महाभारत 2018 : प्रमुख दलों के बागियों ने उड़ाई नींद, बनी भय की राजनीति

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 महाभारत 2018 : प्रमुख दलों के बागियों ने उड़ाई नींद, बनी भय की राजनीति
 महाभारत 2018 : प्रमुख दलों के बागियों ने उड़ाई नींद, बनी भय की राजनीति

रघुनाथसिंह लोधी, बालाघाट। बालाघाट जिले में पार्टियों के दावे और प्रतिपक्ष द्वारा उन दावों की असलियत बताने की होड़ के बीच आम लोगों में भय की राजनीति की चर्चा है। मतदाता चर्चाओं की वास्तविकता जानने फोन व संपर्क खंगाल रहे हैं। नेता बेबस और सहमे हैं। प्रमुख राजनीतिक दल बागियों से परेशान हैं। जिले के महाराष्ट्र के गोंदिया व भंडारा जिले की सीमा से लगे इस क्षेत्र में 90 ग्राम पंचायतें शामिल हैं।

बागी संजय सिंह के कारण मुकाबला हुआ रोचक
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साले संजय सिंह BJP से बगावत कर इसी सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार बने हैं। संजयसिंह की बगावत के साथ चर्चा में आयी वारासिवनी सीट पर मुकाबला रोचक हो  गया है। तीन बार विधायक व कांग्रेस के जिला अध्यक्ष रहे प्रदीप जायसवाल निर्दलीय उम्मीदवार हैं और BJP उम्मीदवार योगेंद्र निर्मल की तुलना में कांग्रेस उम्मीदवार का विरोध ज्यादा कर रहे हैं। सीट से कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं।

 गौरव पारधी प्रकरण ने दिलाई 1993 विस चुनाव की याद
निर्दलीय व BJP के बागी गौरव पारधी को लेकर हुए पाॅलिटिकल ड्रामा ने भी माहौल गर्मा दिया है। हालांकि अब गौरव BJP के साथ हैं। पारधी के राजनीतिक आत्मसमर्पण को लेकर उनके गांव अंसेरा में निराशा और आत्मपीड़ा की मिलीजुली भावना है। परिजनों की आंखें अब भी छलक रही हैं। समर्थकों-कार्यकर्ताओं की वेदना व गुस्से को शांत करने का प्रयास करते हुए पिता कहते हैं-मेरा बेटा सिस्टम से डर गया। सोशल मीडिया पर वायरल ऑडियो में गौरव के सहयोगी डी आर अरोरा कहते हैं-मध्यप्रदेश में BJP की भय की राजनीति का प्रतीक वारासिवनी का गौरव प्रकरण बनेगा। कांग्रेस के बागी प्रदीप जायसवाल के पिता अम्रतलाल जायसवाल पर भी कभी ऐसे ही आरोप लगते थे। एक समय में इस क्षेत्र में जनता दल का दबदबा था।

पहले भी रही है भय की राजनीति
1993  के विधानसभा चुनाव में तब के विधायक केडी देशमुख जनता दल से उम्मीदवारी नहीं मिलने पर अचानक गायब हो गए थे। तब भी भय की राजनीति का मुददा गर्माया था। देशमुख देषमुख के समर्थक ओंकार बिसेन निर्दलीय लड़कर चुनाव जीत गए थे। देशमुख बाद में दिल्ली से लौटे पर जनता दल से बाहर हो गए और BJP का दामन थामा, सांसद व विधायक बने। प्रदीप जायसवाल के चुनाव रणनीतिकार शैलेंद्र तिवारी कहते है-सत्ता में बैठे लोग मनमानी कर रहे हैं। चुनाव आयोग को दी शिकायत अर्जी की प्रतिलिपि हाथ में लेकर वे कहते हैं-हमारी अर्जी पर भी कुछ अर्ज होने की उम्मीद नहीं है। 21 नवंबर को जायसवाल की प्रचार सामग्री नागपुर से लायी जा रही थी। कटंगी विधानसभा के स्थैतिक निगरानी दल ने सामग्री जब्त कर ली। जबकि सामग्री के साथ खरीदी बिल की प्रति दिखाई गई थी। 

सपा गिरफ्तारी को बनाया मुद्दा, BJP ने बताया पाॅलिटिकल स्टंट
बालाघाट में भी कसमसाहट बढ़ रही है। 2013 चुनाव में मंत्री गौरीशंकर बिसेन से 1200 मतों के अंतर से पराजित अनुभा मुंजारे फिर मैदान में हैं। अनुभा समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार हैं। आचार संहिता उल्लंघन के मामले में 21 नवंबर को ही उन्हें गिरफ्तार किया गया था। अवकाश होने के कारण 24 घंटे बाद ही जमानत मिल पाई। प्रचार में जेल में ली गई उनकी तस्वीर प्रमुखता से शामिल है। सपा अध्यक्ष अखिलेश सिंह यादव प्रचार सभा के दौरान इसकी चर्चा जाेरशोर से की। अनुभा का आरोप है कि 2013 चुनाव में भी उन्हें इसी तरह गिरफ्तार किया गया था। ईद के जुलुस के स्वागत के दौरान गिरफ्तारी का मतलब समझा जा सकता है।

BJP पदाधिकारी सुरजीत ठाकुर का कहना है कि गिरफ्तार पाॅलिटिकल स्टंट था। 16 नवंबर को उनके खिलाफ नोटिस जारी हुआ था। वे सभाएं लेती रहीं। ठाकुर तो यह भी आरोप लगाते हैं कि सपा उत्तरप्रदेश की तरह यहां भी गुंडाराज ला रही है। उधर कांग्रेस के बागी उम्मीदवार अनुराग चतुरमोहता BJP व कांग्रेस के नेताओं पर भय की राजनीति का मार्ग अपनाने का आरोप लगाते हैं। अनुराग के समर्थक राजेंद्र नरवास पर तेजाब हमला हुआ है। अनुराग ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है। आरोप यह भी है कि नामांकन भरने के बाद से ही उन पर दबाव डाला जा रहा है।

Created On :   24 Nov 2018 10:17 AM GMT

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