आधार कार्ड नहीं तो शादी नहीं, ऐसे ही कुछ नियम है इस मंदिर के

aadhaar card must for marriage in uttarakhand temple
आधार कार्ड नहीं तो शादी नहीं, ऐसे ही कुछ नियम है इस मंदिर के
आधार कार्ड नहीं तो शादी नहीं, ऐसे ही कुछ नियम है इस मंदिर के

डिजिटल डेस्क, देहरादून। आज से चार-पांच साल पहले लोगों ने लंबी-लंबी लाइनों में लगकर अपना आधार कार्ड बनवाया था और आज आधार कार्ड हर सरकारी काम-काज का एक जरूरी हिस्सा बन गया है। किसी योजना का लाभ लेना हो या कोई सरकारी दस्तावेज बनाना हो, आधार कार्ड नही है तो समझो आपका काम अटक गया।

पर क्या आपने सोचा है, आधार कार्ड नहीं होने पर आपकी शादी भी रोकी जा सकती है या शादी करने ही न दी जाए और तो और यह शादी मंदिर में तक रोक दी जाए। ऐसा ही कुछ नियम है उत्तराखंड के एक मंदिर का जहां शादी करने के लिए सबसे पहले आपको आधार कार्ड दिखाना होता है और आधार कार्ड नहीं है तो समझो आपकी शादी होना मुश्किल बात है। यदि आपके पास किसी सरकारी दस्तावेज बनाते वक्त आधार कार्ड नहीं होता तो आप अपने ड्राइविंग लाइसेंस या पहचान पत्र से काम चला लेते हैं पर इस मंदिर में ऐसा कुछ नही है। आधार कार्ड पूरी तरह से अनिवार्य है। 

क्यों बना नियम ?
मंदिर की देखरेख करने वालों ने नाबालिग लड़कियों की शादी रोकने के लिए इस नियम को बनाया है। इसी बारे में मंदिर के पुजारी कहते हैं कि यहां शादी के बंधन में बंधने आने वाले प्रेमी जोड़ों के बारे में जानकारी हासिल करना बहुत मुश्किल काम होता है। प्रशासन चाहे कितनी उठा पटक कर ले, शादी करने वाले जोड़े के बारे में पता नही लगता कि वह बालिग है या नहीं। इसलिए इसका एक ही उपाय समझ आया और वह है आधार कार्ड को अनिवार्य करना। बता दें कि इस मंदिर में रोजाना 6 शादियां होती है साथ ही साल भर में 400। जिसकी जानकारी भी मंदिर प्रशासन को होती है।

कहा जाता है न्याय का देवता
इस मंदिर में पूजे जाने वाले गोलू देवता को पूरे उत्तराखंड में न्याय के देवता के नाम से जाना जाता है। यहां उन लोगों की भीड़ लगी रहती है जो कोर्ट कचहरी के चक्कर से परेशान हो गए हो। ऐसे लोग अपनी परेशानी एक स्टाम्प पेपर पर नोटरी से साइन करके देवता को चिट्ठी भी लिखते है। माना जाता है कि ऐसा करने से गोलू देवता उनकी मनोकामना पूरी करते हैं।

Created On :   12 Sep 2017 9:52 AM GMT

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