अनंत चतुर्दशी आज, पूर्णिमा को पितृपक्ष की पहली तिथि

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अनंत चतुर्दशी आज, पूर्णिमा को पितृपक्ष की पहली तिथि
अनंत चतुर्दशी आज, पूर्णिमा को पितृपक्ष की पहली तिथि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज मंगलवार 5 सितंबर को अनंत चतुर्दशी मनायी जा रही है। इसके बाद भद्रा के कारण हवन-पूजन निषिद्ध है। सोमवार की शाम को प्रदोष काल से लेकर मंगलवार की दोपहर तक हवन तथा पूजन करना श्रेष्ठ होगा।

इस बार 5 सितंबर को दोपहर 12.40 बजे तक चतुर्दशी तिथि है और इसके बाद पूर्णिमा तिथि लग जाएगी। पूर्णिमा को पितृ पक्ष की पहली तिथि माना जाता है, इसलिए मंगलवार को दोपहर बाद पूर्णिमा का श्राद्ध भी माना जाएगा।

विद्वानों के अनुसार प्रतिमाओं का विसर्जन पितृ पक्ष में किया जा सकता है, लेकिन हवन-पूजन या शुभ कार्य वर्जित है। कुंभ राशि की भद्रा मृत्यु लोक में निवास करती है अतः इस अवधि में  (दोपहर 12.40 से रात 12.45 बजे) तक हवन-पूजन नहीं करना चाहिए।

चतुर्दशी तिथि

अनंत चतुर्दशी व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इस दिन श्री हरि की पूजा की जाती है। इस व्रत में सूत या रेशम के धागे को लाल कुमकुम से रंग, उसमें चौदह गांठे (14 गांठे 14 लोकों की प्रतीक मानी गई है) लगाकर राखी की तरह का अनंत बनाया जाता है। इस अनंत रूपी धागे को पूजा में भगवान पर चढ़ा कर अपने हाथ में बाँधते हैं। पुरुष दाएं तथा स्त्रियां बाएं हाथ में अनंत बाँधती है। यह अनंत हम पर आने वाले सब संकटों से रक्षा करता है। यह अनंत धागा भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला तथा अनंत फल देता है। यह व्रत धन पुत्रादि की कामना से किया जाता है। इस दिन नये धागे के अनंत को धारण कर पुराने धागे के अनंत का विसर्जन किया जाता है।

पूजन सामग्री

• शेषनाग पर लेटे हुए श्री हरि की मूर्ति अथवा तस्वीर 
• आसन (कम्बल)
• धूप - एक पैकेट
• पुष्पों की माला – चार
• फल – सामर्थ्यानुसार
• पुष्प (14 प्रकार के)
• अंग वस्त्र –एक
• नैवैद्य(मालपुआ )
• मिष्ठान - सामर्थ्यानुसार
• अनंत सूत्र (14 गाँठों वाले ) – नये
• अनंत सूत्र (14 गाँठों वाले ) – पुराने
• यज्ञोपवीत (जनेऊ) – एक जोड़ा
• वस्त्र
• पत्ते – 14 प्रकार के वृक्षों का
• कलश (मिट्टी का)- एक
• कलश पात्र (मिट्टी का)- एक 
• दूर्बा 
• चावल – 250 ग्राम
• कपूर- एक पैकेट
• तुलसी दल
• पान- पाँच
• सुपारी- पाँच
• लौंग – एक पैकेट
• इलायची - एक पैकेट
• पंचामृत (दूध,दही,घी,शहद,शक्कर)

इसके बाद ॐ अनन्तायनम: मंत्र से भगवान विष्णु तथा अनंतसूत्रकी षोडशोपचार-विधिसे पूजा करें। पूजनोपरांतअनन्तसूत्रको मंत्र पढकर पुरुष अपने दाहिने हाथ और स्त्री बाएं हाथ में बांध लें-

अनंन्तसागरमहासमुद्रेमग्नान्समभ्युद्धरवासुदेव।
अनंतरूपेविनियोजितात्माह्यनन्तरूपायनमोनमस्ते॥  

विधि विधान से पूजन कर श्रीहिर का जप करें। इसससे परिवार के सभी कष्ट दूर होंगे।

 

Created On :   5 Sep 2017 4:11 AM GMT

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