फसल नुकसान के पंचनामे तुरंत बनाएं अधिकारी - बावनकुले

‌Bawankule said- Immediately create Panchnam of Crop Loss
फसल नुकसान के पंचनामे तुरंत बनाएं अधिकारी - बावनकुले
फसल नुकसान के पंचनामे तुरंत बनाएं अधिकारी - बावनकुले

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बेमौसम बारिश से बर्बाद हुई फसल का मुआयना करने के लिए पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले शनिवार को खुद मौके पर पहुंचे। मौदा, रामटेक और पारशिवनी का दौरा कर इन तहसीलों में हुई फसलों की तबाही को देखा और कृषि अधिकारियों को फसल नुकसान के पंचनामे तुरंत बनाने के निर्देश दिए। पालकमंत्री ने मौदा तहसील के  लापका, रामटेक के शिवनी और पारशिवनी तहसील के तहत आने वाले निलज का दौरा कर बेमौसम बारिश से हुई फसलों को हुए नुकसान का जायजा लिया। प्रभावित किसानों से भी चर्चा की गई। जिला प्रशासन व कृषि विभाग को शीघ्र समुचित कदम उठाने को कहा। पटवारी, कृषि सेवक, कृषि विभाग को शीघ्र नुकसान के पंचनामें तैयार कर पेश करने के निर्देश दिए। बेमौसम बारिश से किसानों का काफी नुकसान हुआ है।  फसल बर्बाद होने से किसान आर्थिक संकट में फंस गया है। फसल के रूप में हाथ में आया निवाला निकलने जैसी स्थिति हो गई है। मौदा व रामटेक में धान काफी खराब हुआ है। सितंबर में बारिश से करीब 25 हजार हेक्टेयर में फसल बर्बाद हुई आैर अक्टूबर में करीब 5500 हेक्टेयर में फसल बर्बाद होने का प्राथमिक अनुमान है। बेमौसम बारिश से जिले में सोयाबीन, कपास, संतरा, मोसंबी, सब्जी, फल, तुवर का  नुकसान हुआ है। प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति शीघ्र देने का भरोसा  पालकमंत्री बावनकुळे द्वारा दिया गया। पालकमंत्री के साथ दौरे में विधायक एड. आशीष जायस्वाल, विधायक टेकचंद सावरकर, जिलाधिकारी रवींद्र ठाकरे, जिला कृषि अधीक्षक  मिलिंद शेंडे, रामटेक के तहसीलदार श्री. मस्के, तहसील कृषि अधिकारी वासनिक, पटवारी आडे, प्रशांत सांगले आदि थे।

तहसील में 866 हेक्टेयर में धान की फसल को नुकसान

खरीफ मौसम में लगातार हुई बारिश के चलते कामठी तहसील अंतर्गत सोयाबीन की फसलों को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था। लेकिन मानसून के रवाना होते-होते जो बारिश हुई है उससे धान की फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है। दिवाली के दिन हुई जोरदार बारिश के कारण कुल 866 हेक्टेयर धान की फसलों को नुकसान पहंुचा है। ऐसे में कामठी-मौदा तहसील के किसानों को आर्थिक सहायता कर उन्हें पूरी तरह से कर्ज मुक्त करने की मांग प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव व पूर्व जिप अध्यक्ष सुरेश भोयर ने की है। कामठी तहसील में खरीफ की फसल के लिए 24 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन, धान, कपास व हरी सब्जियों की फसलों का नियोजन किया गया था। नकद फसल समझे जाने वाली सोयाबीन 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में नियोजित थी। लेकिन अगस्त और सितंबर माह में हुई लगातार बारिश से सोयाबीन की फसल पूरी तरह से खराब हो चुकी है। ठीक के दिवाली के दिन शाम के समय हुई तेज बारिश से कई किसानों की धान की खड़ी फसलें पूरी तरह से चौपट हो गई। कामठी तहसील कृषि अधिकारी मंजूषा राऊत ने बताया कि नेरी संभाग में धान की फसलों को ज्यादा नुकसान हुआ है। कुल 47 गांवों में छोटी-छोटी क्षेत्रों में किसानों ने फसल की है। इसमें से कुछ फसलें ऐसी है जो बारिश के कारण झुक गई है, लेकिन अच्छी धूप आने से यह झुकी फसल खड़ी होने की पूरी संभावना है। कृषि विभाग लगातार सर्वे कर रहे है अौर अभी तक किए गए सर्वे के अनुसार कुल 866 हजार हेक्टेयर धान की फसल प्रभावित हुई है। यह नुकसान 33 प्रतिशत से भी कम आंका जा रहा है। थोड़ी धूप निकली तो फसलें खड़ी होकर फिर लहलहाने लगेगी। लेकिन इसके बाद यदि फिर बारिश होती है तो इन फसलों को बचाना मुश्किल हो जाएगा। 

मौदा तहसील के किसानों को मिले फसल मुआवजा

मौदा तहसील में खड़ी धान की फसलों पर पानी फिर गया। पिछले दिनो और  दिवाली के दिन हुई जोरदार बारिश आफत बन गई। सोयाबीन की फसल निकलना बाकी है। कटाई का काम शुरू होने से सोयाबीन का भी काफी नुकसान हुआ है। इससे किसानों को दोहरे संकट का सामाना करना पड़ रहा है। किसान पुरी तरह चिंता मंे  है।  पिछले साल कम बारिश से फसलें सूख गई थी।  इस वर्ष देर से आया मानसून अब तक सता रहा है। तहसील में धान, सोयाबीन, मिर्ची, कपास, सब्जी-भाजी का बड़ी मात्रा में नुकसान हुआ। प्रशासन द्वारा जल्द ही पंचनामा कर नुकसान भरपाई देने की मांग भगवंता पत्रे, यशवंत पत्रे, भास्कर पत्रे,  ईश्वर राजगिरे, ज्ञानेश्वर पडोले, राजेंद्र सावरकर,   हीराचंद वैरागड़े, गुणवंता पत्रे, सुखदेव पत्रे व अन्य किसानों ने की है।

कपास, सोयाबीन को प्रति एकड़ 25 हजार मिले मुआवजा

नरखेड़ में बारिश से खरीफ की फसल का नुकसान हुआ। जो कुछ फसल बची थी उसे भी वापसी की बारिश ने तबाह कर दिया। जिससे किसानों का जीना मुश्किल हुआ। प्राकृतिक आपदा को देख अखिल भारतीय महात्मा फुले समता परिषद ने कपास एवं सोयाबीन उत्पादक किसानों को प्रति एकड़ 25 हजार की मदद करने की मांग राज्य सरकार के नाम का ज्ञापन तहसीलदार को सौंपे गए निवेदन में की। निवेदन में बताया कि, मानसून लौटने के बाद भी जारी बारिश से कपास, सोयाबीन तथा अन्य खरीफ फसल नष्ट हुई। सोयाबीन की फसल जमीन पर ही खराब होकर उसमे अंकुर निकल आए। कपास के बोंड खराब होने से यह फसल भी हाथ से निकल गई। करीब- करीब 80 फीसदी नुकसान होने का अनुमान है।     इस खरीफ फसल के मौसम में लगभग ढाई लाख हजार हेक्टेयर में कपास, करीब एक लाख हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की जाने का अनुमान है। वातावरण में बदलाव आने से अधिकांश फसलों का उत्पादन खर्च भी बढ़ गया।    

 

 

Created On :   3 Nov 2019 12:26 PM GMT

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