. एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट पुरस्कार के लिए एक सवाल किया गया था कि हम अपने देश में प्लास्टिक का उपयोग किस प्रकार से कम कर सकते हैं। हरियाणा राज्य से आए एक स्टूडेंट ने कहा कि हम प्लॉस्टिक पेन का उपयोग को टाल कर इस कार्य में सहायता कर सकते है। इस दौरान उपस्थित पवन पब्लिक स्कूल की 13 वर्ष की छात्रा विधि एलसट्टीवार ने अखबारों से पेन तैयार कर दिया। पेन के टोकन में तुलसी के बीज डाले गए। पेन का उपयोग कर भूमि पर फेंक देने से तुलसी के रोप तैयार हो जाते हैं। इस कागज के बने पेन को अच्छा खासा प्रतिसाद प्राप्त हुआ। इसके उपरांत छात्रा को व उपस्थित सहयोगी को पवन पब्लिक स्कूल के विद्यार्थी समेत 5 हजार पेन बनाकर देने का ऑर्डर प्राप्त हुआ। इस पेन से प्राप्त लाभ के माध्यम से गरीब जरूरतमंद की मदद की जानी चाहिए।

ऐसे विचार छात्रा के मन में आते ही छात्रा ने निश्चित किया प्राप्त लाभ से गरीब विद्यार्थियों के लिए शाला इमारत का निर्माण किया जाए। ग्राम की गरीब महिलाएं समाचार अखबार के कागजों से पेन तैयार करेंगी। इस प्रकार से दो महिलाओं की सहायता से कार्य की शुरूआत की गई और आज इस काम में ग्राम की 26  महिलाओं को सहयोग है।  महिलाओं को प्रतिमाह 6 से 7 हजार रूपए की आमदनी हो रही है। परिवार की देखभाल करते हुए बच्चों के शिक्षण की जिम्मेदारी भी महिलाएं संभाल रही हैम। गत तीन माह में पेन से 5.32२ लाख रूपए शाला निर्माण के लिए प्राप्त हुए। इस पेन के लिए बायोडिगे्रडेबल रिफील बनाने संशोधन रिसर्च फॉर रीसर्जस फाउंडेशन, भारतीय शिक्षण मंडल, कर रहा है। इसमें सफलता प्राप्त हुई तो 80 प्रतिशत यह पर्यावरण पूरक पेन 100  प्रतिशत पर्यावरण पूरक बन जायेगा। प्रधानमंत्री से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल में शाला की संचालिका वृंदन बावनकर, डा.सोनू जेसवानी, डा.रेणु बाली, डा.शुक्ला, डा.हंसा शुक्ला, मृणाली दुधे शामिल थे। 

Created On :   19 April 2018 8:59 AM GMT

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