अचला सप्तमीः साल में सर्वश्रेष्ठ, इसी दिन संसार को मिला था सूर्य का प्रकाश

About the Achala Saptami or Bhanu Saptami or rath Saptami 2018
अचला सप्तमीः साल में सर्वश्रेष्ठ, इसी दिन संसार को मिला था सूर्य का प्रकाश
अचला सप्तमीः साल में सर्वश्रेष्ठ, इसी दिन संसार को मिला था सूर्य का प्रकाश


डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ऐसा उल्लेख मिलता है पहले युगों के कठिन तप के बाद देवता प्रसन्न होते थे और मनचाहा वरदान प्रदान करते थे। उनके दर्शन प्राप्त करना आसान नहीं था। किंतु कलियुग में मनुष्य के लिए ऐसा करना संभव नही, क्योंकि युग परिवर्तन के साथ ही मनुष्य की आयु में भी कमी आ गई है। पुराणों में ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि प्रलय के समीप आते-आते यह घटकर 20 वर्ष तक शेष रह जाएगी।

 

युग परिवर्तन के साथ ही मानवीय प्रवृत्ति के चलते वह बुरे कार्यों की ओर आकर्षित होने से बचे इसलिए कुछ ऐसे व्रत-त्योहारों का उल्लेख शास्त्रों में दिया गया है, जिसके माध्यम से मानव भगवान की कृपा प्राप्त कर सकता है। ऐसा ही एक पर्व है अचला सप्तमी, जिसे भानु सप्तमी या रथ सप्तमी भी कहा जाता है। इस बार यह 24 जनवरी 2018 अर्थात आज मनाया जा रहा है। हम आपको इससे संबंधित कुछ विशेष तथ्य बताने जा रहे हैं। 

 

क्यों है इसका महत्व

माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को अचला सप्तमी कहा जाता है। इसे पूरे साल की सप्तमी में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है । को इसके संबंध में मान्यता है कि यही वह दिन है जब सूर्यनारायण ने पहली बार अपना प्रकाश प्रदिप्त किया था। इस दिन भगवान सूर्यदेव की रथ पर विराजे स्वरूप की पूजा की जाती है। इस वजह से भी इसे रथ सप्तमी कहा जाता है।

 

कटते हैं सात जन्म के पाप

कहा जाता है कि इस दिन व्रत पूजा करनेे से सात जन्म के पाप दूर होते हैं। इस दिन व्रती को नमक  और तेल का त्याग करना चाहिए। ऐसा साधारण रूप से भी वे लोग कर सकते हैं जिन्होंने व्रत नही धारण किया। नदी सरोवरों में स्नान कर सूर्यदेव की पूजा के बाद तिल, वस्त्र, भोजन और गाय का दान भी आज के दिन के लिए पुण्यकारी बताया गया है। 
 

Created On :   23 Jan 2018 2:58 AM GMT

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