आधार लिंकिंग की डेडलाइन को 31 मार्च से आगे बढ़ा सकते हैं : SC से बोली सरकार

आधार लिंकिंग की डेडलाइन को 31 मार्च से आगे बढ़ा सकते हैं : SC से बोली सरकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आधार की वैलिडिटी को चुनौती देने वाली पिटीशंस पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वो आधार लिंकिंग की तारीख को आगे बढ़ा सकती है। केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा कि "सरकार अलग-अलग सर्विसेस और वेलफेयर स्कीम्स को आधार से लिंक करने की 31 मार्च की डेडलाइन आगे बढ़ा सकती है। क्योंकि अभी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई खत्म होने में अभी वक्त है।" बता दें कि सरकार ने दिसंबर में आधार लिंकिंग की डेडलाइन को 31 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया था।

सरकार ने क्या कहा? 

केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि "हमने पहले भी आधार लिंकिंग की डेडलाइन को बढ़ाया है और फिर से बढ़ाएंगे लेकिन ये हम महीने के आखिरी में ही कर सकते हैं। ताकि मामले में पिटीशनर्स अपनी दलीलें पूरी कर सकें।" केके वेणुगोपाल की इस दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी सहमति जताई।

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पिटीशनर्स का क्या है कहना?

इससे पहले पिटीशनर्स के एडवोकेट श्याम दीवान ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि "आधार लिंकिंग की 31 मार्च की डेडलाइन को आगे बढ़ाया जाना चाहिए, क्योंकि महीने के आखिरी तक पिटीशंस पर सुनवाई पूरी होने की कोई संभावना नहीं है। इसके साथ ही अगर डेडलाइल 31 मार्च ही रहती है तो इसका असर देशभर में होगा। कई संस्थानों को इस डेडलाइन के हिसाब से एडजस्ट करना होगा।"

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा? 

कोर्ट की 5 जजों वाली बेंच ने दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद कहा कि "अटॉर्नी जनरल ने बहुत सही पॉइंट उठाया है और कोर्ट इस मामले में पिटीशनर्स के एडवोकेट्स को दलीलें दोहराने नहीं देगी।" बेंच ने आगे कहा कि "अगर कोर्ट इस मामले में 20 मार्च तक फैसला दे भी देती है, तो भी बैंकों और अन्य संस्थानों के पास सिर्फ 10 दिन ही बचेंगे। ऐसे में उनके लिए मुश्किलें पैदा होंगी।"

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कौन कर रहा है इसकी सुनवाई? 

आधार की वैलिडिटी को चुनौती देने वाली पिटीशंस पर सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा की अगुवाई में 5 जजों की बेंच बनाई गई है। इस बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।

15 दिसंबर को बढ़ाई थी डेडलाइन

इससे पहले पिछले साल 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में आधार मामले की सुनवाई के दौरान आधार लिकिंग की डेडलाइन को 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया था। उस वक्त केंद्र सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट में एक प्रपोजल दिया था, जिसमें आधार लिंकिंग की डेडलाइन को 31 दिसंबर 2017 से 31 मार्च 2018 तक बढ़ाने की बात कही गई थी। सरकार के इस प्रपोजल को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी थी। 

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क्यों हो रही है आधार पर सुनवाई? 

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में आधार की अनिवार्यता के खिलाफ सुनवाई की गई थी, जिसपर फैसला देते हुए कोर्ट ने इसे संविधान के तहत निजता का अधिकार माना था। कोर्ट ने कहा था कि ये व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। उस वक्त पिटीशनर्स का कहना था कि आधार को हर चीज से लिंक कराना निजता के अधिकार (राइट टू प्राइवेसी) का उल्लंघन है। पिटीशन में कहा गया था कि इससे संविधान के आर्टिकल 14, 19 और 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों की बेंच ने इसे निजता का अधिकार माना था। 

Created On :   7 March 2018 2:06 AM GMT

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