प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में MBBS की सीटें बेचने का आरोप, HC ने मांगा जवाब

Accused of selling MBBS seats in private medical college
प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में MBBS की सीटें बेचने का आरोप, HC ने मांगा जवाब
प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में MBBS की सीटें बेचने का आरोप, HC ने मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। नीट परीक्षा में कम अंक आने के बाद भी दूसरे राज्यों के छात्रों को MBBS कोर्स में एडमीशन दिए जाने के आरोप संबंधी याचिका को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। मामले में हाईकोर्ट ने डीएमई व अन्य को नोटिस जारी किया हैं। जस्टिस आरएस झा व जस्टिस नंदिता दुबे की युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को निर्धारित की है।

क्या हैं आरोप ?
गौरतलब है कि खंडवा के रहने वाले प्रियांशू अग्रवाल की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया है कि MBBS कोर्स में दाखिले के लिए मॉकअप राउंडप में नियमों को ताक पर रखकर प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में अयोग्य छात्रों को दाखिला दिया गया। आरोप है कि मॉकअप राउंड की 250 सीटों को लाखों रुपए में बेचा गया है। आवेदक का कहना है कि नीट परीक्षा में 416 अंक आए थे, लेकिन मॉकअप राउंड में ऐसे छात्रों को प्रवेश दिया गया, जिनके 200 अंक भी नहीं आए और वे मध्य प्रदेश के मूल निवासी भी नहीं है।

प्रदेश के स्टूडेंट्स को एडमिशन पहले
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के अलावा मप्र हाईकोर्ट के भी स्पष्ट आदेश थे कि MBBS कोर्स में पहले प्रदेश के ही मूल निवासी छात्रों को प्रवेश दिया जाए। इसके बाद यदि कोई सीट खाली रह जाती है तो दूसरे प्रदेश के छात्रों को मैरिट के आधार पर प्रवेश दिया जाए। इन आधारों के साथ दायर याचिका में चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, डीएमई, अरविंदों मेडिकल कॉलेज, चिरायु मेडिकल कॉलेज, एलएन मेडिकल कॉलेज, चिरायु मेडिकल कॉलेज को पक्षकार बनाया गया है। 

क्यों नहीं हो रही नियमित अधीक्षकों की नियुक्तियां?
वही एक अन्य मामले कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। दरअसल,प्रदेश के सभी 6 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अधीक्षक के पद पर प्रभारियों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार को जवाब पेश करने की मोहलत दी है। चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने शुक्रवार को मामले पर सुनवाई 6 सप्ताह बाद निर्धारित की है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपाण्डे की ओर से 2016 में दायर इस जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रदेश के सभी 6 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अधीक्षक के पद खाली हैं और वहां पर अभी प्रभारी ही जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। 

आवेदक का कहना है कि अभी जो अधीक्षक हैं। उनके पास पहले से पढ़ाने और इलाज की जिम्मेदारी थी और अब वे अधीक्षक के पद की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। ऐसे हालात प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों के हैं। आवेदक के मुताबिक 2011 में राज्य सरकार ने एक मामले पर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में जवाब दिया था कि जल्द ही सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अधीक्षक और डीन के पदों पर नियमित नियुक्तियां की जाएंगी। इसके बाद भी प्रभारियों को अधीक्षक पद की जिम्मेदारी सौंपे जाने को चुनौती देकर यह जनहित याचिका दायर की गई। इस मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने 21 सितंबर 2016 को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए थे। मामले पर शुक्रवार को आगे हुई सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को जवाब पेश करने के निर्देश देकर सुनवाई 6 सप्ताह के लिए टाल दी।

Created On :   7 Oct 2017 3:45 AM GMT

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