देवनगरी हरिद्वार में बना है ये शिवलिंग, रावण भी करता था पूजा

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देवनगरी हरिद्वार में बना है ये शिवलिंग, रावण भी करता था पूजा
देवनगरी हरिद्वार में बना है ये शिवलिंग, रावण भी करता था पूजा

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नर्मदा से निकले शिवलिंग स्वयं प्राणप्रतिष्ठित माने गए हैं। इसका वर्णन पुराणों में भी मिलता है, लेकिन सदैव सभी के लिए इन्हें लाना संभव नहीं होता। ऐसे में हम आपको पारद (पारा) शिवलिंग (parad shivling) के बारे में बता रहे हैं। 

हरिद्वार (Haridwar ) का परदेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग पारे का बना हुआ है। रूद्र संहिता में रावण के शिव स्तुति की जब चर्चा होती है तो पारद के शिवलिंग का विशेष वर्णन मिलता है। रावण को रस सिद्ध योगी भी माना गया है और इसी शिवलिंग का पूजन कर उसने अपनी लंका को स्वर्ण में तब्दील कर दिया था। शिवपुरान में शिवजी का कथन है कि करोड़ शिवलिंगों के पूजन से जो फल प्राप्त होता है उससे भी करोड़ गुना अधिक फल पारद शिवलिंग की पूजा और उसके दर्शन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है। ब्रह्म हत्याए गौहत्या जैसे जघन्य अपराध पारद शिवलिंग के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं। इसके स्पर्श मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कहा जाता है कि पारद भगवान शिव का सबसे प्रिय है। शास्त्रों के मुताबिक पारद के शिवलिंग को शिव का स्वयंभू प्रतीक भी माना गया है। इस शिवलिंग का जहां पूजन होता है वहां साक्षात महादेव वास करते हैं। पारद शिवलिंग के पूजन का फल सौ अश्वमेघ यज्ञों के बराबर माना गया है।

पारद को रसायनशास्त्र में रसराज कहा जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार पारद से बने शिवलिंग की पूजा करने से बिगड़े काम बनते हैं। यहां तक कि अकाल मृत्यु भी टल जाती है। इनके नित्य पूजनए अभिषेक और दर्शन मात्र से सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

वैदिक धर्मग्रंथों में पारद को भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। इसे ब्रह्माण्ड को जन्म देने वाले उनके वीर्य के प्रतीक के रूप में स्वीकृत किया गया है। पौराणिक ग्रंथों और ज्योतिष में पारद शिवलिंग के माहात्म्य को बड़ी गहनता से वर्णित किया गया है। ऐसी भी मान्यता है कि रावण भी इस शिवलिंग का पूजन किया करता था। जिससे लंका धन-धान्य से संपन्न रहती थी।

Created On :   24 July 2017 10:15 AM GMT

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