महापौर के अप्रत्यक्ष चुनाव को चुनौती देने वाली एक और याचिका खारिज

Another petition challenging the indirect election of the Mayor dismissed
महापौर के अप्रत्यक्ष चुनाव को चुनौती देने वाली एक और याचिका खारिज
महापौर के अप्रत्यक्ष चुनाव को चुनौती देने वाली एक और याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क जबलपुर । महापौर पद के चुनाव पार्षदों के द्वारा अप्रत्यक्ष तरीके से कराए जाने को चुनौती देने वाली एक और जनहित याचिका हाईकोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दी। चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस वीपीएस चौहान की युगलपीठ ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर पूर्व में एक याचिका खारिज हो चुकी है, इसलिए इस मामले पर अब दखल नहीं दिया जा सकता।
डॉ. पीजी नाजपांडे व अन्य की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में जनता द्वारा महापौर का चुनाव कराने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए विधानसभा से प्रस्ताव पारित हुआ था और एक्ट में संशोधन कर उसका प्रकाशन गजट नोटिफिकेशन में किया गया था। आवेदकों का आरोप था कि राज्य सरकार ने एक बार फिर से एक्ट में संशोधन कर पार्षदों को महापौर के निर्वाचन का अधिकार प्रदान कर दिया, जिसका सीधा लाभ राजनीतिक पार्टियों को होगा। आवेदकों का दावा था कि इस प्रकिया में निर्दलियों की खरीद फरोख्त से इंकार नहीं किया जा सकता है। मामले पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता हिमान्शु मिश्रा ने युगलपीठ को बताया कि पूर्व में इसी मुद्दे से संबंधित एक याचिका जस्टिस संजय यादव और जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ द्वारा विगत 14 नवम्बर को खारिज की जा चुकी है। उक्त बयान पर गौर करने के बाद युगलपीठ ने इस दूसरी याचिका पर दखल से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती- याचिकाकर्ता डॉ. नाजपांडे का कहना है कि हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। वे अगले सप्ताह सुको में विशेष अनुमति याचिका दायर करेंगे।
 

Created On :   28 Nov 2019 7:55 AM GMT

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