सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई गई अहोई अष्टमी, जानें इसके लाभ

Ahoi Ashtami in Sarvartha Siddhi Yoga, learn fast and worship method
सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई गई अहोई अष्टमी, जानें इसके लाभ
सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई गई अहोई अष्टमी, जानें इसके लाभ

डिजिटल डेस्क। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी कहा जाता है। यह इस वर्ष 21 अक्टूबर दिन सोमवार को मनाई गई। इस दिन महिलाएं अहोई माता का व्रत रखती हैं और विधि विधान से पूजा अर्चना करती हैं। इस व्रत को संतान के लिए रखा जाता है। इस दिन माताएं संतान के सुख और आयु वृद्धि की कामना कर व्रत रखती हैं। 

शाम के समय में अहोई माता की पूजा अर्चना की जाती है। महिलाएं चांदी की अहोई बनाकर उसकी पूजा करती हैं। इसमें चांदी के मनके डाले जाते हैं और हर व्रत में इनकी एक संख्या बढ़ाते जाते हैं। रात्रि के समय तारों को करवे से अर्ध्य देती हैं और उनकी आरती करती हैं। पूजा के बाद महिलाएं इस माला को पहनती हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन से दीपावली के उत्सव का आरंभ हो जाता है। 

सर्वार्थ सिद्धि योग
इस बार अहोई अष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग है। चंद्रमा- पुष्य नक्षत्र योग -साध्य सर्वार्थ सिद्धि योग- शाम 5 बजकर 33 मिनट से अगले दिन 6 बजकर 22 मिनट तक अहोई अष्टमी के दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहेगा। जो संतान के लिए अति उत्तम है। 

शुभ मुहूर्त
तिथि प्रारंभ: 21 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 06 बजकर 44 मिनट से
तिथि समाप्त: 22 नवंबर 2019 को सुबह 05 बजकर 25 मिनट तक
पूजा का मुहूर्त: 21 अक्‍टूबर 2019 को शाम 05 बजकर 42 मिनट से शाम 06 बजकर 59 मिनट तक
तारों को देखने का समय: 21 अक्‍टूबर 2019 को शाम 06 बजकर 10 मिनट
चंद्रोदय का समय: 21 अक्‍टूबर 2019 को रात 11 बजकर 46 मिनट तक 

पूजा विधि 
गोबर से या चित्रांकन के द्वारा कपड़े पर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है तथा उसके बच्चों की आकृतियां बना दी जाती हैं। और सायं काल या कहें प्रदोष काल में उसकी पूजा की जाती है। इसके लिए सबसे पहले अहोई अष्‍टमी के दिन स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। फिर घर के मंदिर में पूजा के लिए बैठें और व्रत का संकल्‍प लें। दीवार पर गेरू और चावल से अहोई माता यानी कि मां पार्वती और स्‍याहु व उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। इसकी रेडीमेड तस्‍वीर भी बाजार से ली जा सकती है।

इसके बाद मां पार्वती के चित्र के सामने चावल से भरा हुआ कटोरा, मूली, सिंघाड़े और दीपक रखें। एक लोटे में पानी रखें और उसके ऊपर करवा रखें। ध्यान रखें इस करवे में भी पानी होना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि करवा चौथ में इस्‍तेमाल किया गया करवा भी उपयोग करें। इसी करवे के पानी से दीपावली के दिन पूरे घर में छिड़काव किया जाता है। इसके बाद हाथ में चावल लेकर अहोई अष्‍टमी व्रत कथा पढ़ने के बाद आरती उतारें। कथा पढ़ने के बाद हाथ में रखे हुए चावलों को दुपट्टे या साड़ी के पल्‍लू में बांध लें।

वहीं शाम के समय दीवार पर बनाए गए चित्रों की पूजा करें और अहोई माता को 14 पूरियों, आठ पुओं और खीर का भोग लगाएं। इसके बाद माता अहोई को लाल रंग के फूल चढ़ाएं और अहोई अष्‍टमी व्रत की कथा पढ़ें। इसके बाद लोटे के पानी और चावलों से तारों को अर्घ्‍य दें। बायना निकालें, बता दें कि इस बायने में 14 पूरियां या मठरी और काजू होते हैं। इस बायने को घर की बड़ी स्‍त्री को सम्‍मानपूर्वक दें। वहीं पूजा के बाद सास या घर की बड़ी महिला के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें। इसके बाद घर के सदस्‍यों में प्रसाद बांटें और फिर अन्‍न-जल ग्रहण करें।

Created On :   19 Oct 2019 3:13 AM GMT

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