इस शिव मंदिर पूजा करने आता है महाभारत का ये पात्र, चढ़ी मिलती है गुलाल

Asirigarh fort and shiv temple located in Burhanpur Madhya Pradesh
इस शिव मंदिर पूजा करने आता है महाभारत का ये पात्र, चढ़ी मिलती है गुलाल
इस शिव मंदिर पूजा करने आता है महाभारत का ये पात्र, चढ़ी मिलती है गुलाल

डिजिटल डेस्क, बुरहानपुर। कुछ रहस्य ऐसे होते हैं जिनके बारे में पता सबकुछ कभी पता नही चल पाता। आज आपको एक ऐसे ही सीक्रेट के बारे में बताया जा रहा है जो महाभारत काल से अब तक जस का तस रहस्य ही बना हुआ है। इसका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है और जब-तब लोग इसके यहां वहां नजर आने की बात भी करते हैं, लेकिन इन किस्से कहानियों में कितनी सच्चाई है ये नही कहा जा सकता। 


अश्वत्थामा महाभारत कालीन इस पात्र के आज भी भटकने की बात कही जाती है। अश्वत्थामा के बारे में कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के श्राप की वजह से वह आज भी भटक रहा है। कई सालों पहले उसके मध्यप्रदेश के मंडला जिले के समीप ही जंगलों में नजर आने की बातें भी सामने आई थीं। इसे लेकर कहा जाता है कि ये आम इंसानों से एकदम अलग है माथे से हमेशा एक द्रव्य रिसता रहता है जिसमें कीड़े लगे हुए हैं वह आम लोगों से कहीं अधिक शक्तिशाली, दिव्य व उंचा है। वह एक आत्मा के समान प्रतीत होता है। 

 

असीरगढ़ किले में शिव मंदिर 

ऐसा भी कहा जाता है कि मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित असीरगढ़ किले में जो शिव मंदिर मौजूद है वहां अश्वत्थामा प्रतिदिन पूजा करने आता है। वह भी सबसे पहले। अश्वत्थामा यहां प्रतिदिन भगवान शिव को जल अर्पित करता है। कई वर्षों से ये रहस्य है लेकिन आज भी यहां मौजूद शिवलिंग पर ताजा फूल एवं गुलाल चढ़ा हुआ मिलता है। आज तक ये कोई नही देख पाया कि ये फूल, गुलाल, जल कौन अर्पित कर जाता है।

 

युगों तक भटकने का श्राप
अश्वत्थामा का जन्म द्वापरकाल में हुआ था। जब वे जन्मे तो अश्व के समान उनके रोने से गर्जना हुई जिसकी वजह से उनके पिता गुरू द्रोणाचार्य ने उनका नाम अश्वत्थामा रख दिया। अश्वत्थामा एक श्रेष्ठ धनुर्धर थे, किंतु कौरवों का साथ देने और पिता की मृत्यु से क्रोधित अश्वत्थामा ने पांडव पुत्रों का वध कर दिया, उत्तरा के गर्भ में पल रहे अभिमन्यु पुत्र परीक्षित को मारने ब्रम्हास्त्र चलाया जिससे भगवान कृष्ण क्रोधित हो गए और उन्होंने अश्वत्थामा के माथे से दिव्य मणि निकाल ली और उसे युगों तक भटकने का श्राप दे दिया। तब से अश्वत्थामा के भटकने की बात कही जाती है। 

Created On :   26 Nov 2017 5:41 AM GMT

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