महाराष्ट्र में सड़कों पर लौटीं बसें, HC के आदेश के बाद हड़ताल खत्म

After the order of Bombay high court,the bus strike is ended
महाराष्ट्र में सड़कों पर लौटीं बसें, HC के आदेश के बाद हड़ताल खत्म
महाराष्ट्र में सड़कों पर लौटीं बसें, HC के आदेश के बाद हड़ताल खत्म

डिजिटल डेस्क,मुंबई। वेतन बढ़ाने की मांग को लेकर दिवाली के एक दिन पहले से शुरू हुई महाराष्ट्र राज्य पथ परिवहन निगम (एसटी) कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हो गई है और आज से दोबारा बसें अपने तय नियम के अनुसार चलेगी। 

शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने हड़ताल को अवैध करार देते हुए फटकार लगाई थी और तुरंत काम पर लौटने के आदेश दिए थे। कोर्ट के आदेश के कुछ घंटों बाद देर रात कोर कमिटी की बैठक हुई, जिसमें हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया गया। बता दें कि कर्मचारियों की हड़ताल खत्म करने में राज्य सरकार अब तक नाकामी के बाद कोर्ट को दखल देना पड़ा था।

कोर्ट ने सरकार को मामले में अगली सुनवाई के दौरान रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। हाईकोर्ट ने ये निर्देश हड़ताल के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। याचिका में दावा किया गया था कि एसटी की परिवहन सेवा जरुरी सेवा में आती है, इसलिए वो हड़ताल पर नहीं जा सकते है। लिहाजा कर्मचारियों की हड़ताल को अवैध ठहराया जाए। आपको बता दें त्यौहार के वक्त बस हड़ताल से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं परिवहन मंत्री दिवाकर रावते और परिवहन निगम के अधिकारियों ने यूनियनों के साथ बातचीत के प्रयास किए थे, जो विफल रहे।

हाई कोर्ट ने अपने आजेश में राज्य सरकार को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि हड़ताल को रोकने के लिए सरकार की ओर से उचित प्रयास नहीं किए गए हैं। एक आदेश में न्यायमूर्ति एस के शिंदे ने राज्य सरकार ने कर्मचारियों के मुद्दों को देखने के लिए गठित समिति को निर्देश देते हुए का कि वो 15 नवंबर तक अंतरिम रिपोर्ट और 21 दिसंबर तक अंतिम रिपोर्ट सौंपे। बता दें कि एसटी के एक लाख से अधिक कर्मचारी मंगलवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे। कर्मचारी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार अपने वेतन में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं। अदालत ने ये निर्देश दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जारी किया। इसमें से एक याचिका नगर निवासी जयंत सातम ने दायर की थी।

क्यों नहीं बढ़ाया जा रहा एसटी कर्मचारियों का वेतन?

एसटी के खर्चों पर नजर डालें तो साफ होता है कि वेतन बढ़ाने की कर्मचारियों की मांग एसटी निगम के लिए घातक साबित होगी। यूनियन का दावा है कि कर्मचारियों की दूसरे राज्य परिवहन के कर्मचारियों के मुकाबले आय कम है, लेकिन एसटी की आय पर नजर डालें तो वेतन बढ़ोत्तरी और सातवां वेतन आयोग लागू करने की मांग गलत है। क्योंकि इसके बाद एसटी से होने वाली आय से ज्यादा वेतन पर ही खर्च हो जाएगा। ऐसे में बिजली बिल, कार्यालय, डेपो, ईंधन, रखरखाव, सामान के लिए खर्च होने वाले खर्चों पर असर पड़ेगा। चार साल पहले कर्मचारियों के वेतन में 13 फीसदी बढ़ोत्तरी का समझौता किया गया था, लेकिन अब 131 फीसदी बढ़ोत्तरी की मांग की जा रही है। ऐसे में कर्मचारियों को नियमित मिलने वाली पगार असर पड़ेगा और साथ ही एसटी का हाल भी मुंबई के बेस्ट जैसा हो जाएगा।

दूसरे राज्यों में चालकों और कंडक्टरों का वेतन

राज्य                ड्राइवर                     कंडक्ट
महाराष्ट्र          9,000 से 15,367       4,350 से 14,22
तेलंगाना         13,070 से 34,490     12,340 से 32,800
कर्नाटक         12,400 से 17520       11,640 से 15,700
राजस्थान         5,200 से 20,200       5,200 से 20,200
उत्तर प्रदेश        5,200 से 20,200       5,200 से 20,200

दूसरे राज्यों के ड्राइवरों और कंडक्टरों को डेढ़ से दो हजार रुपए ग्रेड पे दिया जाता है। महाराष्ट्र कि सरकारी बस सेवा के ड्राइवरों और कंडक्टरों को ग्रेड पे नहीं दिया जाता। दूसरे राज्यों में यात्री कर पांच से सात फीसदी है जबकि महाराष्ट्र में यह 17.5 फीसदी है।

राज्य का परिवहन निगम  
डेपो                                    250
विभागीय कार्यशाला               35
यात्रियों की संख्या (रोजाना)     58 लाख 
रोजाना नुकसान                    दो करोड़ 
बसों की संख्या                     18 हजार, रोजाना चलती हैं 17 हजार 
कर्मचारी                              एक लाख चार हजार
सम्पर्क                                36 हजार 364 गांव
दूरी                                    रोजाना 60 लाख किलोमीटर
ईंधन                                  रोजाना 12 हजार लीटर


2016-17 की आय                      7 हजार 56 करोड़ 22 लाख
खर्च                                          7 हजार 583 करोड़ 76 लाख
घाटा (इस साल)                          505 करोड़ 49 लाख 
कुल नुकसान (अब तक)               2312 करोड़ 72 लाख
कर्मचारियों के वेतन पर खर्च          वार्षिक 3200 करोड़
 
 

Created On :   21 Oct 2017 4:25 AM GMT

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