स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में सीमेंट से बनाया बैडमिंटन कोर्ट, चोटिल हो रहे खिलाड़ी

Badminton court made by cement in university, players injured
स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में सीमेंट से बनाया बैडमिंटन कोर्ट, चोटिल हो रहे खिलाड़ी
स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में सीमेंट से बनाया बैडमिंटन कोर्ट, चोटिल हो रहे खिलाड़ी

डिजिटल डेस्क,नागपुर। खेल को तवज्जो देने NMC ने  सुभाष रोड पर राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज क्रीड़ा संकुल बना तो दिया लेकिन इसमें बनाए गए बैडमिंटन कोर्ट से खिलाड़ियों को चोट मिल रही है।  उम्मीद थी कि इस कोर्ट से अच्छे खिलाड़ी निकलेंगे लेकिन यहां से खिलाड़ी घायल होकर निकल रहे हैं। कारण, बैडमिंटन कोर्ट कांक्रीट का बना है। लंबे अरसे से मांग की जा रही है कि यहां वूडन कोर्ट बनाया जाए लेकिन मनपा सुन ही नहीं रही है। क्रीड़ा संकुल के निर्माण की गुणवत्ता निम्न स्तरीय होने के कारण 4 साल में ही सुरक्षा दीवार गिराकर दूसरी बनानी पड़ रही है। उपलब्ध खेल सुविधाओं को लेकर तरह-तरह की चर्चाओं का माहौल बना रहता है। संकुल के बैडमिंटन कोर्ट को लेकर खिलाड़ियों में नाराजगी है। यह कोर्ट खेल नियमों के अनुसार नहीं बना है। इसलिए यहां खेलने आने वाले खिलाड़ियों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। NMC के अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते हैं, संकुल की स्थिति देखने तक आते नहीं हैं।

पांच वर्ष पहले बना संकुल
NMC ने 2013 में सुभाष रोड पर खेल संकुल बनाया था। यहां विभिन्न खेल गतिविधियां संचालित की जाती हैं। अलग-अलग खेलों के लिए अलग-अलग सुविधाएं उपलब्ध करायी गई हैं, लेकिन सुविधा और संसाधनों को लेकर हमेशा सवाल उठाए जाते रहे हैं। यहां बने बैडमिंटन कोर्ट को लेकर पैदा होने वाली समस्याएं हल करने पिछले दो साल से प्रयास किये जा रहे हैं। बैडमिंटन खिलाड़ियों ने इस संबंध में NMC के अधिकारियों काे तीन बार पत्र दिया है। कोर्ट की कमियां गिनाते हुए उसमें आवश्यक सुधार करने को कहा, लेकिन NMC के अधिकारी ऊंघ रहे हैं। किसी अधिकारी को इतनी फुर्सत नहीं है कि वह बैडमिंटन कोर्ट का मुआयना कर सके।  

ऐसा होना चाहिए  बैडमिंटन कोर्ट
सूत्रों के अनुसार बैडमिंटन कोर्ट आयताकार और नेट द्वारा दो हिस्सों में विभाजित होना चाहिए। कोर्ट की जमीन पर वूडन का स्लैब होना चाहिए। बैडमिंटन कोर्ट एकल और युगल दोनों के लिए होते हैं, हालांकि नियमानुसार सिर्फ एकल खेलने के लिए कोर्ट का इस्तेमाल होना चाहिए। क्योंकि युगल कोर्ट एकल कोर्ट से अधिक चौड़े बने होते हैं। दोनों की लंबाई एक समान होती है। कोर्ट की चौड़ाई 6.1 मीटर (20 फुट) और एकल की चौड़ाई इससे कम 5.18 मीटर (17 फुट) होती है। लंबाई 13.4 मीटर (44 फुट) होती है। एक मध्य रेखा द्वारा कोर्ट की चौडाई को विभाजित किया जाता है। एकल के लिए नेट से 1.98 मीटर (6 फुट 6 इंच) की दूरी पर रेखा द्वारा बाहरी और पिछली सीमा चिह्नित की जाती है। युगल के लिए यह नियम अलग है। नेट के खम्बे युगल पार्श्वरेखाओं पर खड़े होते हैं। बैडमिंटन के नियमों में कोर्ट के ऊपर की छत की न्यूनतम ऊंचाई का नाप नहीं है लेकिन इसे मानक पर खरे उतरे बैडमिंटन काेर्ट के अनुसार तैयार करना आवश्यक है। मनपा ने रातुम क्रीड़ा संकुल में बनाये गए बैडमिंटन कोर्ट में मानकों का पालन नहीं किया है।

खेल मानकों की अनदेखी
संकुल में बना बैडमिंटन कोर्ट सीमेंट कांक्रीट का है। इस पर खेलते-खेलते गिरने पर खिलाड़ियों को चोट लगती है। इसलिए खेल नियमों के अनुसार यह वूडन कोर्ट होना चाहिए। मनपा ने जब इसका निर्माण किया था, तब से वह उसी अवस्था में है। इसे वूडन कोर्ट में बदलने का प्रयास नहीं किया गया। इस कोर्ट में दूसरी समस्या यह है कि यहां जो खिड़कियां बनायी गई हैं, वह अनावश्यक हैं। इन खिड़कियों से आने वाला प्रकाश सीधे खिलाड़ियों की आंखों पर पड़ता है। इस कारण खेलते समय दिक्कत होती है। खिड़कियां लगाते समय खेल मानकों का पालन नहीं किया गया। पर्याप्त कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था बराबर नहीं है। इस कारण खिलाड़ियों को परेशानी झेलनी पड़ती है। लोहे के गटर की ऊंचाई कम है। सूत्रों के अनुसार अभी 10 फीट है। यह और 10 फीट ऊंची चाहिए। कुल मिलाकर संकुल में बना बैडमिंटन कोर्ट खेल मानकों पर खरा नहीं उतरता। 
 

Created On :   23 Jan 2018 10:10 AM GMT

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