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भगत सिंह के भतीजे किरणजीत सिंह ने कहा- ‘बिना खड्ग और ढाल के हमें आजादी हासिल नहीं हुई’
डिजिटल डेस्क, नागपुर। क्रांतिकारियों ने देश की आजादी के लिए बड़ी कुर्बानी दी है। ये गलत बात है कि, बिना खड्ग और ढाल के हमें आजादी हासिल हुई है। यह कहना है शहीद भगत सिंह के भतीजे एड. किरणजीत सिंह का। वे विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान की आेर से आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि, शहीद भगत सिंह आज भी युवाओं के दिलों में जवां है। वे युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। वे युवाओं को देश के लिए कुछ कर गुजरने की ताकत और हौसला देते हैं।
उन्होंने कहा कि, शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने देश की आजादी में बड़ा योगदान दिया है। एड. किरणजीत सिंह के स्वागत समारोह में अध्यक्ष पूर्व महापौर सरदार अटल बहादुर सिंह , वनराई के विश्वस्त गिरीश गांधी, प्रमुख अतिथि डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा, कृष्णा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस, एजुकेनिस्ट नवनीत सिंह तुली कार्यक्रम में मौजूद थे। कार्यक्रम का आयोजन बाबू धनवटे सभागृह में किया गया। इस अवसर एड. किरणजीत सिंह का स्मृति चिह्न, शॉल-श्रीफल देकर सम्मान किया गया।
कई क्रांतिकारियों को आजादी का क्रेडिट नहीं दिया गया
इस अवसर पर सरदार अटल बहादुर सिंह ने कहा कि, कई क्रांतिकारियों को आजादी का क्रेडिट नहीं दिया गया। कई लोगों को वासुदेव बलवंत फड़के का नाम ही नहीं मालूम है। आजादी के लिए कई क्रांतिकारियों ने बलिदान दिया है, लेकिन लोग उनके नाम भी नहीं जानते हैं। शहीद भगत सिंह ने जलियांवाला बाग का बदला लिया और अंग्रेज सरकार को हिला दिया। सरदार अटल बहादुर सिंह ने कहा कि, जब वे लाहौर में थे और आजादी मिली, तब सुभाष चंद्र बोस के समर्थक कह रहे थे कि, ये आजादी झूठी है, क्योंकि विभाजन उन्हें मंजूर नहीं था। शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद ने देश की आजादी के लिए बलिदान दिया है और ये बलिदान अभूतपूर्व है।
गिरीश जी गांधी ने कहा कि, शहीद भगत सिंह के चाचा ने 120 वर्ष पहले किसानों की मदद की थी। वक्ता डॉ. वेदप्रकाश मिश्रा ने कहा कि, देश की आजादी में शहीद भगत सिंह, अशफाक उल्ला खां, रामप्रसाद बिस्मिल के बिना आजादी अधूरी थी, यह नई पीढ़ी को बताना बेहद आवयश्क है। इस बात को पूरी स्पष्टता के साथ रखना चाहिए।
तब ऐसा महसूस हुआ, जैसे भगत सिंह फिर संसद में आ गए
एड. किरणजीत सिंह शहीद भगत सिंह के छोटे भाई कुलतार सिंह के बेटे हैं। इस अवसर पर उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में शामिल रहीं दुर्गा भाभी को भी नमन किया। उन्होंने कहा कि, 23 साल के शहीद ए आजम भगत सिंह आज भी युवाओं के दिल में 23 साल के ही हैं। वे युवाओं के लिए आज भी प्रेरक हैं। भगत सिंह का सोचना था कि, युवा पढ़ाई के साथ राजनीति में भी रुचि लें, ताकि उन्हें देश को समझने का अवसर मिले। युवा जो भी बात करें, पूरी दलील के साथ करें।
उन्होंने कहा कि अपने पिता को लिखे पत्र में शहीद भगत सिंह ने लिखा था कि, उनके विचार जिंदा रहेंगे और लोगों को प्रेरणा देते रहेंगे। वे बिना जात-पात और बिना भेदभाव का भारत देखना चाहते हैं। आज जब किसान आत्महत्या कर रहे हैं, ऐसी आजादी शहीद भगत सिंह को कतई पसंद नहीं आती। एड. किरणजीत सिंह ने कहा कि, ससंद भवन में जब शहीद भगत सिंह की प्रतिमा लगाई, तो ऐसा महसूस हुआ कि, सरदार भगत सिंह फिर से संसद में आ गए हैं। गौरतलब है कि, नागपुर में क्रांतिकारियों का सम्मान करने की परंपरा रही है। इसी कड़ी में एड. किरणजीत सिंह भी शामिल हुए। इससे पूर्व उनके पिता कुलतार सिंह का सरदार अटल बहादुर सिंह ने सत्कार किया था।
Created On :   14 Aug 2018 9:29 AM GMT