पाताल में पहुंच गया पानी, दस साल में 92 प्रतिशत नीचे गिरा जिले का भूजल स्तर

According to a report water level gone 92% down in the 10 years
पाताल में पहुंच गया पानी, दस साल में 92 प्रतिशत नीचे गिरा जिले का भूजल स्तर
पाताल में पहुंच गया पानी, दस साल में 92 प्रतिशत नीचे गिरा जिले का भूजल स्तर

डिजिटल डेस्क, टीकमगढ़। जिले में गिरते जलस्तर की बीते 10 सालों की रिपोर्ट भयावहता का संकेत दे रही है। इसके बावजूद न जनता चेत रही है न जनप्रतिनिधि, प्रशासन के जिम्मेदार अफसर भी भू-जल को रीचार्ज करने के प्रति गंभीर नहीं हैं। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कलेक्ट्रेट के अलावा जिले में कहीं नजर नहीं आते हैं। केंद्रीय भू-जल बोर्ड द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में टीकमगढ़ जिले की स्थिति चिंताजनक है। 

मध्य प्रदेश के सभी जिलों में साल दर साल गिरते भूमिगत जल स्तर की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। बीते 10 सालों में प्रदेश में औसतन 63.24 प्रतिशत तक भूमिगत जल में गिरावट आई है, लेकिन टीकमगढ़ में 91.67 प्रतिशत गिरावट बताई गई। जिसके कारण टीकमगढ़ को गंभीरतम जिलों की सूची में शुमार किया गया है। 2007 से लेकर 2017 तक तैयार इस रिपोर्ट में हर जिले के पूर्व चिंहित कुएं पर रिपोर्ट तैयार की गई है। क्षेत्र में लगातार गिरते जल स्तर के लिए अल्पवर्षा भी अहम भूमिका में है। बीते 10 साल में 3 बार ही सामान्य बारिश दर्ज की जा सकी है। 7 साल सूखे-सूखे बीत गए।

एक भी नगरीय निकाय में नहीं वॉटर हार्वेस्टिंग
गिरते जल स्तर के कई कारण है, लेकिन प्रमुख कारण बोरिंग है। जिले में बीते 15 साल में बड़ी मात्रा में बोर कराए गए। यह भूमिगत जल स्तर के लिए घातक साबित हो रहे हैं। वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर भी शासन-प्रशासन द्वारा गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। जिले की 459 ग्राम पंचायतें, 12 नगर परिषद और 1 नगर पालिका में से किसी भी निकाय में वाटर हार्वेस्टिंग के प्रयासों की सुगबुगाहट तक नहीं है। जिले में सरकारी इमारतों में ही वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं की गई है।

कलेक्ट्रेट तक सिमटे कलेक्टर के निर्देश
बीते माह दैनिक भास्कर ने मामले को प्रकाशित किया तो कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल ने तमाम शासकीय कार्यालयों, शासकीय भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन कलेक्टर के निर्देश कलेक्ट्रेट परिसर से बाहर निष्प्रभाव ही रहे हैं। जिम्मेदार विभाग ने कलेक्ट्रेट भवन में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाकर निर्देशों के पालन की इतिश्री कर ली। जिला मुख्यालय सहित अंचल में किसी सरकारी इमारत को वाटर हार्वेस्टिंग से जोड़ने की जरूरत नहीं समझी गई। मामले में कलेक्टर अभिजीत अग्रवाल का कहना है कि सभी शासकीय भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के निर्देश दिए थे। अगर पालन नहीं किया जा रहा है तो मैं दिखाता हूं।

जिले के 24 कुओं का 10 साल सर्वे
केंद्रीय भूजल बोर्ड ने प्रदेश के सभी जिलों में कुएं को 2007 में 1303 कुओं को चिंहित किया था। टीकमगढ़ जिले के अलग-अलग क्षेत्र में 24 कुआं चिन्हित किए गए थे। इनमें साथ ही साल दर साल जल स्तर की मॉनीटरिंग की गई। हर साल नवंबर माह में कुएं के जल स्तर के आंकड़े लिए गए। 2007 से लेकर 2017 (नबंवर माह) की रिपोर्ट तैयार की गई। जिसके अनुसार 91.67 प्रतिशत टीकमगढ़ जिले के भूजल स्तर में गिरावट आई है। गिरते जलस्तर वाले गंभीर जिलों में श्योपुर, आगर मालवा, उमरिया के बाद टीकमगढ़ चौथे स्थान पर शुमार है।

शहर में 300 से 550 फुट तक कराना पड़ रहा बोर
जिले में भूमिगत जलस्तर गिरने से बोरिंग के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। शहर में दो साल पहले तक अधिकांश क्षेत्रों में 120 फीट से 170 फीट तक पानी मिल जाता था, लेकिन अब 300 से 550 फीट बोर करना पड़ रहा है। शहर से बाहर ग्रामीण क्षेत्र में भी पहले की अपेक्षा दोगुना गहरा बोर कराना पड़ रहा है। जिले के कुल 9606 हैंडपंप में से करीब 3000 हैंडपंप पानी नहीं दे रहे हैं।

Created On :   12 July 2018 7:52 AM GMT

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