भिक्षावृत्ति माफियाओं के जाल में, कड़ी सजा न होने से फल-फूल रहा धंधा

Beggar mafias are increasingly in the city due to negligence
भिक्षावृत्ति माफियाओं के जाल में, कड़ी सजा न होने से फल-फूल रहा धंधा
भिक्षावृत्ति माफियाओं के जाल में, कड़ी सजा न होने से फल-फूल रहा धंधा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर की सड़कों पर भीख मांगने वालों की संख्या चौंकाने वाली हो सकती है। भिक्षा को अवैध व्यवसाय बनाने वाले माफियाओं के लिए कड़ी सजा का प्रावधान नहीं होने के कारण यह संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। सही मायने में विदर्भ में भिक्षा मांगने वालों का कोई रिकार्ड ही नहीं है। संबंधित विभाग को उनकी संख्या तक की जानकारी नहीं। रिकार्ड सिर्फ उन्हीं का है, जो सड़क पर भीख मांगते पकड़े जाते हैं।

अनुमान है कि नागपुर शहर की सड़कों पर हर साल 600 से अधिक लोगाें को भीख मांगते हुए पकड़ा जाता है। इनमें कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो कई बार पकड़े जाते हैं। बार-बार पकड़े जाने वाले लोगों को अहमदनगर के भिक्षा मुक्त पुनर्वसन केंद्र में भेजा जाता है। वह भी अदालत के आदेश पर, क्योंकि भिक्षा मांगने वालों के लिए विदर्भ में कोई पुनवर्सन केंद्र नहीं है। नागपुर से अहमदनगर का यह पुनवर्सन केंद्र करीब 625 किलोमीटर दूर है।

भिक्षा माफिया देता है टारगेट 
सूत्र बताते हैं कि हर शहर में भिक्षा माफिया है और वह टारगेट दिया जता है। टारगेट पूरा नहीं करने पर यातनाएं दी जाती हैं। इसके कई मामले सामने आते रहे हैं। नागपुर, औरंगाबाद, पंढरपुर, नई मुंबई से ही नहीं, बल्कि यूपी, बिहार, असम , बंगाल आदि राज्यों से कम उम्र के बच्चों की खरीदकर लाया जाता है। भीख मांगने वालों की सजा का प्रमाण कम होने के कारण इससे पर रोकथाम नहीं होना भी एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। 

ये हो रही पहल 
भिक्षा मांगने वालों के लिए समुपदेशन, आवश्यक वैद्यकीय जांच व उपचार, प्रधानमंत्री कौशल्य विकास कार्यक्रमांे के अंतर्गत व्यवसायभिमुख प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जा रही है। महिला व बालकल्याण विभाग के माध्यम से पुनर्वसन केंद्रों में खेती, विविध उद्योग धंधों के बारे में जानकारी दी जा रही है। पुनर्वसन के बाद भिक्षा मांगना छोड़ने वालों का प्रमाण उंगलियों पर गिना जा सकता है। नागपुर के संबंधित विभाग के पास इस बात का रिकार्ड ही नहीं है कि पुनवर्सन केंद्र भेजे गए लोगों में से कितने सुधर गए और भीख मांगना बंद कर दिया। 

हर जिला स्तर पर रिसीविंग सेंटर की सुविधा जरूरी
मेरा मानना है कि हर जिला स्तर पर कम से कम एक रिसीविंग सेंटर होना चाहिए। कई बार नागपुर से अहमदनगर भेजे गए लोगों के लिए जगह नहीं मिलने पर परेशानी का सामना करना पड़ता है। पुनर्वसन में अदालत के आदेश के हिसाब से कार्य किया जाता है। 
मल्लिनाथ कांबले, अधीक्षक, भिक्षुगृह, नागपुर 

सजा का प्रमाण बेहद कम  

सूत्रों के अनुसार, भीख मांगने का पहला अपराध होने पर एक वर्ष, उसके बाद पकड़े जाने पर तीन व दस वर्ष की सजा का प्रावधान है, लेकिन भीख मांगने का अपराध सिद्ध होने का प्रमाण काफी कम है। सूत्रों के अनुसार, 2000 आरोपियों में से 70-80 लोगों को सजा हो पाती है। राज्य में 13 भिक्षुगृह हैं, जहां पर भिक्षा मांगने वालों को पुलिस की धर-पकड़ के बाद रखा जाता है।

करोड़ों खर्च, पर कोई खास सुधार नहीं
नागपुर के पाटणकर चौक में एकमात्र भिक्षुगृह है। इसे रिसीविंग सेंटर कहा जाता है। इस सेंटर की तरह जिला स्तर पर और रिसीविंग सेंटर खोलने की बात संबंधित विभाग के अधिकारी-कर्मचारी करते हैं। उनका कहना है कि पूरे देश में भिक्षा माफिया का जाल फैला है। केंद्र व राज्य सरकारें भिक्षा मांगनेवालों के पुनर्वसन की योजना पर सालाना करोड़ाें रुपए खर्च कर रही है, लेकिन स्थिति जस की तस बनी है। अकेले नागपुर में हर साल 600 से अधिक लोग भीख मांगते पकड़े जाते हैं। इनमें कुछ ऐसे लोग हैं, जो बार- बार भीख मांगते हुए पकड़े जा चुके हैं। पिछले 6 माह में ऐसे 20 लोगों को अहमदनगर के पुनर्वसन केंद्र में भेजा गया है। इन्हें भेजने के लिए पुलिस गार्ड की जरूरत पड़ती है। कई बार पुलिस गार्ड की सुरक्षा नहीं मिल पाने पर महिला व बाल कल्याण विभाग के अधिकारी- कर्मचारियों को अपनी रिस्क पर छोड़ने जाना पड़ता है। 

यह है सरकार की योजना
भिक्षा मुक्ति अभियान में गोवा देश का पहला राज्य बन गया है, जहां पर भिक्षा मुक्ति हो चुकी है। भीख मांगना अपराध है। वृद्ध, अपंग, अनाथ व कम उम्र के बच्चे विविध कारणों के चलते भीख मांगते हुए गुजर बसर करते हैं। ऐसे लोगों को समाज के मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार ‘भिखारी पुनर्वसन अभियान’ चला रही है, जिसमें 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को समुपदेशन और प्रशिक्षण के माध्यम से भीख मांगने से दूर किया जा रहा है।
 

Created On :   22 Feb 2019 7:51 AM GMT

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