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जलस्तर नापने में जुटा प्रशासन, गर्मी की शुरुआत से गहराया जल संकट
डिजिटल डेस्क, नागपुर। गर्मी में निर्माण होने वाली जलसंकट की स्थिति से निपटने के लिए भू-जल स्तर नापकर उससे निपटने की तैयारी की जा रही है। गर्मी की शुरुआत होते ही जलसंकट गहराने लगा है। भू-जल भी खतरनाक ढंग से नीचे गिरता जा रहा है,कुएं सूखने लगे हैं, बोरवेल हवा फेंक रहे हैं। नलों से भी नियमित पानी नहीं आ रहा है। गर्मी के शुरुआत में ही जो स्थिति निर्माण हो रही है वह आने वाले समय में गंभीर संकेत दे रही है। इन हालातों से निपटने के लिए भूजल सर्वेक्षण विभाग इस कड़ी में राज्य के हर गांव का भू-गर्भीय जल स्तर नापेगा। किसी गांव का भूजल स्तर गंभीर रूप से गिरता है, तो गांव स्तर पर ही उसके लिए इंतजाम किए जाएंगे। बता दें कि अब तक निरीक्षण कुओं के जलस्तर के आधार पर पूरे क्षेत्र के भूजल स्तर का अनुमान लगाया जाता रहा है।
सॉफ्टवेयर की ली जाएगी मदद
जलस्तर नापने के लिए जलसुरक्षकों को मेजरिंग टेप दिया गया है, जिसकी मदद से वह महीने में दो बार जलस्तर का रिकॉर्ड मोबाइल के जरिए एमआरसैक को भेज देते हैं। यहां से सॉफ्टवेयर की मदद से भूजल स्तर का हाल लिया जा सकता है। फिलहाल हर संभाग में इसका परीक्षण 31 मार्च तक चलेगा, उम्मीद की जा रही है कि अप्रैल माह में यह सॉफ्टवेयर शुरू हो जाएगा। परीक्षण में जिन क्षेत्रों में जलसंकट का स्तर घटा हुआ पता चलेगा प्रशासन वहां पर टैैंकर से या फिर अन्य अस्थायी उपाय किए जाएँगे।। फिलहाल तैयारी जल स्तर के जांचने की है लेकिन यहां सवाल उठ रहा है कि हर साल जलसंकट निर्माण होता है फिर प्रशासन ने यह तैयारी पहले ही क्यों नहीं की। प्यास लगने पर कुआं खोदने की प्रशासन की नीति का ही खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है।
40 हजार कुओं की निगरानी
भूजल सर्वेक्षण विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य में मौजूदा स्थिति इस प्रकार है-
जल स्वराज-2 परियोजना के तहत 40 हजार कुओं का भूजल स्तर निगरानी के लिए चिह्नित।
नागपुर संभाग गांव स्तर पर सारे कुओं को चिह्नित करनेवाला सबसे पहला संभाग बना।
नागपुर संभाग में अब तक 625 निरीक्षण वाले कुएं थे, यह संख्या 6309 पहुंच गई हैं।
नागपुर जिले में पहले जहां 111 निरीक्षण वाले कुएं थे, अब यह 1461 हो गए हैं।
इनका जलस्तर नापने के लिए जलापूर्ति विभाग से जलसुरक्षक नियुक्त किए गए हैं।
Created On :   22 March 2018 6:43 AM GMT