इस दुर्गम क्षेत्र में मिले पाषाणकालीन कुल्हाड़ी, कुदाल सहित औजार

इस दुर्गम क्षेत्र में मिले पाषाणकालीन कुल्हाड़ी, कुदाल सहित औजार
इस दुर्गम क्षेत्र में मिले पाषाणकालीन कुल्हाड़ी, कुदाल सहित औजार
इस दुर्गम क्षेत्र में मिले पाषाणकालीन कुल्हाड़ी, कुदाल सहित औजार

डिजिटल डेस्क, गोंडपिपरी(चंद्रपुर)। तहसील के कुडेनांदगांव में पाषाणकाल के हजारों वर्ष पुराने कुल्हाड़ी, कुदाल समेत बड़ी संख्या में औजार मिले हैं। जानकारों के मुताबिक यह हजारों वर्ष पूर्व की मानव सभ्यता की निशानी है। इस तरह के औजार पाषाणकाल, मध्य, पूर्व व उत्तर पाषाणकाल में भी पाए जाते रहे हैं। महाराष्ट्र के अंतिम छोर पर बसी गोंडपिपरी तहसील के कई परिसरों में प्राचीनकाल की विविध सामग्रियां  अक्सर मिलने की खबरें सामने आती रहती हैं। इस परिसर में बड़े और छोटे औजार बड़ी संख्या में पाए जा रहे हैं। क्षेत्र में ऐतिहासिक स्थलों का अध्ययन लंबे समय से चल रहा है। ऐतिहासिक वारसा संवर्धन समिति की टीम इस पर काम कर रही है। इस टीम ने तहसील के कई हिस्से, जंगल, पहाड़ियों व नदी तट परिसर की खाक छानकर अब तक विविध प्रकार के प्राचीन अवशेष खोजने की कोशिश की हैं। इसकी फलश्रृति  टीम ने पाषाणकाल के औजार मिलने का दावा किया है।

सनद रहे कि गत दिनों ही किरमिरी गांव से सटी पहाड़ी पर 20  हजार वर्ष पूर्व के शस्त्र मिले थे। वहीं पहाड़ी की बुनियाद में पाषाणकालीन  बड़े शस्त्र मिले थे। समिति के पदाधिकारी नीलेश झाड़े और नवराज चंद्रागड़े ने कुडेनांदगांव के भिवकुंड नाला किनारे पर शोध मुहिम चलाकर हजारों से अधिक वर्ष पूर्व के शस्त्र व औजार खोज निकाले हैं। बताया जा रहा है कि इस परिसर में पाषाणकाल में मनुष्यों का विचरण रहता था। वे वन्यजीवों का शिकार करने के लिए इन पत्थरों से शस्त्र तैयार कर इनका इस्तेमाल किया करते थे। हजारों वर्ष बाद भी उनके औजार जस के तस मिल रहे हैं। टीम के सदस्यों ने बताया कि और भी अनुसंधान करने पर प्राचीन इतिहास पर ज्यादा रोशनी पड़ सकती है।

लौहभट्ठी के प्रमाण भी मिले
कुडेनांदगांव खेत परिसर में लौह युग के अवशेष पाए गए हैं। यहां के एक खेत में आर्यन स्लग पाया गया। इसलिए इस क्षेत्र में लोहभट्ठी मिलने की संभावना इस शोध टीम के प्रमुख नीलेश झाड़े ने जताई है।

Created On :   9 Nov 2018 9:54 AM GMT

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