ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जानें कुण्डली के 6 विशेष योग क्या हैं ?

According to Astrology Know What is 6 special Yog of Horoscope ?
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जानें कुण्डली के 6 विशेष योग क्या हैं ?
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जानें कुण्डली के 6 विशेष योग क्या हैं ?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहों के बीच योग बनने के लिए कुछ विशेष स्थितियों का होना आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए दो या दो से अधिक ग्रह मिलकर एक दूसरे से दृष्टि संबंध बनाते हैं। वहीं जब बात ग्रह योग की​ हो तो सबसे पहले यह जानना होगा कि ग्रह योग क्या है और यह बनता कैसे है ? यदि भाव विशेष में कोई अन्य ग्रह आकर संयोग करते हों, तो कारक तत्व हर जातक की कुण्डली में ग्रहों के कुछ विशेष योग होता है। इसी तरह कई अन्य योग भी बनते हैं, तो आइए जानते हैं कुण्डली के 6 विशेष योग...

1- अकस्मात धन प्राप्ति योग किस की कुण्डली में बनता है?
(1) यदि द्वितीयेश और चतुर्थेश शुभ ग्रह बुध-शुक्र की राशि में शुभग्रहों से युत या दृष्ट हो। 
(2) पंचम भाव में चन्द्रमा पर शुक्र की पूर्ण दृष्टि हो। 
(3) 1, 2, 11 वें भाव के स्वामियों में लग्न का स्वामी दूसरे घर में, दूसरे का स्वामी ग्यारहवें में तथा ग्यारहवें का स्वामी लग्न में हो। 
(4) एकादशेश और द्वितीयेश चतुर्थस्थ हों और चतुर्थेश शुभग्रह की राशि में शुभयुत या दृष्ट। 
(5) धनेश अष्टम भाव में हो। 
(6) लग्न का स्वामी धनस्थान या लाभ-स्थान में हो और लाभेश लग्न में हो। 
(7) लग्नेश शुभग्रह हो और धन स्थान में स्थित हो या धनेश आठवें स्थान में हो। 
(8) यदि पंचम स्थान में शुक्र से दृष्ट चन्द्रमा हो। 
(9) यदि धन भाव का स्वामी शनि धनु, मकर लग्न 4, 8 या 12वें भाव में हो तथा बुध सप्तम भाव में स्वगृही होकर बैठा हो। तब अकस्मात् धन प्राप्ति योग बनता है ।

2- अकस्मात् धन नाश योग किस की कुण्डली में बनता है ?
(1) दूसरे भाव में कर्क का चन्द्रमा शनि के नक्षत्र पर स्थित हो और अष्टम भाव में स्वगृही शनि चन्द्र के नक्षत्र पर स्थित हो, दोनों की परस्पर पूर्ण दृष्टि होने से ।
(2) शनि की महादशा में चन्द्रमा का अन्तर आने से धन नष्ट हो।
(3) भाग्येश और दशमेश व्यय भाव में हों तब अकस्मात् धन नाश योग बनता है।
(4) यदि धन भाव में कर्क का चन्द्रमा मिथुन लग्न हो तथा अष्टम भाव में शनि स्वगृही हो तो परस्पर महादशा अन्तर्दशा में जातक दिवालिया हो जाता है।

3- अखण्ड साम्राज्य योग किस की कुण्डली में बनता है ?
द्वितीयेश, नवमेश और एकादशेश से यह योग बनता है। जब चन्द्रमा केन्द्र में हो व लग्न में हो, लेकिन साथ-साथ गुरू पंचम व एकादश भाव का स्वामी हो। यह योग बहुत शुभ होता है- लक्ष्मी, जायदाद, स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिये विशेष रूप से लाभ देता है।

4- अखंड धनयोग किस की कुण्डली में बनता है ? 
लग्न से पांचवी राशि धनु या मीन हो तथा एकादश भाव में चन्द्र या मंगल हो तो अखण्ड धनयोग होता है। इस योग में पैदा हुआ जातक निःसन्देह लखपति बनता है।

5- अर्गला योग किस की कुण्डली में बनता है ?
अर्गला भाव या ग्रह के फल को निश्चित करती है अर्थात् मजबूती से संभालती है। अतः भाव व ग्रह के फल को विगलित होने, रिसने से बचाने वाली ग्रह स्थिति अर्गला कहलाती है। जिस भाव या ग्रह की अर्गला देखनी हो, उससे 2, 4, 11 भावों में यदि ग्रह हो तो अर्गलाकारक होते हैं। इन स्थानों के क्रमशः 12, 10, 3 अर्गला बाधक स्थान होते हैं। यदि बाधक ग्रह, अर्गलाकारक से निर्बल हों या कम संख्या में हो तो वे बाधक स्थान होते हैं। लेकिन तृतीय में तीन पापग्रह हों तो यह कभी भी बाधित नहीं होती तथा इसे विपरीत अर्गला कहते हैं। इस तृतीय भाव वाली अर्गला से भी फल पुष्ट होता है। पंचम स्थान भी अर्गला स्थान है तथा नवम स्थान इसका बाधा स्थान है। राहु व केतु के लिए बाधा स्थान को अर्गला स्थान व अर्गला स्थान को बाधा स्थान समझना चाहिए।

6- अग्नि योग किस की कुण्डली में बनता है ?
(1) लग्नेश, पंचमेश और नवमेश के प्रभाव से अग्नि का भय रहता है। 
(2) अग्नि के ग्रहों में सूर्य, मंगल और केतु हैं। 
(3) मेष, सिंह तथा धनु अग्नि तत्त्व राशियां हैं। 
(4) षष्टयंश वर्गान्तर्गत दसवां षष्टयंश अग्नि है।

Created On :   17 Jan 2019 6:34 AM GMT

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