देशहित में भागवत का बयान, मीडिया ने बेवजह बनाया बतंगड़- सुमित्रा महाजन

Bhagwats statement in the spirit of country - Sumitra Mahajan
देशहित में भागवत का बयान, मीडिया ने बेवजह बनाया बतंगड़- सुमित्रा महाजन
देशहित में भागवत का बयान, मीडिया ने बेवजह बनाया बतंगड़- सुमित्रा महाजन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत द्वारा पिछले दिनों भारतीय सेना की तुलना में युद्ध के लिए 3 तीन दिन में स्वयंसेवक तैयार करने को लेकर दिए गए बयान पर खूब बवाल मचा। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसे लेकर मीडिया को कटघरे में खड़ा किया। भागवत के बयान का बचाव करते हुए कहा कि प्रसार माध्यम बेवजह बातों को तूल दे रहे हैं। सरसंघचालक का नाम लिए बिना श्रीमती महाजन ने उनकी बयान को दोहराया-बड़ी लड़ाई की बात आती है तो हम मदद करेंगे, चिंता करने की बात नहीं है। ये कहने के भाव थे, लेकिन संवाद माध्यमों ने बेवजह बवाल मचा दिया। वे देश की भावना को ध्यान में रखकर बोल रहे थे। उसका महत्व देखें और समझें।

हिंदुत्व ही राष्ट्रीयत्व
केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने कहा कि सावरकर चाहते थे कि हिंदू समाज सांप्रदायिकता और जातिवाद से मुक्त विज्ञान के आधार पर आगे बढ़े। सावरकर ने बहुत त्याग किया। उनके परिवार ने भी सर्वस्व अर्पण किया।, लेकिन अपने अंतिम दिनों में उन्हें खूब प्रताड़ना सहनी पड़ी। महात्मा गांधी की तरह ही सावरकर का आंदोलन भी महत्वपूर्ण है। दुनिया में दो तरह का संघर्ष चल रहा है। सहिष्णु-असहिष्णु और दूसरी ओर आतंकवाद। अमेरिका भी इससे पीड़ित है। हिंदू संस्कृति सबको आत्मसात करने का काम करती है। हिंदुत्व ही राष्ट्रीयत्व है, किन्तु 1947 के बाद से हिंदुत्व को संकुचित मानसिकता से देखा गया। उस पर सवाल उठते रहे। इसलिए सावरकर और हिंदू विचारों के खिलाफ गैर-समझ फैलाने वालों को सफलता मिली। अगर कोई धर्म से अलग हटकर अपने विचार रखता है तो उसे नष्ट करने की जरूरत है। भिन्न-भिन्न विचारों को अपने में शामिल करना होगा। अपने विचार ही नहीं, सबके विचार श्रेष्ठ मानकर अपनाने की जरूरत है।

राष्ट्रीय सुरक्षा ही हमारा साहित्य
हिंदुत्ववादी संगठनों पर स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान पर उठ रहे  सवालों पर लोस अध्यक्ष श्रीमती महाजन ने कहा कि एक बात ध्यान में रखना जरूरी है। कुछ संगठन लगातार आपत्ति जताते हैं कि आपने स्वतंत्रता आंदोलन में क्या किया। उस समय किसने क्या किया और अब कौन क्या कर रहा, इस पर बोलने में कोई अर्थ नहीं है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने किसी गुप्त आंदोलन में भाग नहीं लिया था। उनका एक ही मकसद था। भारत को स्वतंत्रता दिलाना। अगर सावरकर 1947 के बाद जन्म लेते तो वे उत्कृष्ट साहित्यकार बनते। लेकिन उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के साथ साहित्य की रचना भी की। श्रीमती महाजन ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा ही हमारा साहित्य होना चाहिए। यहीं आद्य चिंतन होना चाहिए।

तीन तलाक विरोधी कानून लाकर मोदी ने सावरकर का काम किया: जोग
सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. वि.स. जोग ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सावरकर को अपेक्षित काम किया। तीन तलाक विरोधी कानून लोकसभा में पारित करवाया। कुछ लोगों ने इसे राज्यसभा में रोककर रखा, लेकिन यह कानून आज नहीं तो कल पारित होगा ही। स्वागताध्यक्ष कांचन गडकरी ने भी  विचार रखे। प्रास्तावित डॉ. अजय कुलर्णी ने किया।

सावरकर साहित्य सम्मलेन का आयोजन
स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक समिति नागपुर के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को विदर्भ साहित्य संघ में द्वि-दिवसीय स्वातंत्र्यवीर सावरकर साहित्य सम्मलेन का आयोजन किया गया था। सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर वे बोल रहीं थीं।  मंच पर प्रमुख अतिथि के रूप में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी, केंद्रीय गृहराज्यमंत्री हंसराज अहीर उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. वि.स. जोग ने की। स्वागताध्यक्ष कांचन गडकरी थीं। विशेष अतिथि के रूप में शैलजा जोग, संस्कृति मंडल पुरस्कृत स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक समिति के अध्यक्ष चंद्रकांत लाखे, सचिव डॉ. अभय कुलकर्णी उपस्थित थे।

Created On :   25 Feb 2018 12:08 PM GMT

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