ऑनलाइन शॉपिंग: हर तीसरे शख्स को मिलता है नकली सामान

A third of ecommerce buyers get counterfeit products survey report
ऑनलाइन शॉपिंग: हर तीसरे शख्स को मिलता है नकली सामान
ऑनलाइन शॉपिंग: हर तीसरे शख्स को मिलता है नकली सामान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ई- कॉमर्स वेबसाईटों से शोपिंग करना लागों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है। हाल ही में हुए एक सर्वे के अनुसार लगभग एक तिहाई लोगों ने नकली सामान बेचे जाने की शिकायत की है। मार्केट रिसर्चर, वेलोसिटी एमआर ने 3 हजार लोगों पर अपना सर्वे किया, जिसमें उन्होंने पाया कि पिछले 6 माह में ऑनलाइन खरीदी करने पर हर तीन में से एक ग्राहक को कंपनी ने नकली प्रोडक्ट थमा दिया। वेलोसिटी के सर्वे के अनुसार कई ग्राहक आसानी से नकली सामान की पहचान, रंग, पैकेजिंग के आधार पर कर लेते हैं, लेकिन उद्योग सदस्यों के हिसाब से कई बार ग्राहक नकली सामान की पहचान नहीं कर पाते हैं और अगर इन दोनों को जोड़ दिया जाए तो नकली सामान पाने वाले ग्राहकों का आंकड़ा और बढ़ जाएगा।

लोकल सर्कल द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार 6923 ग्राहकों में से करीब 38 प्रतिशत ने अपनी खरीदी में नकली प्रोडक्ट पाया। जिन लोगों पर सर्वे किया गया उनका कहना था कि इस तरह की समस्याओं पर कंपनी द्वारा ग्राहकों को रिफंड तो दिया ही जाना चाहिए साथ ही उन पर जुर्माना भी लगना चाहिए।

बड़ी ई कॉमर्स कंपनियों के हाल और भी ज्यादा खराब है। लोकल सर्कल के मुताबिक सबसे ज्यादा नकली सामान 12 प्रतिशत स्नैपडील ने बेचा, जबकि 11 प्रतिशत अमेजन जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनी ने बेचा। सर्वे में फ्लिप्कार्ट पर शिकायतों का दर 6 फीसदी रहा।

बता दें कि हाल ही में अमेरिका के फुटवेयर ब्रांड स्केचर्स ने फ्लिप्कार्ट और उसके साथ चार सेलर्स को कोर्ट में घसीटा. स्केचर्स ने आरोप लगाया था कि कंपनी उसके नाम से नकली सामान बेच रही है। 2014 में दिल्ली हाई कोर्ट ने ई कॉमर्स वेबसाइट शोप्क्लूज पर रोक लगा दी थी. उसपर कॉस्मेटिक कंपनी लोरियल के नाम पर नकली प्रोडक्ट बेचने का आरोप था।

ई कॉमर्स कंपनियों का कहना है कि हम नकली सामान की बिक्री पर रोक लगाने के लिए कठोर कदम उठा रहें हैं। स्नैपडील ने बताया कि हमने उपयोग करने कि शर्तों का उल्लंघन करने पर करीब 45 हजार लोगों पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। इस बारे में अमेज़न का कहना है कि हम ग्राहकों के प्रति हमारी ईमानदारी दारी बनाए रखने और नकली सामान को रोकने के लिए इस ओर भारी निवेश कर रहें हैं।

जबोंग के पूर्व सह संस्थापक और अरविन्द इंटरनेट के सीईओ मुकुल बाफना के अनुसार नकली सामान की परेशानी भारत में चीन से ज्यादा है। इसके पीछे कारण बैग, फुटवियर में कई लग्ज़री प्रोडक्ट यहीं बनाए जाते हैं।

Created On :   24 April 2018 12:46 PM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story