जयकारों से गूंजा बद्रीनाथ धाम, आज खोले गए श्रद्धालुओं के लिए कपाट
डिजिटल डेस्क, देहरादून। उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट ब्रह्म मुहूर्त में सुबह साढ़े चार बजे मंत्रोच्चार के साथ खोले गए। कपाट खुलते ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर की ओर उमड़ी और पूजा धाम जयकारों से गूंज उठा। चारधाम की यात्रा में बदरीनाथ धाम काफी प्रसिद्ध है। यह मंदिर हिन्दुओं की आस्था का केंद्र है। उत्तराखंड में अलकनंदा नदी के किनारे बसा यह मंदिर भगवान विष्णु, भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है।
कपाट खुलने के बाद मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने गर्भगृह में जाकर पूजा शुरू की। साथ ही उद्धवजी और कुबेरजी को भगवान बदरी विशाल के साथ स्थापित किया गया। आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी को परिक्रमा स्थल स्थित उनके स्थान पर रखा गया। गाड़ू घड़े को भी गर्भगृह में रखा गया। इस घड़े में मौजूद तिल के तेल से भगवान बदरी विशाल की महाभिषेक किया गया।
#Uttarakhand: The portals of Badrinath Temple opened at 4.30 am today amidst Vedic chanting and tunes of the Army band in Chamoli"s Badrinath. (earlier visuals) pic.twitter.com/s3POjlnIVt
— ANI (@ANI) April 30, 2018
चारों तरफ बर्फ की सफेद पहाड़ियों के बीच बना बद्रीनाथ का मंदिर एक अलग ही छटा बिखेरता है। बाबा के मंद्र की सजावट फूलों से की गई था, जिसने चार चांद लगा दिए। वहीं सैकड़ों किलोमीटर का सफल तय कर पहुंचे श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया। आपको बता दें कि बदरीनाथ मंदिर के कपाट भी बाबा केदारनाथ की तरह ही साल में सिर्फ छह महीने के लिए खुलते हैं जो अप्रैल के अंत या मई के प्रथम पखवाड़े में खोल दिए जाते हैं। लगभग 6 महीने तक पूजा-अर्चना चलने के बाद नवंबर के दूसरे सप्ताह में मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
बदरीनाथ धाम दो पर्वतों के बीच बसा है। इसे नर नारायण पर्वत कहा जाता है। कहा जाता है कि यहां पर भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण ने तपस्या की थी। नर अगले जन्म में अर्जुन और नारायण श्री कृष्ण के रूप में जन्मे। बद्रीनाथ के पुजारी शंकराचार्य के वंशज होते हैं जो रावल कहलाते हैं। बदरीनाथ धाम के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वयं भगवान विष्णु ने कहा है की कलियुग में वे अपने भक्तों को बद्रीनाथ में मिलेंगे। पुराणों में बदरीनाथ धाम को पृथ्वी पर बैकुंठ की संज्ञा दी गई है क्योंकि यहां साक्षात भगवान विष्णु विराजमान हैं। इस धाम की विशेषता यह है कि इसे सत युग में मुक्ति प्रदा, त्रेता युग में योग सिद्धिदा, द्वापर में विशाला और कलियुग मे बदरीकाश्रम नाम से पहचान मिली है।
गौरतलब है कि केदारनाथ धाम के कपाट रविवार की सुबह श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए थे। पुजारियों के मंत्रोच्चार और श्रद्धालुओं के जयकारे के बीच छह महीने बाद केदारनाथ के कपाट खोले गए। कपाट खुलने के बाद मंदिर में पूजा अर्चना की गई, उसके बाद भगवान शिव के दर्शन शुरू हो गए।
Created On :   30 April 2018 3:40 AM GMT